करसोग: जिला मंडी के करसोग में पड़ने वाले परलोग पंचायत के लोगों को सतलुज नदी के ऊपर बने झूले पर जान जोखिम में डालकर सफर करना पड़ता है. स्कूल जाने के बच्चे और काम पर जाने के लिए लोगों को हर दिन झूले से दो-चार होना पड़ता है. इतना ही नहीं गांव के बुजुर्ग, बीमार व्यक्ति और गर्भवती महिलाओं को इसी झूले से होकर अस्पताल जाना पड़ता है.
क्षेत्र के बच्चे जिंदगी में कुछ बनने के लिए हर रोज अपने गांव से शिमला जिला के तहत आने वाले पंदोआ के सरकारी स्कूल में पढ़ने जाते हैं. परलोग वासी जिस झूले से होकर आरपार जाते हैं, वो झूला बहुत पुराना हो चुका है, जिससे दुर्घटना होने का खतरा बना रहता है. ऐसे में परिजनों ने अपनी इस समस्या से सरकार को कई बार अवगत कराया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.
पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र ने की थी दो करोड़ की घोषणा
बता दें कि सतलुज नदी पर पंदोआ और बेलू ढांक में पुल बनाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने 9 जून 2015 को घोषणा की थी, लेकिन इसके बाद भी लोगों को पुल की सुविधा नहीं मिल पाई है. हालांकि जिस स्थान पर पुल लगाया जाना था, वो इलाका तत्कालीन मुख्यमंत्री और शिमला ग्रामीण के विधायक रहे वीरभद्र सिंह का क्षेत्र था. ऐसे में लोगों का अंदेशा है कि कहीं पुल राजनीति की भेंट तो नहीं चढ़ गया.
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स्थानीय निवासी रविकांत ने बताया कि स्कूल जाने वाले छोटे बच्चों, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाओं और बीमार लोगों को पुल न होने से भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. उन्होंने बताया कि पुल न होने से पहले भी हादसे हो चुके हैं.
प्रधान तिलक ने बताया कि बेलू ढांग से पंदोआ सतलूज पर जो झूला है, वहां से बच्चे जान जोखिम में डाल कर नदी पार करते हैं. उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने 9 जून 2015 को 2 करोड़ की लागत से पुल लगाए जाने की घोषणा की थी. जिसके बाद यहां टेस्टिंग भी की जा चुकी है, लेकिन आज तक काम शुरू नहीं हुआ है.