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नाहन में 'जल शक्ति अभियान' की प्रशासन नहीं ले रहा सुध, स्कूली बच्चे बावड़ियों की कर रहे सफाई

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Published : Sep 21, 2019, 9:52 AM IST

प्रदेश में जहां जल शक्ति अभियान चलाया जा रहा है, तो वहीं, शहर की 14 प्राचीन बावड़ियां सरकारी अनदेखी का शिकार हो रही हैं. आलम ये है कि 14 प्राचीन बावड़ियों की सफाई स्कूली बच्चे करते हैं, लेकिन प्रशासन की तरफ से बावड़ियों के लिए कोई कार्य नहीं किया गया.

बावड़ियां

नाहन: शहर के आसपास करीब 14 ऐसी प्राचीन बावड़ियां हैं, जिसमें 12 महीने भरपूर मात्रा में पेयजल उपलब्ध रहता है, लेकिन सरकारी विभागों द्वारा इनकी देखरेख के लिए कार्य नहीं किया जा रहा.

दरअसल पर्यावरण समिति के बैनर तले स्कूली बच्चे ही 14 प्राचीन बावड़ियों की सफाई करते हैं. शहर के साथ लगते शिवपुरी में स्थित एक बावड़ी 150 साल पुरानी है, लेकिन उसकी हालत भी खस्ता है. ऐसी ही अनदेखी का हाल शहर की अन्य बावड़ियों का भी है. खास बात ये है कि इन बावड़ियों में लगाए गए पत्थरों पर प्राचीन शिल्प की कारीगरी आज भी सुरक्षित है.

वीडियो

पर्यावरण समिति अध्यक्ष डॉ. सुरेश जोशी ने बताया कि सरकार द्वारा बावड़ियों की अनदेखी की जा रही है. उन्होंने बताया कि समय-समय पर पर्यावरण समिति के सौजन्य से स्कूली बच्चों की सहायता से ही पेयजल स्रोतों की साफ सफाई की जाती है. इसके अलावा उन्होंने नगर परिषद व आईपीएच विभाग से आग्रह किया है कि बावड़ियों के लिए काम किया जाए और उनका जीर्णोद्धार भी किया जाए.

बता दें कि प्राचीन पेयजल स्रोतों को बचाने के लिए सरकार द्वारा 'जल शक्ति अभियान' चलाया गया है. जल शक्ति अभियान के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में तो पंचायत स्तर पर बेहतरीन कार्य भी हुआ है, लेकिन प्राचीन बावड़िया 'जल शक्ति अभियान' की सफलता की दिशा में सवाल जरूर उठा रही हैं.

नाहन: शहर के आसपास करीब 14 ऐसी प्राचीन बावड़ियां हैं, जिसमें 12 महीने भरपूर मात्रा में पेयजल उपलब्ध रहता है, लेकिन सरकारी विभागों द्वारा इनकी देखरेख के लिए कार्य नहीं किया जा रहा.

दरअसल पर्यावरण समिति के बैनर तले स्कूली बच्चे ही 14 प्राचीन बावड़ियों की सफाई करते हैं. शहर के साथ लगते शिवपुरी में स्थित एक बावड़ी 150 साल पुरानी है, लेकिन उसकी हालत भी खस्ता है. ऐसी ही अनदेखी का हाल शहर की अन्य बावड़ियों का भी है. खास बात ये है कि इन बावड़ियों में लगाए गए पत्थरों पर प्राचीन शिल्प की कारीगरी आज भी सुरक्षित है.

वीडियो

पर्यावरण समिति अध्यक्ष डॉ. सुरेश जोशी ने बताया कि सरकार द्वारा बावड़ियों की अनदेखी की जा रही है. उन्होंने बताया कि समय-समय पर पर्यावरण समिति के सौजन्य से स्कूली बच्चों की सहायता से ही पेयजल स्रोतों की साफ सफाई की जाती है. इसके अलावा उन्होंने नगर परिषद व आईपीएच विभाग से आग्रह किया है कि बावड़ियों के लिए काम किया जाए और उनका जीर्णोद्धार भी किया जाए.

बता दें कि प्राचीन पेयजल स्रोतों को बचाने के लिए सरकार द्वारा 'जल शक्ति अभियान' चलाया गया है. जल शक्ति अभियान के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में तो पंचायत स्तर पर बेहतरीन कार्य भी हुआ है, लेकिन प्राचीन बावड़िया 'जल शक्ति अभियान' की सफलता की दिशा में सवाल जरूर उठा रही हैं.

Intro:- सड़कों के किनारे स्थित पेयजल स्तोत्र तक ही सिमटे, नाहन में करीब 14 प्राचीन बावडियां, केवल स्कूली बच्चों के ही हवाले
नाहन। प्राचीन पेयजल स्रोतों को बचाने के लिए जल शक्ति अभियान चलाया गया है, लेकिन इस अभियान में नाहन शहर की अनदेखी हो रही है। शहर व इसके आसपास करीब 14 ऐसी प्राचीन बावड़िया है, जिसमें 12 महीने भरपूर मात्रा में पेयजल उपलब्ध है। मगर किसी एक बावड़ी की तरफ सरकारी विभागों की जल शक्ति अभियान के तहत नजर नहीं पड़ी। लिहाजा यह बावड़ियां जीर्णोद्धार की राह ताक रही है।


Body:दरअसल पर्यावरण समिति के बैनर तले स्कूली बच्चे ही इन प्राचीन बावडियों की सफाई इत्यादि का कार्य करते हैं। सरकारी स्तर पर इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाए जाते। बात यदि शहर के साथ शिवपुरी में स्थित प्राचीन बावड़ी की ही करें तो यह बावड़ी अपनी अनदेखी खुद बयां कर रही है। जबकि यह बावड़ी करीब 150 साल पुरानी है। कुछ ऐसी ही अनदेखी का हाल शहर की अन्य बावडियों का भी है। खास बात यह है कि इन बावडियों में लगाए गए पत्थरों पर प्राचीन शिल्प की कारीगरी आज भी सुरक्षित है।
पर्यावरण समिति नाहन के अध्यक्ष डॉ सुरेश जोशी ने भी बावडियों की सरकारी स्तर पर अनदेखी के मामले में चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि समय-समय पर पर्यावरण समिति के सौजन्य से स्कूली बच्चों की सहायता से ही इन पेयजल स्रोतों की साफ सफाई की जाती है। शिवपुरी में स्थित बावड़ी भी करीब डेढ़ सौ साल पुरानी है। शहर की बावड़िया बेहद अच्छी अवस्था में है, लेकिन सरकारी स्तर पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने नगर परिषद व आईपीएच विभाग से उम्मीद जताई कि वह पर्यावरण समिति से इन बावडियों के बारे में जानकारी लें और जो बावडियां लोगों के प्रयोग में लाई जा सकती हैं, उनका जीर्णोद्धार किया जाए।
बाइट : डॉ सुरेश जोशी, अध्यक्ष, पर्यावरण समिति नाहन


Conclusion:उल्लेखनीय है कि जल शक्ति अभियान के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में तो पंचायत स्तर पर बेहतरीन कार्य हुआ है, लेकिन जिला मुख्यालय नाहन में खस्ताहाल पड़ी प्राचीन बावड़िया जल शक्ति अभियान की सफलता की दिशा में सवाल जरूर उठा रही है। अब देखना यह होगा कि सरकारी स्तर पर इस दिशा में क्या कदम उठाए जाते हैं।
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