मंडीः निर्वासित तिब्बती संसद के उपाध्यक्ष आचार्य येशी फुंचोंक ने मंडी में प्रेस वार्ता को संबोधित किया. उन्होंने चीन पर निशाना साधते हुए कहा कि तिब्बत और अन्य पड़ोसी देशों को भारत के खिलाफ उकसाने का काम कर रहा है, जिसका फायदा उठाकर चीन अपनी सीमाओं का विस्तार करने में जुट हुआ है. जब तक तिब्बत का मसला हल नहीं हो जाता तब तक चीन का सीमा विवाद नहीं थम सकता.
आचार्य येशी फुंचोंक ने कहा कि तिब्बत को आजाद हुए भले ही 62 वर्ष होने वाले हैं, लेकिन चीन वहां पर लगातार तिब्बत की संस्कृति और सभ्यता को समाप्त करने पर तुला हुआ है. जिसका समाधान तिब्बत ने भारत की सरकार से जल्द करने की मांग उठाई है.
तिब्बत में चीन कर रही तानाशाही
येशी फुंसुक ने बताया कि भारत के साथ तिब्बत की सीमा, रहन-सहन और जलवायु मेल खाती है, लेकिन चीन हमेशा भारत के पड़ोसी देशों का उकसाने में लगा रहता है. उन्होंने बाताया कि तिब्बत को बचाने के लिए वहां के निवासी कई प्रकार के बलिदान आए दिन देते हैं, लेकिन चीन तिब्बत में तानाशाही करने से पीछे नहीं हटता है.
दलाई लामा उत्तराधिकारी का करेंगे चयन
इसके साथ ही उन्होंने लामा के अवतारों पर चीन की ओर से अपना हक जताने की भी कड़ी निंदा की है. उन्होंने बताया कि दलाई लामा ही अवतार है और वे ही आने वाले समय में अपने उत्तराधिकारी का चयन करेंगे.
उत्तराखंड की जल तबाही में चीन का हाथ
येशी ने उत्तराखंड में हुई जल तबाही के पीछे भी कहीं न कहीं चीन का हाथ होने की आशंका भी जताई है. उन्होंने कहा कि भारत-तिब्बत के रिश्तों को चीन खराब करने की कोशिश में लगा है, लेकिन वह अपने नामाक मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाएगा. इस मौके पर उनके साथ मंडी तिब्बत समुदाय के लोग व भारत-तिब्बत मैत्री संगठन से दिनेश कुमार व अन्य सदस्य भी मौजूद रहे.
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