नाहन: सिरमौर जिले में भी लंपी संक्रमण का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है. लंपी संक्रमण जिले में पशुओं पर कहर बरपा रहा है. जिले में अभी तक इस संक्रमण से करीब 800 पशुओं की मौत हो चुकी है. वहीं, हजारों की संख्या में पशु संक्रमित हैं. ऐसे में पशुओं में बढ़ता संक्रमण प्रशासन के लिए भी चिंता का विषय बन रहा है.
नाहन में पत्रकारों से बातचीत के दौरान डीसी सिरमौर राम कुमार गौतम ने कहा कि संक्रमण को रोकने के लिए सिरमौर जिले में कई टीमों का गठन किया गया है, जो सूचना के बाद तुरंत मौके पर पहुंचती हैं. उन्होंने कहा कि लंपी संक्रमण (Lumpy skin disease in himachal) के मामलों में लगातार गिरावट आ रही है. पहले जहां प्रतिदिन 500 मामले सामने आ रहे थे, तो वहीं अब इनकी संख्या घटकर 300 रह गई है.
डीसी ने कहा कि सिरमौर जिला में मौजूदा (Lumpy virus in Sirmaur) समय में 5 हजार के करीब लंपी संक्रमण के एक्टिव मामले हैं, जबकि 7 हजार पशु इस संक्रमण से ठीक हो चुके हैं. उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा पंचायत प्रतिनिधियों से भी इस मामले में सहयोग की अपील की गई है. बता दें कि प्रदेश सहित जिला सिरमौर भी इस संक्रमण से अछूता नहीं रहा है. हालांकि सरकार व प्रशासन बचाव को लेकर हर संभव कदम उठा रहा है.
लंपी वायरस से ऐसे बचाएं अपने पशुओं को: खास (Lumpy Skin Disease Vaccine) तौर से गायों में लगातार फैल रहे लंपी वायरस ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. गौशालाओं के बाहर पशुपालकों के पशु भी लंपी वायरस की चपेट में आने लगे हैं. राज्य सरकार इस वायरस पर नियंत्रण पाने के प्रयास कर रही है लेकिन फिलहाल यह काबू में नहीं आया है. सरकार ने पशुपालकों से अपील की है कि वे जागरूकता (lumpy Virus in Himachal) बरतते हुए अपनी गायों को इस वायरस की चपेट में आने से बचाएं. यह बीमारी लाइलाज है. ऐसे में एहतियात बरतना बेहद जरूरी है.
बचाव ही इलाज है-
1. इस बीमारी के प्रारंभिक लक्षण नजर आने पर पशुओं को दूसरे जानवरों से अलग कर दें. इलाज के लिए नजदीकी पशु चिकित्सा केन्द्र से संपर्क करें.
2. बीमार पशु को चारा पानी और दाने की व्यवस्था अलग बर्तनों में करें.
3. रोग ग्रस्त क्षेत्रों में पशुओं की आवाजाही रोकें.
4. जहां ऐसे पशु हों, वहां नीम के पत्तों को जलाकर धुआं करें, जिससे मक्खी, मच्छर आदि को भगाया जा सके.
5. पशुओं के रहने वाली जगह की दीवारों में आ रही दरार या छेद को चूने से भर दें. इसके साथ कपूर की गोलियां भी रखी जा सकती हैं, इससे मक्खी, मच्छर दूर रहते हैं.
6. जानवरों को बैक्टीरिया फ्री करने के लिए सोडियम हाइपोक्लोराईट के 2 से 3 फीसदी घोल का छिड़काव करें.
7. मरने वाले जानवरों के संपर्क में रही वस्तुओं और जगह को फिनाइल और लाल दवा आदि से साफ कर दें.
8. संक्रामक रोग से मृत पशु को गांव के बाहर लगभग डेढ़ मीटर गहरे गड्ढे में चूने या नमक के साथ दफनाएं.
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