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सूखता जा रहा है हिमाचल निर्माता के सपनों का मिल्क चिलिंग प्लांट, पशुपालकों ने सरकार से की ये मांग

व्यवस्था की लापरवाही से हिमाचल निर्माता डॉ. यशवंत सिंह परमार के सपनों का मिल्क चिलिंग प्लांट सूखता जा रहा है. सिरमौर का पच्छाद क्षेत्र दूध के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है, क्योंकि यहां पर काफी संख्या में लोग दूध का व्यवसाय करते हैं. ऐसे में 1976 में बागथन में मिल्क चिलिंग प्लांट खोला गया था, जिसका शुभारंभ हिमाचल निर्माता डॉ. यशवंत सिंह परमार ने किया था.

milk chilling plant
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Published : Aug 27, 2019, 10:59 AM IST

नाहन: सत्ता और व्यवस्था की लापरवाही से हिमाचल निर्माता डॉ. यशवंत सिंह परमार के सपनों का मिल्क चिलिंग प्लांट सूखता जा रहा है. आलम ये है कि पशु पालक दूध दूध संग्रहण केन्द्र में न देकर दूसरी जगह बेच रहे हैं.

दरअसल सिरमौर का पच्छाद क्षेत्र दूध के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है, क्योंकि यहां पर काफी संख्या में लोग दूध का व्यवसाय करते हैं. इस क्षेत्र में दूध की अच्छी मात्रा को देखते हुए 1976 में बागथन में मिल्क चिलिंग प्लांट खोला गया था, जिसका शुभारंभ हिमाचल निर्माता डॉ. यशवंत सिंह परमार ने किया था.

दूध का संग्रहण करके नाहन केंद्र में भेजा जाता था, लेकिन कुछ समय से यहां दूध का कम संग्रहण हो रहा है. जिससे अन्य क्षेत्रों में दूध की कमी हुई है. मंगलवार को बागथन केंद्र में 250 से 500 लीटर दूध आ रहा है.
पशु पालकों का कहना है कि इलाके में अब भी दूध काफी होता है, लेकिन दूध उत्पादन में पशु फीड आदि महंगा होने के कारण अब लोग सरकारी केंद्र में दूध भेजते हैं. इसके अलावा पशु पालकों का कहना है कि अगर सरकार उनको रियायती दरों पर फीड आदि उपलब्ध करवाएं, तो दूध का संग्रहण बढ़ सकता है.

वीडियो

बागथन के पशु पालक ने बताया कि ये केंद्र बहुत पुराना है और लोग यहां पर दूध भेजते हैं. उन्होंने बताया कि पशु फीड आदि के दाम बढ़ चुके हैं और उन्हें कम मूल्य पर दूध बेचना पड़ता है. वहीं,अगर सरकार उनकी मदद करे तो लाभ हो सकता है. साथ ही बताया कि बागथन में काफी दूध का उत्पादन है, लेकिन दाम न मिलने के कारण वह निजी क्षेत्र में दूध दे रहे हैं.

बता दें कि यदि जल्द इस चिलिंग प्लांट व पशु पालकों की समस्याओं पर सरकार ने ध्यान नहीं दिया, तो वो दिन दूर नहीं, जब हिमाचल निर्माता के सपनों का ये मिल्क चिलिंग प्लांट पूरी तरह से सूख जाएगा.

नाहन: सत्ता और व्यवस्था की लापरवाही से हिमाचल निर्माता डॉ. यशवंत सिंह परमार के सपनों का मिल्क चिलिंग प्लांट सूखता जा रहा है. आलम ये है कि पशु पालक दूध दूध संग्रहण केन्द्र में न देकर दूसरी जगह बेच रहे हैं.

दरअसल सिरमौर का पच्छाद क्षेत्र दूध के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है, क्योंकि यहां पर काफी संख्या में लोग दूध का व्यवसाय करते हैं. इस क्षेत्र में दूध की अच्छी मात्रा को देखते हुए 1976 में बागथन में मिल्क चिलिंग प्लांट खोला गया था, जिसका शुभारंभ हिमाचल निर्माता डॉ. यशवंत सिंह परमार ने किया था.

दूध का संग्रहण करके नाहन केंद्र में भेजा जाता था, लेकिन कुछ समय से यहां दूध का कम संग्रहण हो रहा है. जिससे अन्य क्षेत्रों में दूध की कमी हुई है. मंगलवार को बागथन केंद्र में 250 से 500 लीटर दूध आ रहा है.
पशु पालकों का कहना है कि इलाके में अब भी दूध काफी होता है, लेकिन दूध उत्पादन में पशु फीड आदि महंगा होने के कारण अब लोग सरकारी केंद्र में दूध भेजते हैं. इसके अलावा पशु पालकों का कहना है कि अगर सरकार उनको रियायती दरों पर फीड आदि उपलब्ध करवाएं, तो दूध का संग्रहण बढ़ सकता है.

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बागथन के पशु पालक ने बताया कि ये केंद्र बहुत पुराना है और लोग यहां पर दूध भेजते हैं. उन्होंने बताया कि पशु फीड आदि के दाम बढ़ चुके हैं और उन्हें कम मूल्य पर दूध बेचना पड़ता है. वहीं,अगर सरकार उनकी मदद करे तो लाभ हो सकता है. साथ ही बताया कि बागथन में काफी दूध का उत्पादन है, लेकिन दाम न मिलने के कारण वह निजी क्षेत्र में दूध दे रहे हैं.

बता दें कि यदि जल्द इस चिलिंग प्लांट व पशु पालकों की समस्याओं पर सरकार ने ध्यान नहीं दिया, तो वो दिन दूर नहीं, जब हिमाचल निर्माता के सपनों का ये मिल्क चिलिंग प्लांट पूरी तरह से सूख जाएगा.

Intro:-धीरे-धीरे कम हुआ दुग्ध संग्रहन, पशु पालकों की मांग दूध उत्पादन बढ़ाने को सुविधाएं दे सरकार
नाहन। सत्ता और व्यवस्था की लापरवाही से हिमाचल निर्माता डा. यशवंत सिंह परमार के सपनों का मिल्क चिलिंग प्लांट सूखता जा रहा है, क्योंकि धीरे-धीरे यहां दूध का संग्रहन कम हो गया है। 


Body:दरअसल सिरमौर जिला का पच्छाद क्षेत्र दूध के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। यहां पर काफी संख्या में लोग दूध का व्यवसायिक उत्पादन करते हैं। इस क्षेत्र में दूध की अच्छी मात्रा को देखते हुए 1976 में बागथन में मिल्क चिलिंग प्लांट खोला गया था, जिसका शुभारंभ हिमाचल निर्माता डा. यशवंत सिंह परमार ने किया था। सारे क्षेत्र का दूध यहां पर संग्रहन किया जाता था और फिर नाहन  केंद्र में भेजा जाता था। मगर पिछले कुछ समय से यहां दूध का कम संग्रहन हो रहा है। इस कारण अन्य क्षेत्रों में भी दूध में कमी आई है। आज बागथन केंद्र में 250 से 500 लीटर दूध आ रहा है। पशु पालकों का कहना है कि इलाके में अब भी दूध काफी होता है, लेकिन दूध उत्पादन में पशु फीड आदि महंगा होने के कारण अब लोग सरकारी केंद्र में दूध भेजते हैं। यदि सरकार उनको रियायती दरों पर फीड आदि उपलब्ध करवाएं तो दूध का संग्रहन यहां बढ़ सकता है। साथ ही दूध के दामों में भी वृद्धि होनी चाहिए। 
उधर बागथन के पशु पालक ने बताया कि यह केंद्र बहुत पुराना है और लोग यहां पर दूध भेजते हैं, लेकिन अब पशु फीड आदि के दाम बढ़ चुके हैं और उन्हें कम मूल्य पर दूध बेचना पड़ता है। यदि सरकार उनकी मदद करे तो लाभ हो सकता है। 
बाइट 1: स्थानीय पशु पालक

वहीं अन्य पशु पालक ने बताया कि बागथन में काफी दूध का उत्पादन है, लेकिन दाम न मिलने के कारण वह निजी क्षेत्र में दूध दे रहे हैं। यहां दूध की बहुत संभावनाएं हैं। यदि सरकार उनकी सहायता करें तो दूध उत्पादन अधिक हो सकता है।
बाइट 2: स्थानीय पशु पालक 


Conclusion:बता दें कि यदि जल्द इस चिलिंग प्लांट व पशु पालकों की समस्याओं पर सरकार ने ध्यान नहीं दिया, तो वह दिन दूर नहीं, जब हिमाचल निर्माता के सपनों का यह मिल्क चिलिंग प्लांट पूरी तरह से सूख जाएगा। 
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