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प्लाज्मा थैरेपी को लेकर नेरचौक मेडिकल कॉलेज का मंथन, विभागों से मांगी फीडबैक

नेरचौक मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल रजनीश पठानिया की अगुवाई में एक औपचारिक बैठक हुई. जिस बैठक में चर्चा की गई कि लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज में कौन-कौन से संसाधन उपलब्ध है और किन साधनों की उन्हें आवश्यकता पड़ेगी.

Meeting at Nerchowke Hospital regarding plasma therapy
प्लाज्मा थेरेपी को लेकर नेरचौक अस्पताल में बैठक
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Published : May 1, 2020, 6:39 PM IST

मंडी: प्लाज्मा थैरेपी को लेकर लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज में श्री लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज के डीन कम प्रिंसिपल रजनीश पठानिया की अगुवाई में एक औपचारिक बैठक की. बैठक में चर्चा की गई कि लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज में कौन-कौन से संसाधन उपलब्ध है तथा किन किन साधनों के लिए उन्हें आवश्यकताएं पड़ेगी.

इस अवसर पर मल्टीपल डिपार्टमेंट्स के अधिकारियों ने भाग लिया. श्री लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल रजनीश पठानिया ने बताया कि जल्द ही सभी विभाग अपनी जानकारी देंगे, उसके बाद आगे का कदम उठाया जाएगा.

यह भी चर्चा की गई कि हमारे पास कितनी मैन पावर है और हमें कितनी और आवश्यकता पड़ेगी तथा हमारे पास किन संसाधनों की कमी होगी व हमें कहां से उपलब्ध हो पाएंगे. इसके बारे में जल्द ही जायजा लेकर आगे की प्रक्रिया की जाएगी.

बता दें कि देश में कोविड-19 संक्रमण के इलाज में कोरोना प्लाज्मा थेरेपी तकनीक के क्लिनिकल ट्रायल में क्लिनिकल ट्रायल में ICMR ने शामिल होने के लिए नेरचौक मेडिकल कालेज के चिकित्सकों को भी आमंत्रित किया है.

अगर प्लाज्मा थेरेपी का क्लिनिकल ट्रायल सफल होता है तो कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों के ब्लड प्लाज्मा से कोविड-19 रोग से पीड़ित अन्य मरीजों का उपचार बेहतर तरीके से किया जा सकेगा.

यह है प्लाजमा थैरेपी

कोरोना से ठीक हो चुके एक व्यक्ति के शरीर से निकाले गए खून से कोरोना पीड़ित चार अन्य लोगों का इलाज किया जा सकता है. प्लाज्मा थेरेपी सिस्टम इस धारणा पर काम करता है कि जो मरीज किसी संक्रमण से उबर कर ठीक हो जाते हैं.

उनके शरीर में वायरस के संक्रमण को बेअसर करने वाले प्रतिरोधी एंटीबॉडीज विकसित हो जाते हैं. इसके बाद उस वायरस से पीड़ित नए मरीजों के खून में पुराने ठीक हो चुके मरीज का खून डालकर इन एंटीबॉडीज के जरिए नए मरीज के शरीर में मौजूद वायरस को खत्म किया जा सकता है.

मंडी: प्लाज्मा थैरेपी को लेकर लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज में श्री लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज के डीन कम प्रिंसिपल रजनीश पठानिया की अगुवाई में एक औपचारिक बैठक की. बैठक में चर्चा की गई कि लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज में कौन-कौन से संसाधन उपलब्ध है तथा किन किन साधनों के लिए उन्हें आवश्यकताएं पड़ेगी.

इस अवसर पर मल्टीपल डिपार्टमेंट्स के अधिकारियों ने भाग लिया. श्री लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल रजनीश पठानिया ने बताया कि जल्द ही सभी विभाग अपनी जानकारी देंगे, उसके बाद आगे का कदम उठाया जाएगा.

यह भी चर्चा की गई कि हमारे पास कितनी मैन पावर है और हमें कितनी और आवश्यकता पड़ेगी तथा हमारे पास किन संसाधनों की कमी होगी व हमें कहां से उपलब्ध हो पाएंगे. इसके बारे में जल्द ही जायजा लेकर आगे की प्रक्रिया की जाएगी.

बता दें कि देश में कोविड-19 संक्रमण के इलाज में कोरोना प्लाज्मा थेरेपी तकनीक के क्लिनिकल ट्रायल में क्लिनिकल ट्रायल में ICMR ने शामिल होने के लिए नेरचौक मेडिकल कालेज के चिकित्सकों को भी आमंत्रित किया है.

अगर प्लाज्मा थेरेपी का क्लिनिकल ट्रायल सफल होता है तो कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों के ब्लड प्लाज्मा से कोविड-19 रोग से पीड़ित अन्य मरीजों का उपचार बेहतर तरीके से किया जा सकेगा.

यह है प्लाजमा थैरेपी

कोरोना से ठीक हो चुके एक व्यक्ति के शरीर से निकाले गए खून से कोरोना पीड़ित चार अन्य लोगों का इलाज किया जा सकता है. प्लाज्मा थेरेपी सिस्टम इस धारणा पर काम करता है कि जो मरीज किसी संक्रमण से उबर कर ठीक हो जाते हैं.

उनके शरीर में वायरस के संक्रमण को बेअसर करने वाले प्रतिरोधी एंटीबॉडीज विकसित हो जाते हैं. इसके बाद उस वायरस से पीड़ित नए मरीजों के खून में पुराने ठीक हो चुके मरीज का खून डालकर इन एंटीबॉडीज के जरिए नए मरीज के शरीर में मौजूद वायरस को खत्म किया जा सकता है.

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