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सूबे के बहुचर्चित 'हूमा देवी हत्याकांड' में आरोपी को उम्रकैद की सजा, कोर्ट ने जुर्माना भी भरने के दिए आदेश

6 जनवरी 2015 को शिकायतकर्ता ने औट पुलिस थाना में दर्ज कराई थी रिपोर्ट. 4 साल बाद हूमादेवी की हत्या के आरोपी को उम्रकैद की सजा. जिला न्यायवादी कुलभूषण गौतम ने 26 गवाहों के बयान कलमबंद करवा कर आरोपी के खिलाफ अभियोग साबित किया.

हूमा देवी हत्याकांड में आरोपी को उम्रकैद की सजा
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Published : Mar 20, 2019, 4:45 AM IST

मंडी: सूबे के बहुचर्चित हत्याकांड मामले में मंगलवार को जिला सत्र न्यायाधीश मंडी की अदालत ने आरोपी को आजीवन कैद की सजा सुनाई है. इसके अलावा कोर्ट ने 25 हजार रुपये जुर्माना भी अदा करने के आदेश भी दिए हैं. आरोपी को तय समय में जुर्माना अदा न करने पर छह-छह माह की अतिरिक्त कठोर और साधारण कारावास की सजा भुगतनी होगी.

sentence to life imprisonment
हूमा देवी हत्याकांड में आरोपी को उम्रकैद की सजा

न्यायधीश आर के शर्मा की विशेष अदालत ने बालीचौकी तहसील के राही गांव निवासी थलिया राम उर्फ नागू के खिलाफ विभिन्न धाराओं में अभियोग सिद्ध होने पर उम्रकैद की सजा सुनाई है.

अभियोजन पक्ष के अनुसार 6 जनवरी 2015 को शिकायतकर्ता मणी राम ने औट पुलिस थाना में रपट दर्ज करवाई थी कि विगत 1 जनवरी 2015 को वह बालीचौकी से शाम करीब 4 बजे घर पहुंचा तो घर में उसकी 25 वर्षीय अविवाहित बेटी हूमा देवी नहीं मिली. शिकायतकर्ता की पत्नी ने उन्हें बताया कि वह अपनी बहन के घर सैंज बरमारी गांव गई है. शिकायतकर्ता ने जब अपनी बेटी हिरा देवी से इस बारे में पूछा तो उसने बताया कि हूमा उसके घर नहीं आई है. जिस पर शिकायतकर्ता ने अपने रिश्तेदारों के पास तथा विभिन्न जगहों पर हूमा देवी की तलाश की लेकिन उसका कोई पता न चल सका. इसके बाद शिकायतकर्ता को पता चला कि आरोपी थलिया राम ने हूमा को शादी का झांसा दिया है. जिस पर उन्होंने आरोपी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाई थी.

पुलिस ने आरोपी को हिरासत में लेकर उससे पूछताछ की तो आरोपी ने बंशगढ़ में एक गुफा से दबाया गया हूमा देवी का गला-सड़ा शव बरामद करवाया था. पुलिस ने आरोपी के खिलाफ तहकीकात पूरी करने के बाद अदालत में अभियोग चलाया था. अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी करते हुए जिला न्यायवादी कुलभूषण गौतम ने 26 गवाहों के बयान कलमबंद करवा कर आरोपी के खिलाफ अभियोग साबित किया.

अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तुत साक्ष्यों से आरोपी के खिलाफ हूमा देवी को अगवा करने, उसकी हत्या करने, शव को एक गुफा में दबा कर साक्ष्यों को नष्ट करने और अनुसूचित जाति की होने के कारण उस पर अत्याचार करने का अभियोग संदेह की छाया से दूर साबित हुआ है. जिसके चलते अदालत ने आरोपी को उम्र कैद तथा उक्त जुर्माना राशि अदा करने का फैसला सुनाया है.

मंडी: सूबे के बहुचर्चित हत्याकांड मामले में मंगलवार को जिला सत्र न्यायाधीश मंडी की अदालत ने आरोपी को आजीवन कैद की सजा सुनाई है. इसके अलावा कोर्ट ने 25 हजार रुपये जुर्माना भी अदा करने के आदेश भी दिए हैं. आरोपी को तय समय में जुर्माना अदा न करने पर छह-छह माह की अतिरिक्त कठोर और साधारण कारावास की सजा भुगतनी होगी.

sentence to life imprisonment
हूमा देवी हत्याकांड में आरोपी को उम्रकैद की सजा

न्यायधीश आर के शर्मा की विशेष अदालत ने बालीचौकी तहसील के राही गांव निवासी थलिया राम उर्फ नागू के खिलाफ विभिन्न धाराओं में अभियोग सिद्ध होने पर उम्रकैद की सजा सुनाई है.

अभियोजन पक्ष के अनुसार 6 जनवरी 2015 को शिकायतकर्ता मणी राम ने औट पुलिस थाना में रपट दर्ज करवाई थी कि विगत 1 जनवरी 2015 को वह बालीचौकी से शाम करीब 4 बजे घर पहुंचा तो घर में उसकी 25 वर्षीय अविवाहित बेटी हूमा देवी नहीं मिली. शिकायतकर्ता की पत्नी ने उन्हें बताया कि वह अपनी बहन के घर सैंज बरमारी गांव गई है. शिकायतकर्ता ने जब अपनी बेटी हिरा देवी से इस बारे में पूछा तो उसने बताया कि हूमा उसके घर नहीं आई है. जिस पर शिकायतकर्ता ने अपने रिश्तेदारों के पास तथा विभिन्न जगहों पर हूमा देवी की तलाश की लेकिन उसका कोई पता न चल सका. इसके बाद शिकायतकर्ता को पता चला कि आरोपी थलिया राम ने हूमा को शादी का झांसा दिया है. जिस पर उन्होंने आरोपी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाई थी.

पुलिस ने आरोपी को हिरासत में लेकर उससे पूछताछ की तो आरोपी ने बंशगढ़ में एक गुफा से दबाया गया हूमा देवी का गला-सड़ा शव बरामद करवाया था. पुलिस ने आरोपी के खिलाफ तहकीकात पूरी करने के बाद अदालत में अभियोग चलाया था. अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी करते हुए जिला न्यायवादी कुलभूषण गौतम ने 26 गवाहों के बयान कलमबंद करवा कर आरोपी के खिलाफ अभियोग साबित किया.

अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तुत साक्ष्यों से आरोपी के खिलाफ हूमा देवी को अगवा करने, उसकी हत्या करने, शव को एक गुफा में दबा कर साक्ष्यों को नष्ट करने और अनुसूचित जाति की होने के कारण उस पर अत्याचार करने का अभियोग संदेह की छाया से दूर साबित हुआ है. जिसके चलते अदालत ने आरोपी को उम्र कैद तथा उक्त जुर्माना राशि अदा करने का फैसला सुनाया है.

बहुचर्चित हूमा देवी हत्याकांड के आरोपी को उम्र कैद की सजा 

मंडी। बहुचर्चित हूमा देवी हत्याकांड के आरोपी को अदालत ने उम्र कैद की सजा का फैसला सुनाया है। इसके अलावा आरोपी को 25 हजार रूपये जुर्माना भी अदा करना होगा। जिला एवं सत्र न्यायधीश आर के शर्मा की विशेष अदालत ने बालीचौकी तहसील के राही गांव निवासी थलिया राम उर्फ नागू के खिलाफ भादंस की धारा 302, 366, 364, 201 और अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निरोधक अधिनियम की धारा 3 के तहत अभियोग साबित होने पर क्रमशः उम्र कैद, पांच-2 साल कठोर तथा साधारण कारावास की सजा और 25 हजार रूपये जुर्माने की सजा सुनाई है। 
आरोपी के निश्चित समय में जुर्माना अदा न करने पर उसे छह-छह माह के अतिरिक्त कठोर और साधारण कारावास की सजा भुगतनी होगी। ये सभी सजाएं एक साथ चलेंगी। अभियोजन पक्ष के अनुसार 6 जनवरी 2015 को शिकायतकर्ता मणी राम ने औट पुलिस थाना में रपट दर्ज करवाई थी कि विगत 1 जनवरी 2015 को वह बालीचौकी से शाम करीब 4 बजे घर पहुंचा तो घर में उसकी 25 वर्षीय अविवाहित बेटी हूमा देवी नहीं मिली। शिकायतकर्ता की पत्नी ने उन्हें बताया कि वह अपनी बहन के घर सैंज बरमारी गांव गई है। शिकायतकर्ता ने जब अपनी बेटी हिरा देवी से इस बारे में पूछा तो उसने बताया कि हूमा उसके घर नहीं आई है। जिस पर शिकायतकर्ता ने अपने रिश्तेदारों के पास तथा विभिन्न जगहों पर हूमा देवी की तलाश की लेकिन उसका कोई पता न चल सका। इसके बाद शिकायतकर्ता को पता चला कि आरोपी थलिया राम ने हूमा को शादी का झांसा दिया है। जिस पर उन्होने आरोपी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाई थी। पुलिस ने आरोपी को हिरासत में लेकर उससे पूछताछ की तो आरोपी ने बंशगढ में एक गुफा से दबाया गया हूमा देवी का गला-सड़ा शव बरामद करवाया था। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ तहकीकात पूरी करने के बाद अदालत में अभियोग चलाया था। अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी करते हुए जिला न्यायवादी कुलभूषण गौतम ने 26 गवाहों के ब्यान कलमबंद करवा कर आरोपी के खिलाफ अभियोग साबित किया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तुत साक्ष्यों से आरोपी के खिलाफ हूमा देवी को अगवा करने, उसकी हत्या करने, शव को एक गुफा में दबा कर साक्ष्यों को नष्ट करने और अनुसूचित जाति की होने के कारण उस पर अत्याचार करने का अभियोग संदेह की छाया से दूर साबित हुआ है। जिसके चलते अदालत ने आरोपी को उम्र कैद तथा उक्त जुर्माना राशि अदा करने का फैसला सुनाया है।   
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