नाहन: सत्ता और व्यवस्था की लापरवाही से हिमाचल निर्माता डॉ. यशवंत सिंह परमार के सपनों का मिल्क चिलिंग प्लांट सूखता जा रहा है. आलम ये है कि पशु पालक दूध दूध संग्रहण केन्द्र में न देकर दूसरी जगह बेच रहे हैं.
दरअसल सिरमौर का पच्छाद क्षेत्र दूध के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है, क्योंकि यहां पर काफी संख्या में लोग दूध का व्यवसाय करते हैं. इस क्षेत्र में दूध की अच्छी मात्रा को देखते हुए 1976 में बागथन में मिल्क चिलिंग प्लांट खोला गया था, जिसका शुभारंभ हिमाचल निर्माता डॉ. यशवंत सिंह परमार ने किया था.
दूध का संग्रहण करके नाहन केंद्र में भेजा जाता था, लेकिन कुछ समय से यहां दूध का कम संग्रहण हो रहा है. जिससे अन्य क्षेत्रों में दूध की कमी हुई है. मंगलवार को बागथन केंद्र में 250 से 500 लीटर दूध आ रहा है.
पशु पालकों का कहना है कि इलाके में अब भी दूध काफी होता है, लेकिन दूध उत्पादन में पशु फीड आदि महंगा होने के कारण अब लोग सरकारी केंद्र में दूध भेजते हैं. इसके अलावा पशु पालकों का कहना है कि अगर सरकार उनको रियायती दरों पर फीड आदि उपलब्ध करवाएं, तो दूध का संग्रहण बढ़ सकता है.
बागथन के पशु पालक ने बताया कि ये केंद्र बहुत पुराना है और लोग यहां पर दूध भेजते हैं. उन्होंने बताया कि पशु फीड आदि के दाम बढ़ चुके हैं और उन्हें कम मूल्य पर दूध बेचना पड़ता है. वहीं,अगर सरकार उनकी मदद करे तो लाभ हो सकता है. साथ ही बताया कि बागथन में काफी दूध का उत्पादन है, लेकिन दाम न मिलने के कारण वह निजी क्षेत्र में दूध दे रहे हैं.
बता दें कि यदि जल्द इस चिलिंग प्लांट व पशु पालकों की समस्याओं पर सरकार ने ध्यान नहीं दिया, तो वो दिन दूर नहीं, जब हिमाचल निर्माता के सपनों का ये मिल्क चिलिंग प्लांट पूरी तरह से सूख जाएगा.