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मनरेगा बनी लोगों की मुसीबत, जनप्रतिनिधियों ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा - MGNREGA workersdaily wages

करसोग में मनरेगा श्रमिकों की दिहाड़ी का भुगतान (MGNREGA workers in Karsog) और निर्माण सामग्री की पेमेंट न होने का मामला अब तूल पकड़ने लगा है. जन प्रतिनिधियों का कहना है कि पंचायतों में शुरू किए गए पिछले सभी कार्य पूरे हो चुके हैं, लेकिन श्रमिकों के खाते में मजदूरी न डलने और निर्माण सामग्री की पेमेंट न होने से विकास कार्यों प्रभावित हो रहे हैं. वहीं, चुराग और करसोग के जन प्रतिनिधियों ने रोष प्रकट करते हुए मनरेगा के तहत हुए कार्यों की पेमेंट जारी करने की मांग (MGNREGA in Himachal Pradesh) की है.

MGNREGA workers non-payment of daily wages
दिहाड़ी का भुगतान नहीं होने से करसोग में मनरेगा श्रमिक परेशान
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Published : Apr 30, 2022, 10:41 PM IST

करसोग/मंडी: केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी मनरेगा योजना ग्रामीणों के लिए मुसीबत बन गई है. करसोग में मनरेगा श्रमिकों की दिहाड़ी का भुगतान (MGNREGA workers in Karsog) और निर्माण सामग्री की पेमेंट न होने का मामला अब तूल पकड़ने लगा है. ग्रामीण इलाकों में मनरेगा के तहत हुए कार्यों की पेमेंट लटकने से कई पंचायतों में विकास कार्यों की रफ्तार भी सुस्त पड़ गई है. ऐसे में ग्रामीणों की पीड़ा को समझते हुए जनप्रतिनिधियों ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा (MGNREGA workers facing problem in Karsog ) खोल दिया है.

इसको लेकर दो विकासखंडों चुराग और करसोग के जन प्रतिनिधियों ने रोष प्रकट करते हुए मनरेगा के तहत हुए कार्यों की पेमेंट जारी करने की मांग (MGNREGA in Himachal Pradesh) की है. ताकि ग्रामीण इलाकों में लोगों को रोजगार मिल सके. जन प्रतिनिधियों का कहना है कि पंचायतों में शुरू किए गए पिछले सभी कार्य पूरे हो चुके हैं, लेकिन श्रमिकों के खाते में मजदूरी न डलने और निर्माण सामग्री की पेमेंट न होने से विकास कार्यों प्रभावित हो रहे हैं.

ऐसे में सरकार तुरंत प्रभाव से मनरेगा के के पैसों का भुगतान कर जनता को राहत प्रदान करें. इस मौके पर कई पंचायतों के प्रधान और उप प्रधान उपस्थित थे. सेरी पंचायत की प्रधान संतोष कुमारी का कहना है कि ग्रामीण इलाकों के विकास के लिए मनरेगा एक महत्वपूर्ण योजना है, लेकिन सरकार मनरेगा की दिहाड़ी और निर्माण सामग्री का पैसा जारी नहीं कर रही है. जिससे लोगों को न तो जरूरत के वक्त रोजगार मिल रहा है और न ही विकास के कार्य हो रहे हैं. इसलिए केंद्र और प्रदेश सरकार से आग्रह है कि मनरेगा के तहत रुकी पेमेंट का तुरंत प्रभाव से भुगतान किया जाए.

वहीं, खादरा पंचायत के प्रधान रमेश कुमार का कहना है कि मनरेगा के तहत समय पर बजट न मिलने से पूरा सिस्टम की प्रभावित हो गया है. उन्होंने कहा कि चुनाव परिणाम आए डेढ़ साल हो गया है, लेकिन मनरेगा के तहत भुगतान न होने (MGNREGA workersdaily wages) से जनप्रतिनिधियों को भी जनता के कार्य करने में दिक्कत हो रही है. ऐसे में सरकार तुरंत समस्या के समाधान करे. उन्होंने विकासखंडों में स्टाफ की कमी दूर करने की भी मांग की है.

इसके अलावा कुफरीधार के उपप्रधान लीलाधर का कहना है कि मनरेगा के अंतर्गत पिछले करीब सात महीनों से भुगतान नहीं हो रहा है. इस कारण पंचायतों में विकास कार्य रुक गए हैं. ऐसे में गरीब लोगों को साल में 50 दिनों का रोजगार भी देना मुश्किल हो गया है. उन्होंने केंद्र और प्रदेश सरकार से तुरंत प्रभाव से पेमेंट जारी किए जाने की मांग की है.

ये भी पढ़ें: मनरेगा में सामग्री खरीद और प्रशासनिक खर्च के लिए हिमाचल को 316. 80 करोड़ जारी

करसोग/मंडी: केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी मनरेगा योजना ग्रामीणों के लिए मुसीबत बन गई है. करसोग में मनरेगा श्रमिकों की दिहाड़ी का भुगतान (MGNREGA workers in Karsog) और निर्माण सामग्री की पेमेंट न होने का मामला अब तूल पकड़ने लगा है. ग्रामीण इलाकों में मनरेगा के तहत हुए कार्यों की पेमेंट लटकने से कई पंचायतों में विकास कार्यों की रफ्तार भी सुस्त पड़ गई है. ऐसे में ग्रामीणों की पीड़ा को समझते हुए जनप्रतिनिधियों ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा (MGNREGA workers facing problem in Karsog ) खोल दिया है.

इसको लेकर दो विकासखंडों चुराग और करसोग के जन प्रतिनिधियों ने रोष प्रकट करते हुए मनरेगा के तहत हुए कार्यों की पेमेंट जारी करने की मांग (MGNREGA in Himachal Pradesh) की है. ताकि ग्रामीण इलाकों में लोगों को रोजगार मिल सके. जन प्रतिनिधियों का कहना है कि पंचायतों में शुरू किए गए पिछले सभी कार्य पूरे हो चुके हैं, लेकिन श्रमिकों के खाते में मजदूरी न डलने और निर्माण सामग्री की पेमेंट न होने से विकास कार्यों प्रभावित हो रहे हैं.

ऐसे में सरकार तुरंत प्रभाव से मनरेगा के के पैसों का भुगतान कर जनता को राहत प्रदान करें. इस मौके पर कई पंचायतों के प्रधान और उप प्रधान उपस्थित थे. सेरी पंचायत की प्रधान संतोष कुमारी का कहना है कि ग्रामीण इलाकों के विकास के लिए मनरेगा एक महत्वपूर्ण योजना है, लेकिन सरकार मनरेगा की दिहाड़ी और निर्माण सामग्री का पैसा जारी नहीं कर रही है. जिससे लोगों को न तो जरूरत के वक्त रोजगार मिल रहा है और न ही विकास के कार्य हो रहे हैं. इसलिए केंद्र और प्रदेश सरकार से आग्रह है कि मनरेगा के तहत रुकी पेमेंट का तुरंत प्रभाव से भुगतान किया जाए.

वहीं, खादरा पंचायत के प्रधान रमेश कुमार का कहना है कि मनरेगा के तहत समय पर बजट न मिलने से पूरा सिस्टम की प्रभावित हो गया है. उन्होंने कहा कि चुनाव परिणाम आए डेढ़ साल हो गया है, लेकिन मनरेगा के तहत भुगतान न होने (MGNREGA workersdaily wages) से जनप्रतिनिधियों को भी जनता के कार्य करने में दिक्कत हो रही है. ऐसे में सरकार तुरंत समस्या के समाधान करे. उन्होंने विकासखंडों में स्टाफ की कमी दूर करने की भी मांग की है.

इसके अलावा कुफरीधार के उपप्रधान लीलाधर का कहना है कि मनरेगा के अंतर्गत पिछले करीब सात महीनों से भुगतान नहीं हो रहा है. इस कारण पंचायतों में विकास कार्य रुक गए हैं. ऐसे में गरीब लोगों को साल में 50 दिनों का रोजगार भी देना मुश्किल हो गया है. उन्होंने केंद्र और प्रदेश सरकार से तुरंत प्रभाव से पेमेंट जारी किए जाने की मांग की है.

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