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कैंसर की दवाओं में प्रयोग होगी हल्दी, IIT मंडी के शोधकर्ताओं ने हासिल की उपलब्धि - आईआईटी मंडी हल्दी पर रिसर्च

अब हल्दी का न केवल एक मसाले के तौर पर बल्कि ऐलौपेथी की दवाओं में भी इस्तेमाल किया जाएगा. आईआईटी मंडी और इंडियन ने कोलकाता के शोधकर्ताओं के साथ मिलकर एक दवा के फार्मूलों में हल्दी का औषधीय रसायन करक्युमिन डालने की नई विधि का शोध किया है.

IIT Mandi research on turmeric
IIT Mandi research on turmeric
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Published : Apr 2, 2020, 10:08 PM IST

मंडीः भारतीय भोजन का अभिन्न हिस्सा हल्दी का प्रयोग अब कैंसर, दिल और न्यूरो की गंभीर बीमारियों की दवाओं में हो सकेगा. हल्दी में मौजूद न्यून आणविक भार वाले यौगिक करक्युमिन से दवा विकसित करने की बाधाओं को आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने दूर कर दिया है.

पानी में स्थिरता और घुलनशीलता की समस्याओं से पार पाते हुए शोधकर्ताओं ने एंटीऑक्सिडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीप्रोलिफरेटिव (सेल वृद्धि रोकने वाला) और एंटीएंजियोजेनिक (ट्यूमर के लिए आवश्यक नई खून की नलियां बनने से रोकने वाले) गुण से भरपूर करक्युमिन से दवा विकसित करने की वि‌‌धि में कामयाबी हासिल की है.

अब हल्दी का न केवल एक मसाले के तौर पर बल्कि ऐलौपेथी की दवाओं में भी इस्तेमाल किया जाएगा. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी और इंडियन एसोसिएशन ऑफ द कल्टिवेशन ऑफ साइंस, कोलकाता के शोधकर्ताओं की दवा के फार्मूलों में हल्दी का औषधीय रसायन करक्युमिन डालने की नई विधि का शोध हाल में एक इंटरनेश्नल पत्रिका क्रिस्टल ग्रोथ एंड डिजाइन में प्रकाशित किया गया है.

शोध टीम में शोध के प्रमुख अन्वेषक और स्कूल ऑफ बेसिक साइंसेज, आईआईटी मंडी के एसोसिएट प्रो. डॉ. प्रेम फेलिक्स सिरिल और उनके रिसर्च स्कॉलर काजल शर्मा के अलावा कोलकाता की डॉ. बिदिशा दास शामिल हैं.

इस तरह पाई सफलता

डॉ. सिरिल और उनकी टीम ने करक्युमिन के पानी में नहीं घुलने की वजह की पहचान की है. इसे दूर करने के लिए आईआईटी मंडी की टीम ने दो विधियों को आपस में जोड़ दिया है. शोधकर्ताओं ने इसके एमॉर्फस रूप को कायम रखने के लिए करक्युमिन के साथ प्रेसिपिटेट करने के लिए एक प्रचलित नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवा इंडोफैसिन का इस्तेमाल किया. इस योग से करक्युमिन के साथ इंडोमेथेसिन दोनों के चिकित्सीय लाभ मिलने की उम्मीद है.

ये भी पढ़ें- IGMC में डॉक्टरों पर लापरवाही के आरोप, आईसोलेशन वार्ड में मरीज की मौत

मंडीः भारतीय भोजन का अभिन्न हिस्सा हल्दी का प्रयोग अब कैंसर, दिल और न्यूरो की गंभीर बीमारियों की दवाओं में हो सकेगा. हल्दी में मौजूद न्यून आणविक भार वाले यौगिक करक्युमिन से दवा विकसित करने की बाधाओं को आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने दूर कर दिया है.

पानी में स्थिरता और घुलनशीलता की समस्याओं से पार पाते हुए शोधकर्ताओं ने एंटीऑक्सिडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीप्रोलिफरेटिव (सेल वृद्धि रोकने वाला) और एंटीएंजियोजेनिक (ट्यूमर के लिए आवश्यक नई खून की नलियां बनने से रोकने वाले) गुण से भरपूर करक्युमिन से दवा विकसित करने की वि‌‌धि में कामयाबी हासिल की है.

अब हल्दी का न केवल एक मसाले के तौर पर बल्कि ऐलौपेथी की दवाओं में भी इस्तेमाल किया जाएगा. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी और इंडियन एसोसिएशन ऑफ द कल्टिवेशन ऑफ साइंस, कोलकाता के शोधकर्ताओं की दवा के फार्मूलों में हल्दी का औषधीय रसायन करक्युमिन डालने की नई विधि का शोध हाल में एक इंटरनेश्नल पत्रिका क्रिस्टल ग्रोथ एंड डिजाइन में प्रकाशित किया गया है.

शोध टीम में शोध के प्रमुख अन्वेषक और स्कूल ऑफ बेसिक साइंसेज, आईआईटी मंडी के एसोसिएट प्रो. डॉ. प्रेम फेलिक्स सिरिल और उनके रिसर्च स्कॉलर काजल शर्मा के अलावा कोलकाता की डॉ. बिदिशा दास शामिल हैं.

इस तरह पाई सफलता

डॉ. सिरिल और उनकी टीम ने करक्युमिन के पानी में नहीं घुलने की वजह की पहचान की है. इसे दूर करने के लिए आईआईटी मंडी की टीम ने दो विधियों को आपस में जोड़ दिया है. शोधकर्ताओं ने इसके एमॉर्फस रूप को कायम रखने के लिए करक्युमिन के साथ प्रेसिपिटेट करने के लिए एक प्रचलित नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवा इंडोफैसिन का इस्तेमाल किया. इस योग से करक्युमिन के साथ इंडोमेथेसिन दोनों के चिकित्सीय लाभ मिलने की उम्मीद है.

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