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HRTC नाहन डिपो अब हजारों में सिमटा, बसों में नहीं आ रहे यात्री - एचआरटीसी प्रबंधन नाहन

एचआरटीसी का नाहन डिपो घाटे में चल रहा है. 3 महीने पहले तक नाहन डिपो की रोजाना की कमाई 8 से 9 लाख रूपये तक थी, लेकिन वर्तमान में कोरोना की ऐसी मार पड़ी है कि अब यही लाखों की कमाई हजारों में सिमट कर रह गई है.

HRTC Nahan depot
एचआरटीसी नाहन डिपो
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Published : Jun 12, 2020, 2:35 PM IST

नाहन: वैश्विक महामारी कोरोना के चलते हिमाचल पथ परिवहन निगम को खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है. इसी के तहत एचआरटीसी का नाहन डिपो भी घाटे में चल रहा है. इन दिनों हालात यह हैं कि नाहन डिपो की जितनी कमाई 1 दिन में होती थी, उतनी पिछले 11 दिनों में भी नहीं हुई है.

दरअसल 3 महीने पहले तक नाहन डिपो की रोजाना की कमाई 8 से 9 लाख रूपये तक थी, लेकिन वर्तमान में कोरोना की ऐसी मार पड़ी है कि अब यही लाखों की कमाई हजारों में सिमट कर रह गई है. इसका एक बड़ा कारण सवारियों का न मिलना है. ऐसे में अब जहां की सवारियां मिल रही हैं, उन्हीं रूटों पर बसें भेजी जा रही हैं. हालात यह है कि इन रूटों पर भी डीजल के पैसे तक पूरे नहीं हो पा रहे हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

नाहन बस स्टैंड के प्रभारी सुखराम ठाकुर ने बताया कि कोरोना वायरस के चलते एचआरटीसी की बसों की स्थिति बेहद गंभीर है. 1 जून से बसों का संचालन शुरू किया गया था. अभी तक कोई भी आउटपुट नहीं निकल पा रही है. बसों में हर दिन यात्री और कम होते जा रहे हैं. रूटों पर यात्री न के बराबर ही मिल रहे हैं. जब से नाहन व कालाअंब में कोरोना के मामले सामने आए हैं, तब से यात्री बहुत कम हो गए हैं.

सुखराम ने बताया कि आज से 3 महीने पहले तक प्रतिदिन नाहन डिपो की आमदनी 8 से 9 लाख रुपये थी, लेकिन आज उसकी तुलना में प्रतिदिन कभी 40 हजार, कभी 50 हजार, तो कभी 70 रूपये की ही आमदनी हो रही है. कुल मिलाकर कोरोना वायरस के चलते एचआरटीसी को खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है और यात्री ढूंढने से भी नहीं मिल रहे हैं. इसके चलते एचआरटीसी प्रबंधन को घाटे पर ही बसें चलाने पर विवश होना पड़ रहा है.

ये भी पढ़ें: कालाअंब की ओरिसन फार्मा कंपनी से फिर मिले कोरोना केस, 2 नए मामले आए सामने

नाहन: वैश्विक महामारी कोरोना के चलते हिमाचल पथ परिवहन निगम को खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है. इसी के तहत एचआरटीसी का नाहन डिपो भी घाटे में चल रहा है. इन दिनों हालात यह हैं कि नाहन डिपो की जितनी कमाई 1 दिन में होती थी, उतनी पिछले 11 दिनों में भी नहीं हुई है.

दरअसल 3 महीने पहले तक नाहन डिपो की रोजाना की कमाई 8 से 9 लाख रूपये तक थी, लेकिन वर्तमान में कोरोना की ऐसी मार पड़ी है कि अब यही लाखों की कमाई हजारों में सिमट कर रह गई है. इसका एक बड़ा कारण सवारियों का न मिलना है. ऐसे में अब जहां की सवारियां मिल रही हैं, उन्हीं रूटों पर बसें भेजी जा रही हैं. हालात यह है कि इन रूटों पर भी डीजल के पैसे तक पूरे नहीं हो पा रहे हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

नाहन बस स्टैंड के प्रभारी सुखराम ठाकुर ने बताया कि कोरोना वायरस के चलते एचआरटीसी की बसों की स्थिति बेहद गंभीर है. 1 जून से बसों का संचालन शुरू किया गया था. अभी तक कोई भी आउटपुट नहीं निकल पा रही है. बसों में हर दिन यात्री और कम होते जा रहे हैं. रूटों पर यात्री न के बराबर ही मिल रहे हैं. जब से नाहन व कालाअंब में कोरोना के मामले सामने आए हैं, तब से यात्री बहुत कम हो गए हैं.

सुखराम ने बताया कि आज से 3 महीने पहले तक प्रतिदिन नाहन डिपो की आमदनी 8 से 9 लाख रुपये थी, लेकिन आज उसकी तुलना में प्रतिदिन कभी 40 हजार, कभी 50 हजार, तो कभी 70 रूपये की ही आमदनी हो रही है. कुल मिलाकर कोरोना वायरस के चलते एचआरटीसी को खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है और यात्री ढूंढने से भी नहीं मिल रहे हैं. इसके चलते एचआरटीसी प्रबंधन को घाटे पर ही बसें चलाने पर विवश होना पड़ रहा है.

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