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जाने किन कारणों से पंचायती राज संस्थाओं का चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हो सकते हैं उम्मीदवार

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Published : Dec 24, 2020, 10:38 PM IST

पंचायती राज चुनाव के लिए सामान्य निर्वाचन 2020-21 में नामांकन दर्ज करने के लिए कुछ मानक निर्धारित किए गए हैं. अगर वो इन मानकों के विपरीत होता है तो वो चुनाव के लिए अयोग्य घोषित होगा.

panchayat election in himachal
हिमाचल पंचायत चुनाव

मंडी: पंचायती राज संस्थाओं के सामान्य निर्वाचन 2020-21 में नामांकन दर्ज करने के लिए कुछ मानक निर्धारित किए गए हैं. जिसके तहत व्यक्ति चुनाव लड़ने के योग्य या अयोग्य साबित हो सकता है. हिमाचल प्रदेश पंचायती राज अधिनियम की धारा 122 में दिए प्रावधानों के अनुसार कोई व्यक्ति पंचायत का पदाधिकारी चुने जाने या होने के लिए अयोग्य होगा.

उम्मीदवारों के लिए जरूरी नियम और शर्त कुछ इस प्रकार है...

1. यदि उसकी उम्र सीमा 21 वर्ष नहीं हो.

2. अगर उसे राज्य विधान मंडल के निर्वाचन के प्रयोजन के लिए अयोग्य घोषित किया गया हो.

3. अगर कोई व्यक्ति किसी नैतिक अपराध में दोषी साबित हो गया हो और सजा की 6 वर्ष की कालावधि का अवसान न हुआ हो.

4. अगर वो इस अधिनियम की धारा 180 के अधीन किसी भ्रष्ट आचरण का दोषी पाया गया हो. उसने या उसके परिवार के किन्हीं सदस्यों ने राज्य सरकार, नगरपालिका, पंचायत या सहकारी सोसाइटी की या उसके द्वारा पट्टे पर ली गई या अधिगृहित किसी भूमि का अतिक्रमण किया हो. (‘परिवार का सदस्य’ से अभिप्राय दादा, दादी, पिता, माता, पति-पत्नी, पुत्र (पुत्रों), अविवाहित पुत्री (पुत्रियां) से है.

5. अगर इस अधिनियम के अध्याय 10-क के अधीन निर्वाचन अपराध का दोष सिद्ध ठहराया गया हो.

6.अगर उसे दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2) की धारा 110 के अधीन सदव्यहारके लिए जमानत देने का आदेश दिया गया हो.

7. अगर उसे लोक सेवा से हटाया गया हो या लोक सेवा में नियुक्ति के लिए अयोग्य घोषित किया गया हो.

8. यदि वो पंचायत या किसी स्थानीय प्राधिकरण या सहकारी सोसायटी और राज्य सरकार या केन्द्रीय सरकार के अधीन किसी पब्लिक सेक्टर उपक्रम के नियोजन या सेवा में हो. ('सेवा' या 'नियोजन' के अन्तर्गत पूर्णकालिक, अंशकालिक, दैनिक या संविदा आधार पर नियुक्त किए गए या नियोजित व्यक्ति शमिल होंगे, लेकिन आकस्मिक या समयानुकूल (मौसमी) कार्यों के लिए रखा गया कोई भी व्यक्ति इसके अंर्तगत नहीं होगा.)

9. अगर वो हिमाचल प्रदेश आभ्यासिक अपराधी अधिनियम, 1969 (1970 का 8) के अधीन आभ्यासिक अपराधी के रूप में रजिस्ट्रीकृत हो.

10. अगर उसका प्रत्यक्षत या अप्रत्यक्षत पंचायत के आदेश द्वारा किए गए किसी संकर्म या पंचायत के साथ अधीन यानी उसकी ओर से किसी संविदा या नियोजन में कोई अंश या हित हो.

11. अगर उसने पंचायत द्वारा अधिरोपित किसी कर की बकाया संदत्त नहीं की है या उस द्वारा देय सभा, समिति यानी जिला परिषद निधि की किसी प्रकार की बकाया संदत्त नहीं की है. या उसने कोई ऐसी राशि रख ली है जो सभा, समिति या जिला परिषद निधि का भाग है.

12. अगर वह पंचायत की अभिधृति या पट्टाधृति के अधीन अभिधारी व पट्टाधारी है या पंचायत के अधीन धारित पट्टाधृति या अभिधृति की लगान की बकाया में है.

13. अगर उसे सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 (1955 का 22) के अधीन दण्डनीय किसी अपराध के लिए दोषसिद्ध ठहराया गया हो, जब तक उसकी ऐसी दोषसिद्धि से 6 वर्ष की अवधि का अवसान न हो गया हो.

14. अगर वो राज्य विधान मंडल द्वारा बनाई गई किसी अन्य विधि द्वारा या उसके अधीन इस प्रकार अयोग्य हो.

15. अगर उसने इस अधिनियम के नियमों के अधीन व अपेक्षित कोई मिथ्या घोषणा की हो.

ये भी पढ़ें: शातिराना अंदाज में दुकानदार का गल्ला किया खाली, वारदात सीसीटीवी में कैद

मंडी: पंचायती राज संस्थाओं के सामान्य निर्वाचन 2020-21 में नामांकन दर्ज करने के लिए कुछ मानक निर्धारित किए गए हैं. जिसके तहत व्यक्ति चुनाव लड़ने के योग्य या अयोग्य साबित हो सकता है. हिमाचल प्रदेश पंचायती राज अधिनियम की धारा 122 में दिए प्रावधानों के अनुसार कोई व्यक्ति पंचायत का पदाधिकारी चुने जाने या होने के लिए अयोग्य होगा.

उम्मीदवारों के लिए जरूरी नियम और शर्त कुछ इस प्रकार है...

1. यदि उसकी उम्र सीमा 21 वर्ष नहीं हो.

2. अगर उसे राज्य विधान मंडल के निर्वाचन के प्रयोजन के लिए अयोग्य घोषित किया गया हो.

3. अगर कोई व्यक्ति किसी नैतिक अपराध में दोषी साबित हो गया हो और सजा की 6 वर्ष की कालावधि का अवसान न हुआ हो.

4. अगर वो इस अधिनियम की धारा 180 के अधीन किसी भ्रष्ट आचरण का दोषी पाया गया हो. उसने या उसके परिवार के किन्हीं सदस्यों ने राज्य सरकार, नगरपालिका, पंचायत या सहकारी सोसाइटी की या उसके द्वारा पट्टे पर ली गई या अधिगृहित किसी भूमि का अतिक्रमण किया हो. (‘परिवार का सदस्य’ से अभिप्राय दादा, दादी, पिता, माता, पति-पत्नी, पुत्र (पुत्रों), अविवाहित पुत्री (पुत्रियां) से है.

5. अगर इस अधिनियम के अध्याय 10-क के अधीन निर्वाचन अपराध का दोष सिद्ध ठहराया गया हो.

6.अगर उसे दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2) की धारा 110 के अधीन सदव्यहारके लिए जमानत देने का आदेश दिया गया हो.

7. अगर उसे लोक सेवा से हटाया गया हो या लोक सेवा में नियुक्ति के लिए अयोग्य घोषित किया गया हो.

8. यदि वो पंचायत या किसी स्थानीय प्राधिकरण या सहकारी सोसायटी और राज्य सरकार या केन्द्रीय सरकार के अधीन किसी पब्लिक सेक्टर उपक्रम के नियोजन या सेवा में हो. ('सेवा' या 'नियोजन' के अन्तर्गत पूर्णकालिक, अंशकालिक, दैनिक या संविदा आधार पर नियुक्त किए गए या नियोजित व्यक्ति शमिल होंगे, लेकिन आकस्मिक या समयानुकूल (मौसमी) कार्यों के लिए रखा गया कोई भी व्यक्ति इसके अंर्तगत नहीं होगा.)

9. अगर वो हिमाचल प्रदेश आभ्यासिक अपराधी अधिनियम, 1969 (1970 का 8) के अधीन आभ्यासिक अपराधी के रूप में रजिस्ट्रीकृत हो.

10. अगर उसका प्रत्यक्षत या अप्रत्यक्षत पंचायत के आदेश द्वारा किए गए किसी संकर्म या पंचायत के साथ अधीन यानी उसकी ओर से किसी संविदा या नियोजन में कोई अंश या हित हो.

11. अगर उसने पंचायत द्वारा अधिरोपित किसी कर की बकाया संदत्त नहीं की है या उस द्वारा देय सभा, समिति यानी जिला परिषद निधि की किसी प्रकार की बकाया संदत्त नहीं की है. या उसने कोई ऐसी राशि रख ली है जो सभा, समिति या जिला परिषद निधि का भाग है.

12. अगर वह पंचायत की अभिधृति या पट्टाधृति के अधीन अभिधारी व पट्टाधारी है या पंचायत के अधीन धारित पट्टाधृति या अभिधृति की लगान की बकाया में है.

13. अगर उसे सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 (1955 का 22) के अधीन दण्डनीय किसी अपराध के लिए दोषसिद्ध ठहराया गया हो, जब तक उसकी ऐसी दोषसिद्धि से 6 वर्ष की अवधि का अवसान न हो गया हो.

14. अगर वो राज्य विधान मंडल द्वारा बनाई गई किसी अन्य विधि द्वारा या उसके अधीन इस प्रकार अयोग्य हो.

15. अगर उसने इस अधिनियम के नियमों के अधीन व अपेक्षित कोई मिथ्या घोषणा की हो.

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