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NAHAN: चीड़ की पत्तियों से उत्पाद तैयार कर आत्मनिर्भर बनेंगी महिलाएं, वन विभाग दे रहा प्रशिक्षण - चीड़ की पत्तियों से उत्पाद

जिला सिरमौर में आग से जंगलों को बचाने के लिए वन विभाग निरंतर प्रयासरत (Sirmaur Forest Department) है. इसी दिशा में बाग पशोग में वन विभाग ने 4 दिवसीय चीड़ आधारित प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया (pine based training camp in nahan) है. जिसमें महिलाओं को चीड़ की पत्तियों से रस्सी, कोयला सहित अन्य उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा. जिससे जंगलों को आग से बचाया जा सकेगा और महिला वर्ग की आर्थिकी भी सुदृढ़ होगी.

pine based training camp in nahan
नाहन में चीड़ प्रशिक्षण शिविर
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Published : Apr 27, 2022, 1:59 PM IST

Updated : Apr 27, 2022, 2:09 PM IST

नाहन: प्रदेश सहित जिला सिरमौर में अनेक स्थानों पर वनों में चीड़ के जंगल पाए जाते (Sirmaur Forest Department) हैं. चीड़ से इन दिनों गिरी पत्तियां अक्सर वनों में आग का बड़ा कारण बनती हैं. लेकिन इन पत्तियों को उपयोग में लाकर जहां जंगलों को आग से बचाया जा सकता है, तो वहीं यह पत्तियां रोजगार का एक साधन भी बन सकती हैं. खासकर महिला वर्ग इसमें भाग लेकर अपनी आर्थिकी को भी सुदृढ़ कर सकती हैं. इसी को लेकर जिला सिरमौर में पच्छाद के बाग पशोग में वन विभाग ने डीआरडीए के सहयोग से 4 दिवसीय चीड़ आधारित प्रशिक्षण शिविर का आयोजन (pine based training camp in nahan) किया. इसमें विभिन्न महिला मंडलों को चीड़ की पत्तियों से रस्सी, कोयला सहित अन्य उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा.

चीड़ की पत्तियों को रसायन से धोने और मशीनों के माध्यम से साफ करने और फिर कई उत्पाद बनाने के बारे में बताया जाएगा. वन विभाग के प्रयास है कि जिले में जगह-जगह पर ऐसे प्रशिक्षण शिविर लगाए जाएं और महिलाओं को इस रोजगार कार्य से जोड़ा (products from pine leaves) जाए. इस शिविर में ग्रामीण क्षेत्रों की 75 महिलाएं हिस्सा ले रही हैं. दरअसल जिला सिरमौर में करीब 12 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में चीड़ का जंगल फैला है, जहां टनों के हिसाब से चीड़ की सुखी पत्तियां जमीन पर बिखरी देखी जा सकती है. गर्मी का मौसम चल रहा है. ऐसे में आगजनी की स्थिति में यह पत्तियां बारूद का काम करती है.

नाहन में चीड़ प्रशिक्षण शिविर.

इसी समस्या से निपटने के लिए वन विभाग निरंतर प्रयास कर रहा है और जंगलों से चीड़ की पत्तियों को एकत्रित कर महिलाओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगार मुहैया करवाने की दिशा में कार्य कर रहा है, ताकि जंगलों को आग से बचाया जा सके. वहीं वन विभाग के डीएफओ हेडक्वार्टर वेद प्रकाश ने बताया कि चीड़ की पत्तियों से अनेक उपयोगी उत्पाद बनाए जा सकते हैं और वनों को भी आग से बचाया जा सकता है. इसी को ध्यान में रखते हुए महिला आर्थिकी को सुदृढ़ करने के उदेशीय से अनेक प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जा रहे हैं और वैज्ञानिक तरीके से मशीनों के माध्यम से इन्हे प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

वहीं, महिला मंडलों ने भी इस कार्य को बहुत अच्छा बताते हुए स्वरोजगार की ओर एक सार्थक कदम बताया है. प्रशिक्षण शिविर में हिस्सा लेने आई महिला मंडलों की प्रतिनिधियों ने बताया कि यहां पर चीड़ की पत्तियों के बारे में उन्हें प्रशिक्षण दिया जा रहा है और इससे उन्हें अपना खुद का रोजगार करने का एक मंच भी मिलेगा. प्रशिक्षणार्थी महिलाएं कुल मिलाकर जिला सिरमौर में कम ऊंचाई वाले इलाकों में चीड़ बहुत अधिक पाया जाता है और इसकी पत्तियों के उपयोग से महिला वर्ग की आर्थिकी सुदृढ़ करने का भी मंच इस तरह के प्रशिक्षण शिविरों से मिल रहा है.

नाहन: प्रदेश सहित जिला सिरमौर में अनेक स्थानों पर वनों में चीड़ के जंगल पाए जाते (Sirmaur Forest Department) हैं. चीड़ से इन दिनों गिरी पत्तियां अक्सर वनों में आग का बड़ा कारण बनती हैं. लेकिन इन पत्तियों को उपयोग में लाकर जहां जंगलों को आग से बचाया जा सकता है, तो वहीं यह पत्तियां रोजगार का एक साधन भी बन सकती हैं. खासकर महिला वर्ग इसमें भाग लेकर अपनी आर्थिकी को भी सुदृढ़ कर सकती हैं. इसी को लेकर जिला सिरमौर में पच्छाद के बाग पशोग में वन विभाग ने डीआरडीए के सहयोग से 4 दिवसीय चीड़ आधारित प्रशिक्षण शिविर का आयोजन (pine based training camp in nahan) किया. इसमें विभिन्न महिला मंडलों को चीड़ की पत्तियों से रस्सी, कोयला सहित अन्य उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा.

चीड़ की पत्तियों को रसायन से धोने और मशीनों के माध्यम से साफ करने और फिर कई उत्पाद बनाने के बारे में बताया जाएगा. वन विभाग के प्रयास है कि जिले में जगह-जगह पर ऐसे प्रशिक्षण शिविर लगाए जाएं और महिलाओं को इस रोजगार कार्य से जोड़ा (products from pine leaves) जाए. इस शिविर में ग्रामीण क्षेत्रों की 75 महिलाएं हिस्सा ले रही हैं. दरअसल जिला सिरमौर में करीब 12 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में चीड़ का जंगल फैला है, जहां टनों के हिसाब से चीड़ की सुखी पत्तियां जमीन पर बिखरी देखी जा सकती है. गर्मी का मौसम चल रहा है. ऐसे में आगजनी की स्थिति में यह पत्तियां बारूद का काम करती है.

नाहन में चीड़ प्रशिक्षण शिविर.

इसी समस्या से निपटने के लिए वन विभाग निरंतर प्रयास कर रहा है और जंगलों से चीड़ की पत्तियों को एकत्रित कर महिलाओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगार मुहैया करवाने की दिशा में कार्य कर रहा है, ताकि जंगलों को आग से बचाया जा सके. वहीं वन विभाग के डीएफओ हेडक्वार्टर वेद प्रकाश ने बताया कि चीड़ की पत्तियों से अनेक उपयोगी उत्पाद बनाए जा सकते हैं और वनों को भी आग से बचाया जा सकता है. इसी को ध्यान में रखते हुए महिला आर्थिकी को सुदृढ़ करने के उदेशीय से अनेक प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जा रहे हैं और वैज्ञानिक तरीके से मशीनों के माध्यम से इन्हे प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

वहीं, महिला मंडलों ने भी इस कार्य को बहुत अच्छा बताते हुए स्वरोजगार की ओर एक सार्थक कदम बताया है. प्रशिक्षण शिविर में हिस्सा लेने आई महिला मंडलों की प्रतिनिधियों ने बताया कि यहां पर चीड़ की पत्तियों के बारे में उन्हें प्रशिक्षण दिया जा रहा है और इससे उन्हें अपना खुद का रोजगार करने का एक मंच भी मिलेगा. प्रशिक्षणार्थी महिलाएं कुल मिलाकर जिला सिरमौर में कम ऊंचाई वाले इलाकों में चीड़ बहुत अधिक पाया जाता है और इसकी पत्तियों के उपयोग से महिला वर्ग की आर्थिकी सुदृढ़ करने का भी मंच इस तरह के प्रशिक्षण शिविरों से मिल रहा है.

Last Updated : Apr 27, 2022, 2:09 PM IST
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