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SPECIAL: महाशिवरात्रि महोत्सव में छठे दिन आयोजित हुआ देव खेल, जानिए इसका रहस्य

छोटी काशी मंडी में शिवरात्रि महोत्सव के छठे दिन चौहार घाटी के देवी-देवताओं के गुरों ने देव खेल की. गुर खेल के माध्यम से इलाके की सुख समृद्धि और रक्षा की कामना की गई. राजाओं के समय से जारी यह देव खेल आज भी प्रशासन व सर्व देवता समिति के प्रयासों से जीवंत है.

shivratri mahotsav mandi
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Published : Feb 27, 2020, 8:45 PM IST

मंडीः अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में प्राचीन संस्कृति को संजोने के प्रयास किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में छोटी काशी मंडी में शिवरात्रि महोत्सव के छठे दिन चौहार घाटी के देवी-देवताओं के गुरों ने देव खेल की. गुर खेल के माध्यम से इलाके की सुख समृद्धि और रक्षा की कामना की गई.

देव खेल प्राचीन समय से होती आ रही थी, लेकिन वक्त बीतने के साथ यह प्राचीन संस्कृति बेहद कम देखने को मिलती है. यह देव खेल परंपरा 40 साल पहले किन्ही कारणों से बंद हो गई थी. इस संस्कृति को बरकरार रखने के लिए बीते साल से शिवरात्रि महोत्सव में देव खेल का आयोजन किया जा रहा है.

shivratri mahotsav mandi
देव खेल करते हुए गुर

नौ देवी-देवताओं व गुरों ने लिया भाग

वीरवार को मंडी के सेरी मंच पर हुई देव खेल में घाटी के नौ देवी-देवताओं व गुरों ने भाग लिया. जिसमें देव घडौनी नारायण, देव हुरंग नारायण, देव पशाकोट, देव तरैलू गहरी, देव दरूण गहरी, देव गहरी बथेरी, देव गल्लू का गहरी, देव पेखरा गहरी और देवी भद्रकाली शामिल हुए.

देव खेल के दौरान एडीएम मंडी श्रवण मांटा व सर्व देवता समिति के प्रधान शिवपाल शर्मा ने शिरकत की. देवता के गुरों ने पांरपारिक वेशभूषा में नंगे पांव देव खेल की और इलाके की समृद्धि के लिए इस परंपरा को निभाया.

वीडियो रिपोर्ट.

राजाओं के समय से आयोजित हो रहा है देव खेल

इस बारे मान्यता है कि राजाओं के समय से ही देव खेल होती थी. राजा भी पहले देवताओं का आशीर्वाद लेते थे और बाद में उनकी परीक्षा भी लेते थे. जिसे देव खेल के माध्यम से निभाया जाता था. सर्व देवता समिति के अध्यक्ष शिवपाल शर्मा ने बताया कि देव खेल प्राचीन परंपरा है. इसके माध्यम से सुख समृद्धि की कामना की जाती है.

shivratri mahotsav mandi
देव खेल के दौरान पूजा-अर्चना करते हुए

उन्होंने बताया कि मुख्य तौर चौहारघाटी के प्रमुख देवी-देवता व गुर देव खेल करते हैं. वर्तमान में यह देव खेल का प्रचलन बेहद कम हो गया है. प्राचीन संस्कृति को बरकरार रखने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं.

देव खेल देखने के लिए श्रद्धालुओं का उमड़ा हजूम

बता दें कि अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में दूसरी बार देव खेल का आयोजन किया गया. इस देव खेल को देखने के लिए श्रद्धालुओं का खूब हजूम उमड़ा. पुलिस पहरे में यह देव खेल की जाती है ताकि कोई खलल न पड़े. राजाओं के समय से जारी यह देव खेल आज भी प्रशासन व सर्व देवता समिति के प्रयासों से जीवंत है. देव खेल में देवी-देवताओं के गुरों व कारदार की अहम भूमिका है.

ये भी पढ़ें: देखिए गाय के गोबर से बने शगुन कार्ड और चप्पल, पहनने से कई रोगों के ठीक होने का दावा

मंडीः अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में प्राचीन संस्कृति को संजोने के प्रयास किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में छोटी काशी मंडी में शिवरात्रि महोत्सव के छठे दिन चौहार घाटी के देवी-देवताओं के गुरों ने देव खेल की. गुर खेल के माध्यम से इलाके की सुख समृद्धि और रक्षा की कामना की गई.

देव खेल प्राचीन समय से होती आ रही थी, लेकिन वक्त बीतने के साथ यह प्राचीन संस्कृति बेहद कम देखने को मिलती है. यह देव खेल परंपरा 40 साल पहले किन्ही कारणों से बंद हो गई थी. इस संस्कृति को बरकरार रखने के लिए बीते साल से शिवरात्रि महोत्सव में देव खेल का आयोजन किया जा रहा है.

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देव खेल करते हुए गुर

नौ देवी-देवताओं व गुरों ने लिया भाग

वीरवार को मंडी के सेरी मंच पर हुई देव खेल में घाटी के नौ देवी-देवताओं व गुरों ने भाग लिया. जिसमें देव घडौनी नारायण, देव हुरंग नारायण, देव पशाकोट, देव तरैलू गहरी, देव दरूण गहरी, देव गहरी बथेरी, देव गल्लू का गहरी, देव पेखरा गहरी और देवी भद्रकाली शामिल हुए.

देव खेल के दौरान एडीएम मंडी श्रवण मांटा व सर्व देवता समिति के प्रधान शिवपाल शर्मा ने शिरकत की. देवता के गुरों ने पांरपारिक वेशभूषा में नंगे पांव देव खेल की और इलाके की समृद्धि के लिए इस परंपरा को निभाया.

वीडियो रिपोर्ट.

राजाओं के समय से आयोजित हो रहा है देव खेल

इस बारे मान्यता है कि राजाओं के समय से ही देव खेल होती थी. राजा भी पहले देवताओं का आशीर्वाद लेते थे और बाद में उनकी परीक्षा भी लेते थे. जिसे देव खेल के माध्यम से निभाया जाता था. सर्व देवता समिति के अध्यक्ष शिवपाल शर्मा ने बताया कि देव खेल प्राचीन परंपरा है. इसके माध्यम से सुख समृद्धि की कामना की जाती है.

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देव खेल के दौरान पूजा-अर्चना करते हुए

उन्होंने बताया कि मुख्य तौर चौहारघाटी के प्रमुख देवी-देवता व गुर देव खेल करते हैं. वर्तमान में यह देव खेल का प्रचलन बेहद कम हो गया है. प्राचीन संस्कृति को बरकरार रखने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं.

देव खेल देखने के लिए श्रद्धालुओं का उमड़ा हजूम

बता दें कि अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में दूसरी बार देव खेल का आयोजन किया गया. इस देव खेल को देखने के लिए श्रद्धालुओं का खूब हजूम उमड़ा. पुलिस पहरे में यह देव खेल की जाती है ताकि कोई खलल न पड़े. राजाओं के समय से जारी यह देव खेल आज भी प्रशासन व सर्व देवता समिति के प्रयासों से जीवंत है. देव खेल में देवी-देवताओं के गुरों व कारदार की अहम भूमिका है.

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