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यहां नदी के ऊपर झूले में झूल रही है लोगों की जिंदगी! पूर्व सरकार की घोषणा के बावजूद नहीं बना पुल - मंडी में सड़क की परेशानी

मंडी के करसोग में पड़ने वाले परलोग पंचायत में सड़क सुविधा न होने से बच्चों सहित स्थानीय जनता को सतलुज नदी के ऊपर बने झूले पर जान जोखिम में डालकर सफर करना पड़ता है. जिससे वहां के लोगों को हमेशा कोई दुर्घटना होने का खतरा बना रहता है. सतलुज नदी पर पंदोआ और बेलू ढांक में पुल बनाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने 9 जून 2015 को घोषणा की थी, लेकिन इसके बाद भी लोगों को पुल सुविधा नहीं मिल पाई है.

road problem in mandi
सतलुज नदी पर बने झूले से स्कूल जाते बच्चे
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Published : Jan 23, 2020, 11:41 PM IST

करसोग: जिला मंडी के करसोग में पड़ने वाले परलोग पंचायत के लोगों को सतलुज नदी के ऊपर बने झूले पर जान जोखिम में डालकर सफर करना पड़ता है. स्कूल जाने के बच्चे और काम पर जाने के लिए लोगों को हर दिन झूले से दो-चार होना पड़ता है. इतना ही नहीं गांव के बुजुर्ग, बीमार व्यक्ति और गर्भवती महिलाओं को इसी झूले से होकर अस्पताल जाना पड़ता है.

क्षेत्र के बच्चे जिंदगी में कुछ बनने के लिए हर रोज अपने गांव से शिमला जिला के तहत आने वाले पंदोआ के सरकारी स्कूल में पढ़ने जाते हैं. परलोग वासी जिस झूले से होकर आरपार जाते हैं, वो झूला बहुत पुराना हो चुका है, जिससे दुर्घटना होने का खतरा बना रहता है. ऐसे में परिजनों ने अपनी इस समस्या से सरकार को कई बार अवगत कराया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.

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पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र ने की थी दो करोड़ की घोषणा

बता दें कि सतलुज नदी पर पंदोआ और बेलू ढांक में पुल बनाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने 9 जून 2015 को घोषणा की थी, लेकिन इसके बाद भी लोगों को पुल की सुविधा नहीं मिल पाई है. हालांकि जिस स्थान पर पुल लगाया जाना था, वो इलाका तत्कालीन मुख्यमंत्री और शिमला ग्रामीण के विधायक रहे वीरभद्र सिंह का क्षेत्र था. ऐसे में लोगों का अंदेशा है कि कहीं पुल राजनीति की भेंट तो नहीं चढ़ गया.

ये भी पढ़ें: खेलो इंडिया-2020 का समापन, हिमाचल की झोली में आए सात पदक

स्थानीय निवासी रविकांत ने बताया कि स्कूल जाने वाले छोटे बच्चों, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाओं और बीमार लोगों को पुल न होने से भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. उन्होंने बताया कि पुल न होने से पहले भी हादसे हो चुके हैं.

प्रधान तिलक ने बताया कि बेलू ढांग से पंदोआ सतलूज पर जो झूला है, वहां से बच्चे जान जोखिम में डाल कर नदी पार करते हैं. उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने 9 जून 2015 को 2 करोड़ की लागत से पुल लगाए जाने की घोषणा की थी. जिसके बाद यहां टेस्टिंग भी की जा चुकी है, लेकिन आज तक काम शुरू नहीं हुआ है.

करसोग: जिला मंडी के करसोग में पड़ने वाले परलोग पंचायत के लोगों को सतलुज नदी के ऊपर बने झूले पर जान जोखिम में डालकर सफर करना पड़ता है. स्कूल जाने के बच्चे और काम पर जाने के लिए लोगों को हर दिन झूले से दो-चार होना पड़ता है. इतना ही नहीं गांव के बुजुर्ग, बीमार व्यक्ति और गर्भवती महिलाओं को इसी झूले से होकर अस्पताल जाना पड़ता है.

क्षेत्र के बच्चे जिंदगी में कुछ बनने के लिए हर रोज अपने गांव से शिमला जिला के तहत आने वाले पंदोआ के सरकारी स्कूल में पढ़ने जाते हैं. परलोग वासी जिस झूले से होकर आरपार जाते हैं, वो झूला बहुत पुराना हो चुका है, जिससे दुर्घटना होने का खतरा बना रहता है. ऐसे में परिजनों ने अपनी इस समस्या से सरकार को कई बार अवगत कराया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.

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पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र ने की थी दो करोड़ की घोषणा

बता दें कि सतलुज नदी पर पंदोआ और बेलू ढांक में पुल बनाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने 9 जून 2015 को घोषणा की थी, लेकिन इसके बाद भी लोगों को पुल की सुविधा नहीं मिल पाई है. हालांकि जिस स्थान पर पुल लगाया जाना था, वो इलाका तत्कालीन मुख्यमंत्री और शिमला ग्रामीण के विधायक रहे वीरभद्र सिंह का क्षेत्र था. ऐसे में लोगों का अंदेशा है कि कहीं पुल राजनीति की भेंट तो नहीं चढ़ गया.

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स्थानीय निवासी रविकांत ने बताया कि स्कूल जाने वाले छोटे बच्चों, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाओं और बीमार लोगों को पुल न होने से भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. उन्होंने बताया कि पुल न होने से पहले भी हादसे हो चुके हैं.

प्रधान तिलक ने बताया कि बेलू ढांग से पंदोआ सतलूज पर जो झूला है, वहां से बच्चे जान जोखिम में डाल कर नदी पार करते हैं. उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने 9 जून 2015 को 2 करोड़ की लागत से पुल लगाए जाने की घोषणा की थी. जिसके बाद यहां टेस्टिंग भी की जा चुकी है, लेकिन आज तक काम शुरू नहीं हुआ है.

Intro:विश्व के विकसित देशों की तर्ज पर भले ही देश में अब बुलेट ट्रैन चलाए जाने का सपना देखा जा रहा हो, लेकिन आजादी के आठवें दशक में भी लोगों की जिंदगी सतलुज नदी पर बने झूले के बीच झूल रही है। Body:

यहां बात हो रही है शिमला जिला के तहत पड़ने वाले पंदोआ और मंडी जिला के तहत परलोग के बेलू ढांक की इन दोनों ही गांव के बीच पड़ने वाली सतलुज नदी पर लोग आज भी जान जोखिम में डालकर सफर करने को मजबूर है। लोग लंबे समय से इस नदी पर पुल निर्माण की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक बदल चुकी किसी भी सरकार में लोगों की कोई सुनवाई नहीं हुई।
करसोग में पड़ने वाले परलोग पंचायत के 35 बच्चों सहित गांव के लोग हर रोज आरपार जाने के लिए सतलुज नदी के ऊपर बने झूले पर जान जोखिम में डालकर सफर करते हैं। यही नहीं गांव के बुजुर्ग, बीमार व्यक्ति और गर्भवती महिलाओं को इसी झूले से होकर अस्पताल जाना पड़ता है। दख़ासकर देश का भविष्य कहलाए जाने वाले बच्चे जिंदगी में कुछ बनने के लिए हर रोज अपने गांव से शिमला जिला के अंतर्गत पंदोआ के सरकारी स्कूल में पढ़ने जाते हैं। परलोग वासी जिस झूले से होकर आरपार जाते हैं, वो झूला बहुत पुराना हो चुका है। पार ऐसे में यहां हमेशा दुर्धटना का अंदेशा बना रहता है। ऐसे में पेरेंट्स को हमेशा बच्चों के सकुशल लौटने की चिंता सताती रहती है। इसको देखते हुए ग्रामीण कई बार मामले को सरकार से उठा चुके हैं। यही नही बच्चों को झूला आरपार करते वक्त का वीडियो सोशल मीडिया पर बार बार वायरल हो रहा है। इसके बाद भी लोगों की समस्या का उचित समाधान नहीं हुआ है।

पूर्व मुख्य मंत्री वीरभद्र ने की थी दो करोड़ की घोषणा:

सतलुज नदी पर पंदोआ और बेलू ढांक में पुल बनाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने 9 जून 2015 को घोषणा की थी, लेकिन इसके बाद भी लोगों को पुल की सुविधा नहीं मिल पाई है। हालांकि जिस स्थान पर पुल लगाया जाना था, वो इलाका शिमला ग्रामीण से विधायक रहे और फिर सरकार की बागडोर संभालने वाले तत्कालिन मुख्यमंत्री और शिमला ग्रामीण के विधयाक रहे वीरभद्र का अपना ही विधानसभा क्षेत्र था। अब प्रदेश में भाजपा सरकार है, ऐसे में लोगों का अंदेशा है कि कहीं पुल राजनीति की भेंट न चढ़ गया हो।


गांव के नौजवान रविकांत का कहना है कि स्कूल जाने वाले छोटे बच्चों सहित बुजुर्ग, प्रेग्नेंट महिलाओं व बीमार लोगों को पुल न होने से भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। यहां पुल न होने से पहले भी हादसे हो चुके हैं। उन्होंने सरकार से पुल निर्माण का आग्रह किया है।






Conclusion:गांव के प्रधान तिलक का कहना है कि - बेलू ढांग से पंदोआ सतलूज पर जो झूला है, वहां से बच्चे जान जोखिम में डाल कर नदी क्रॉस करते हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने 9 जून 2015 को 2 करोड़ की लागत से पुल लगाए जाने की घोषणा की थी। जिसके बाद यहां टेस्टिंग भी की जा चुकी है, लेकिन आज तक काम शुरू नहीं हुआ है।
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