मंडी: वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से समाज के हर वर्ग को परेशानी झेलनी पड़ी है. कुछ तो इतने मजबूर हैं कि उन्हें अब अपना भविष्य तक धुंधला नजर आने लगा है. इनमें कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो आगे चलकर देश का नाम रोशन करने का सुनहरा सपना तक संजोये हुए हैं और इसके लिए कड़ी मेहनत भी करते आ रहे हैं लेकिन कोरोना ने आर्थिक तौर पर ऐसी कमर तोड़ी कि अब वो सुनहरा सपना भी इन्हें डराने लगा है.
ऐसे ही बेरोजगारी से जूझ रहे जिला मंडी के नेशनल रेस्लर अजय कुमार और राकेश कुमार. अजय कुमार पांच नेशनल खेल कर घर में बेरोजगार है. वहीं, राकेश कुमार तीन बार नेशनल लेवल पर कुश्ती में प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर नेशनल हाईवे 21 के किनारे सुंदरनगर में गन्ने का जूस बेच कर परिवार का गुजारा कर रहे हैं.
वहीं, दोनों खिलाड़ियों ने कहा कि उन्होंने आईटीआई डिप्लोमा किया है लेकिन इसके बावजूद बिजली विभाग में खिलाड़ियों के लिए 3 प्रतिशत कोटे के तहत लाइनमैन और अन्य पद भरने के लिए कुश्ती, बॉक्सिंग व जूडो के खिलाड़ियों को योग्य करार नहीं दिया जा रहा है.
इस समस्या को लेकर दोनों खिलाड़ी मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर से भी मदद की गुहार लगा चुके हैं लेकिन आज दिन तक इन दोनों खिलाड़ियों को मात्र कोरे आश्वासन ही हाथ लगे है. राकेश और अजय कुमार ने कुश्ती के साथ अन्य खेलों को बिजली विभाग में शामिल किया जाने की मांग की है.
वहीं, राकेश कुमार ने इस बारे में बिजली विभाग के अधिकारियों से बात की तो उन्होंने भी सरकार का फैसले के अनुसार ही फैसला लेने की बात कही. उन्होंने मांग की है कि जल्द से जल्द कुश्ती खेलों के साथ अन्य खेलों को बिजली विभाग में शामिल किया जाए ताकि वह अपने परिवार का रोजी रोटी का गुजारा कर सकें. राकेश अविवाहित हैं और उनके पिता किसान और माता ग्रहणी हैं और राकेश रोजी रोटी के लिए सुंदरनगर में नेशनल हाईवे 21 के किनारे गन्ने का जूस बेच कर परिवार का गुजारा कर रहे है.
जिला मंडी के बल्ह उपमंडल के लोहारा गांव के 31 वर्षीय कुश्ती खिलाड़ी अजय कुमार ने कहा कि पिछले लंबे समय से कुश्ती खेल में हिमाचल प्रदेश का नेतृत्व कर रहे हैं और अभी मौजूदा समय में 5 नेशनल खेल चुके हैं. उन्होंने कहा कि कुश्ती सहित अन्य खेलों को बिजली विभाग में शामिल करने के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और खेल मंत्री से कई बार मिल चुके हैं लेकिन आश्वासन ही मिल रहा है.
इस विषय पर सरकार की ओर से कोई भी फैसला नहीं लिया गया है. उन्होंने कहा कि कोरोना काल के बीच हम लोग घर पर बेरोजगार बैठे हैं और परिवार की रोजी रोटी के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है. अजय की पत्नी ग्रहणी हैं और उनका 7 महीने की एक बेटी भी है, पिता सीआईएसएफ से सेवानिवृत्त और माता गृहणी हैं.
हिमाचल प्रदेश सरकार के खेल मंत्री राकेश पठानिया ने कहा कि मामला उनके संज्ञान में आया है. अगर खिलाड़ी पात्र होगा तो उसे सरकार की ओर से हर संभव मदद की जाएगी. उन्होंने कहा कि 3 प्रतिशत कोटे के साथ अब खेल मंत्रालय प्रदेश में नई खेल नीति भी लेकर आ रही है. इन सभी पहुलओं को ध्यान में रखा जा रहा है.
राकेश पठानिया ने कहा कि गाइडलाइंस भारत सरकार से आती है और इसको लेकर केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने सहायता करने का पूरा आश्वासन दिया है. कोरोना महामारी ने लोगों की जिंदगी में इतना बुरा प्रभाव डाल दिया है कि नेशनल खिलाड़ी भी अब आर्थिक मंदी की वजह से जूस बेचने को मजबूर है. अब हम यहीं उम्मीद लगा सकते है कि सरकार उनकी हुनर और परेशानी को समझते हुए इनकी सहायता करे.
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