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बागवानों को नहीं मिल रहे आम के दाम, सरकार से की ये मांग

उपमंडल करसोग के नांज में आम की पैदावार करने वाले बागवान मंडियों में अच्छे भाव न मिलने से निराश हैं. बागवानों को नजदीक में सब्जी मंडी की सुविधा न होने से आम को रामपुर सब्जी मंडी ले जाना पड़ता है या फिर करसोग में बेचने के लिए लाना पड़ता है. नांज से रामपुर 70 से 80 किलोमीटर और करसोग 40 से 50 किलोमीटर दूरी पर है.

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Published : Jul 30, 2020, 6:53 PM IST

price for mangoes in mandi
मंडी में आम के दाम

करसोग: देश समेत प्रदेश की सब्जी मंडियों में भले ही हिमाचली सेब की महक ने धूम मचाई हो. बागवानों को पिछले साल के मुकाबले रेट भी अधिक मिल रहे हैं, लेकिन आम की मिठास ने बागवानों को खासा निराश किया है.

उपमंडल करसोग के नांज में आम की पैदावार करने वाले बागवान मंडियों में अच्छे भाव न मिलने से निराश हैं. बागवानों को नजदीक में सब्जी मंडी की सुविधा न होने से आम को रामपुर सब्जी मंडी ले जाना पड़ता है या फिर करसोग में बेचने के लिए ले लाना पड़ता है. नांज से रामपुर 70 से 80 किलोमीटर और करसोग 40 से 50 किलोमीटर दूर पड़ता है.

वीडियो रिपोर्ट

ऐसे में बागवानों को इतनी दूर आम लाने पर भी अच्छे भाव नहीं मिल रहे हैं. बागवानों के मुताबिक मंडी में आम मुश्किल से 20 से 25 रुपये किलो बिक रहा है. इन पैसों में बागवानों का फसल लेने का साल भर का खर्च भी पूरा नहीं हो रहा है. आम के इतने कम दाम मिलने से बागवान परेशान हैं. बता दें कि उपमंडल के नांज से हर साल मंडियों में लाखों का आम बिकने के लिए पहुंचता है. बागवानों ने सरकार से नजदीक में सब्जी मंडी खोले जाने सहित आम के सही दाम दिए जाने की मांग की है.

नांज गांव के बागवान प्रेम सिंह का कहना है कि बागवानों को आम की फसल काफी दूर मंडियों में ले जानी पड़ रही है. इसके बाद भी आम के अच्छे दाम नहीं मिल रहे हैं. उन्होंने सरकार से मांग है कि नजदीक में सब्जी मंडी की व्यवस्था की जाए. उन्होंने साथ ही सरकार से आम के सही दाम तय करने की मांग की है.

अच्छे भाव मिले तो नौकरी के पीछे नहीं भागेंगे युवा

करसोग में लगातार पढ़े लिखे बेरोजगार युवाओं का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. इस हिसाब से सरकार नौकरी की व्यवस्था नहीं कर पा रही है. सरकारी नौकरियों की हालत ये है कि पार्ट टाइम जॉब के लिए बीएससी, बीकॉम सहित एमए व एमकॉम जैसे उच्च शिक्षित युवा लाइनों में लगते हैं. हालांकि, करसोग उपमंडल में बागवानी स्वरोजगार का एक अच्छा विकल्प है. अगर बागवानों को सभी तरह के उत्पादों के सही दाम मिले और घरद्वार पर मंडियों की सुविधा मिले तो युवा कुछ हजार की सरकारी नौकरी के पीछे भागने की जगह बागवानी पेशा अपना सकते हैं.

ये भी पढ़ें: जयराम के 'दरबार' में शामिल हुए 3 मंत्री, यहां जानें तीनों का राजनीतिक सफर

करसोग: देश समेत प्रदेश की सब्जी मंडियों में भले ही हिमाचली सेब की महक ने धूम मचाई हो. बागवानों को पिछले साल के मुकाबले रेट भी अधिक मिल रहे हैं, लेकिन आम की मिठास ने बागवानों को खासा निराश किया है.

उपमंडल करसोग के नांज में आम की पैदावार करने वाले बागवान मंडियों में अच्छे भाव न मिलने से निराश हैं. बागवानों को नजदीक में सब्जी मंडी की सुविधा न होने से आम को रामपुर सब्जी मंडी ले जाना पड़ता है या फिर करसोग में बेचने के लिए ले लाना पड़ता है. नांज से रामपुर 70 से 80 किलोमीटर और करसोग 40 से 50 किलोमीटर दूर पड़ता है.

वीडियो रिपोर्ट

ऐसे में बागवानों को इतनी दूर आम लाने पर भी अच्छे भाव नहीं मिल रहे हैं. बागवानों के मुताबिक मंडी में आम मुश्किल से 20 से 25 रुपये किलो बिक रहा है. इन पैसों में बागवानों का फसल लेने का साल भर का खर्च भी पूरा नहीं हो रहा है. आम के इतने कम दाम मिलने से बागवान परेशान हैं. बता दें कि उपमंडल के नांज से हर साल मंडियों में लाखों का आम बिकने के लिए पहुंचता है. बागवानों ने सरकार से नजदीक में सब्जी मंडी खोले जाने सहित आम के सही दाम दिए जाने की मांग की है.

नांज गांव के बागवान प्रेम सिंह का कहना है कि बागवानों को आम की फसल काफी दूर मंडियों में ले जानी पड़ रही है. इसके बाद भी आम के अच्छे दाम नहीं मिल रहे हैं. उन्होंने सरकार से मांग है कि नजदीक में सब्जी मंडी की व्यवस्था की जाए. उन्होंने साथ ही सरकार से आम के सही दाम तय करने की मांग की है.

अच्छे भाव मिले तो नौकरी के पीछे नहीं भागेंगे युवा

करसोग में लगातार पढ़े लिखे बेरोजगार युवाओं का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. इस हिसाब से सरकार नौकरी की व्यवस्था नहीं कर पा रही है. सरकारी नौकरियों की हालत ये है कि पार्ट टाइम जॉब के लिए बीएससी, बीकॉम सहित एमए व एमकॉम जैसे उच्च शिक्षित युवा लाइनों में लगते हैं. हालांकि, करसोग उपमंडल में बागवानी स्वरोजगार का एक अच्छा विकल्प है. अगर बागवानों को सभी तरह के उत्पादों के सही दाम मिले और घरद्वार पर मंडियों की सुविधा मिले तो युवा कुछ हजार की सरकारी नौकरी के पीछे भागने की जगह बागवानी पेशा अपना सकते हैं.

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