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HC पहुंचा IIT मंडी में अनियमितता का मामला, निदेशक-रजिस्‍ट्रार से चार सप्‍ताह में मांगा जवाब

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Published : Jul 10, 2019, 3:18 PM IST

आईआईटी मंडी पर टेंडर, भर्तियों, भाई भतीजावाद जैसी ढेरों अनियमितता के आरोप लगे हैं. याचिकाकर्ता ने 11 जून 2019 को जनहित याचिका दायर की थी. जिसपर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट शिमला ने चार सप्ताह में जवाब तलब किया है.

The HC Shimla asked the IIT Mandi in the case of irregularity

मंडी: चीफ जस्टिस वी. राम सुब्रमण्यन और जस्टिस अनूप चिटकारा की बेंच ने आईआईटी मंडी की अनियमितता की जांच की मांग करने वाली जनहित याचिका में सुनवाई करते हुए आईआईटी मंडी के निदेशक, रजिस्ट्रार एवं बोर्ड ऑफ गवर्नर से चार सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है.

आईआईटी मंडी के पूर्व कर्मचारी सुजीत स्वामी एवं देवांग नाइक की ओर से शिमला हाईकोर्ट में 11 जून को जनहित याचिका दायर की गई थी. जिसमें यूनियन ऑफ इंडिया, मानव विकास संसाधन मंत्रालय सहित 11 अन्य को पार्टी बनाया गया था.

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जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि आईआईटी मंडी में टेंडर, भर्तियों, भाई भतीजावाद जैसी ढेरों अनियमितता है. जिसकी जांच जरुरी है. आईआईटी मंडी में नियम को ताक पर रखकर कार्य किया जा रहा है. केंद्र सरकार के आदेशों के विपरीत छोटे पदों पर भी साक्षात्कार कर अपने चहेतों को भर्ती किया जा रहा है. इसी के साथ याचिका में आईआईटी मंडी के कैंपस में चल रहे निजी स्कूल को खोलने पर भी जांच की मांग की गई है. कैग की रिपोर्ट का हवाला देकर जनता के पैसों के दुरूपयोग का आरोप लगाया गया है.

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याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता देवेन कृष्णन खन्ना ने अपना पक्ष रखा. दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद चीफ जस्टिस वी. राम सुब्रमण्यन और जस्टिस अनूप चिटकारा की बेंच ने आईआईटी मंडी के डायरेक्टर, बोर्ड ऑफ गवर्नर एवं रजिस्ट्रार आईआईटी मंडी से चार सप्ताह में जवाब तलब किया है. जबकि उस जवाब के बाद याचिकाकर्ता से भी अगले चार सप्ताह बाद उसके जवाब में प्रतिउत्तर देने को कहा है. आठ सप्ताह बाद कोर्ट में पुनः सुनवाई के लिए यह मामला लाया जायेगा.

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वहीं, याचिकाकर्ता सुजीत स्‍वामी का कहना है कि 11 जून 2019 को शिमला हाईकोर्ट में केस लगाया था. जिसमें टेंडर में अनियमितता, भर्तियों में अनियमितता, कैंपस में खोले गए निजी स्कूल आदि कई मुद्दों को शामिल करते हुए कोर्ट से एक स्वतंत्र जांच की मांग की है. साथ ही मांग की गई है कि छोटे पदों पर हो रही भर्तियों में साक्षात्कार को तुरंत प्रभाव से बंद करवाया जाए.

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बता दें कि गत वर्ष को आईआईटी मंडी के ही तत्कालीन कर्मचारी सुजीत स्वामी ने 21 मई 2018 को मंडी में ही प्रेस वार्ता कर आईआईटी मंडी की कार्यप्रणाली के ऊपर गंभीर आरोप लगाए थे. उनकी प्रेस वार्ता के कुछ दिन बाद ही आईआईटी के एक ओर तत्कालीन अफसर देवांग नाइक ने भी उनके आरोप को हवा दी और कंस्ट्रक्शन में घोटाले के आरोप आईआईटी मंडी पर लगाए. मामला सांसद रामस्‍वरूप ने लोकसभा में भी उठाया. इसके बाद सुजीत स्वामी को आईआईटी मंडी ने कंडक्ट रूल का हवाला देते हुए नौकरी से बर्खास्त कर दिया था.

मंडी: चीफ जस्टिस वी. राम सुब्रमण्यन और जस्टिस अनूप चिटकारा की बेंच ने आईआईटी मंडी की अनियमितता की जांच की मांग करने वाली जनहित याचिका में सुनवाई करते हुए आईआईटी मंडी के निदेशक, रजिस्ट्रार एवं बोर्ड ऑफ गवर्नर से चार सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है.

आईआईटी मंडी के पूर्व कर्मचारी सुजीत स्वामी एवं देवांग नाइक की ओर से शिमला हाईकोर्ट में 11 जून को जनहित याचिका दायर की गई थी. जिसमें यूनियन ऑफ इंडिया, मानव विकास संसाधन मंत्रालय सहित 11 अन्य को पार्टी बनाया गया था.

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जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि आईआईटी मंडी में टेंडर, भर्तियों, भाई भतीजावाद जैसी ढेरों अनियमितता है. जिसकी जांच जरुरी है. आईआईटी मंडी में नियम को ताक पर रखकर कार्य किया जा रहा है. केंद्र सरकार के आदेशों के विपरीत छोटे पदों पर भी साक्षात्कार कर अपने चहेतों को भर्ती किया जा रहा है. इसी के साथ याचिका में आईआईटी मंडी के कैंपस में चल रहे निजी स्कूल को खोलने पर भी जांच की मांग की गई है. कैग की रिपोर्ट का हवाला देकर जनता के पैसों के दुरूपयोग का आरोप लगाया गया है.

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याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता देवेन कृष्णन खन्ना ने अपना पक्ष रखा. दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद चीफ जस्टिस वी. राम सुब्रमण्यन और जस्टिस अनूप चिटकारा की बेंच ने आईआईटी मंडी के डायरेक्टर, बोर्ड ऑफ गवर्नर एवं रजिस्ट्रार आईआईटी मंडी से चार सप्ताह में जवाब तलब किया है. जबकि उस जवाब के बाद याचिकाकर्ता से भी अगले चार सप्ताह बाद उसके जवाब में प्रतिउत्तर देने को कहा है. आठ सप्ताह बाद कोर्ट में पुनः सुनवाई के लिए यह मामला लाया जायेगा.

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वहीं, याचिकाकर्ता सुजीत स्‍वामी का कहना है कि 11 जून 2019 को शिमला हाईकोर्ट में केस लगाया था. जिसमें टेंडर में अनियमितता, भर्तियों में अनियमितता, कैंपस में खोले गए निजी स्कूल आदि कई मुद्दों को शामिल करते हुए कोर्ट से एक स्वतंत्र जांच की मांग की है. साथ ही मांग की गई है कि छोटे पदों पर हो रही भर्तियों में साक्षात्कार को तुरंत प्रभाव से बंद करवाया जाए.

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बता दें कि गत वर्ष को आईआईटी मंडी के ही तत्कालीन कर्मचारी सुजीत स्वामी ने 21 मई 2018 को मंडी में ही प्रेस वार्ता कर आईआईटी मंडी की कार्यप्रणाली के ऊपर गंभीर आरोप लगाए थे. उनकी प्रेस वार्ता के कुछ दिन बाद ही आईआईटी के एक ओर तत्कालीन अफसर देवांग नाइक ने भी उनके आरोप को हवा दी और कंस्ट्रक्शन में घोटाले के आरोप आईआईटी मंडी पर लगाए. मामला सांसद रामस्‍वरूप ने लोकसभा में भी उठाया. इसके बाद सुजीत स्वामी को आईआईटी मंडी ने कंडक्ट रूल का हवाला देते हुए नौकरी से बर्खास्त कर दिया था.

Intro:मंडी। चीफ जस्टिस वी रामसुब्रमन्यन एवं जस्टिस अनूप चिटकारा की बेंच ने आईआईटी मंडी की अनियमितता की जांच की मांग करने वाली जनहित याचिका में सुनवाई करते हुए आईआईटी मंडी के निदेशक, रजिस्ट्रार एवं बोर्ड ऑफ गवर्नर से चार सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है।
Body:आईआईटी मंडी के पूर्व कर्मचारी सुजीत स्वामी एवं देवांग नाइक की ओर से शिमला हाईकोर्ट में 11 जून को जनहित याचिका दायर की गई थी। जिसमें यूनियन ऑफ इंडिया, मानव विकास संसाधन मंत्रालय सहित 11अन्य को पार्टी बनाया गया था।
जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि आईआईटी मंडी में टेंडर, भर्तियों, भाई भतीजावाद जैसी ढेरों अनियमितत्ता है। जिसकी जांच जरुरी है। आईआईटी मंडी में नियम को ताक पर रखकर कार्य किया जा रहा है। केंद्र सरकार के आदेशों के विपरीत छोटे पदों पर भी साक्षत्कार कर अपने चहेतों को भर्ती किया जा रहा है। इसी के साथ याचिका में आईआईटी मंडी के कैंपस में चल रहे निजी स्कूल को खोलने पर भी जांच की मांग की गई है। कैग की रिपोर्ट का हवाला देकर जनता के पैसों के दुरूपयोग का आरोप लगाया गया है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता देवेन कृष्णन खन्ना ने अपना पक्ष रखा। दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद चीफ जस्टिस वी रामसुब्रमन्यन एवं जस्टिस अनूप चिटकारा की बेंच ने आईआईटी मंडी के डायरेक्टर, बोर्ड ऑफ़ गोएवर्नर एवं रजिस्ट्रार आईआईटी मंडी से चार सप्ताह में जवाब तलब किया है। जबकि उस जवाब के बाद याचिकाकर्ता से भी अगले चार सप्ताह बाद उसके जवाब में प्रतिउत्तर देने को कहा है। आठ सप्ताह बाद कोर्ट में पुनः सुनवाई के लिए यह मामला लाया जायेगा। वहीं याचिका कर्ता सुजीत स्‍वामी का कहना है कि 11 जून 2019 को शिमला हाई कोर्ट में केस लगाया था। जिसमें टेंडर में अनियमितता, भर्तियों में अनियमितता, कैंपस में खोले गए निजी स्कूल आदि कई मुद्दों को शामिल करते हुए कोर्ट से एक स्वतंत्र जांच की मांग की है। साथ ही मांग की गई है कि छोटे पदों पर हो रही भर्तियों में साक्षात्कार को तुरंत प्रभाव से बंद करवाया जाए। कहा कि हमें कोर्ट से न्‍याय की पूरी उम्‍मीद है।
Conclusion:बता दें कि गत वर्ष को आईआईटी मंडी के ही तत्कालीन कर्मचारी सुजीत स्वामी ने 21 मई 2018 को मंडी में ही प्रेस वार्ता कर आईआईटी मंडी की कार्यप्रणाली के ऊपर गंभीर आरोप लगाए थे। उनकी प्रेस वार्ता के कुछ दिन बाद ही आईआईटी के एक ओर तत्कालीन अफसर देवांग नाइक ने भी उनके आरोप को हवा दी और कंस्ट्रक्शन में घोटाले के आरोप आईआईटी मंडी पर लगाए। मामला सांसद रामस्‍वरूप ने लोकसभा में भी उठाया। इसके बाद सुजीत स्वामी को आईआईटी मंडी ने कंडक्ट रूल का हवाला देते हुए नौकरी से बर्खास्त कर दिया था।
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