सुंदरनगर: शारदीय नवरात्रि का आज अंतिम दिन है. आज मां दुर्गा के सिद्धिदात्री रूप की पूजा -अर्चना हिमाचल सहित पूरे देश में की जा रही है. पिछले कल यानि सोमवार रात को सुंदरनगर में पश्चिम बंगाल की तर्ज पर शंख ध्वनि के साथ दुर्गा माता की संधि पूजा विधि -विधान से की गई. सुंदरनगर में पिछले 40 वर्षों से दुर्गा पूजा धूमधाम से की जा रही है. शारदीय नवरात्रि के दौरान यहां पर पहाड़ी और बंगाली संस्कृति का संगम लोगों को आकर्षित करता है. (Shardiya Navratri 2022 )
1982 में हुई शुरुआत: बता दें कि वर्ष 1982 में बंगाल से रहने वाले तत्कालीन मंडी जिले के उपायुक्त बासु चटर्जी ने इस बंगाली परंपरा को सुंदरनगर में शुरू किया था. सुंदरनगर में बंगाली समुदाय के अधिकारी और कर्मचारी अधिक संख्या में मौजूद होने के कारण दुर्गा पूजा उत्सव को शुरू किया गया था. समय के साथ इन लोगों के स्थानांतरण और सुंदरनगर से वापस अपने घर लौट जाने के कारण दुर्गा पूजा का जिम्मा अब स्थानीय महिला समूह और बच्चों के ग्रपु बखूबी निभा रहे हैं. (Former Deputy Commissioner of Mandi Basu Chatterjee)
बंगाल के पंडित कराते पूजा: दुर्गा उत्सव के दौरान पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के चंदनपुर क्षेत्र से संबंधित पंडित शैलेन मुखर्जी बंगाली पद्वति से यहां पर पूजा- अर्चना कर रहे हैं. इस दौरान बंगाली रीति रिवाजों के अनुसार दुर्गा पूजा के दौरान मूर्ति स्थापना, संधि पूजा, भोग, सिंदूर खेला सहित मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है.(Maa Durga Puja in Sundernagar)
संधि पूजा का आकर्षण: दुर्गा पूजा के दौरान सबसे अधिक आकर्षण संधि पूजा का होता है. शारदीय नवरात्रि के दौरान अष्टमी के समाप्त होने से 24 मिनट पहले और नवमी शुरू होने के बाद 24 मिनट इस पूजा का आयोजन किया जाता है. दुर्गा पूजा के दौरान कुल 48 मिनट तक चलने वाली इस विशेष पूजन विधि का महत्व माता दुर्गा का चामुंडा रूप धारण कर रक्तबीज राक्षस का संहार करने से है. इस दौरान दुर्गा माता का एक ही रंग के 108 पुष्पों के साथ विशेष पूजन और श्रद्धालुओं द्वारा संधि पूजा पर 108 दीए जलाए जलाए जाते है.(Bengali Sandhi Durga Puja in mandi)
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