धर्मपुर/मंडीः देश में हर साल एक जुलाई को डाक्टर्स के योगदान को सम्मान देने के लिए नेशनल डॉक्टर डे मनाया जाता है. कोरोना वायरस की महामारी में डॉक्टर फ्रंट लाइन योद्धा के रूप में सामने आए हैं. इस दौरान हम आपको मिला रहे हैं धर्मपुर सिविल अस्पताल के प्रभारी डॉ. राजेन्द्र शर्मा से.
करोना काल के चलते डॉ. राजेन्द्र शर्मा का पूरा परिवार शिमला में है तो यह कोरोना योद्धा के रूप में मैदान में डटे हुए हैं. डॉ. राजेन्द्र शर्मा धर्मपुर सिविल अस्पताल धर्मपुर के प्रभारी के पद पर कार्यरत है और यहां भी मरीजों के साथ इनका व्यवहार बहुत ही सराहनीय है.
डॉ. राजेन्द्र शर्मा का जन्म धर्मपुर उपमंडल की सरसकान पंचायत के सरसकान गांव में बेहद गरीब परिवार में हुआ. माता की देखरेख में यह पढ़े और कड़ी मेहनत करके यहां तक पहुंचे हैं.
इन्होंने प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र मढ़ी में साल 2008 में पहली ज्वाइनिंग बतौर चिकित्सक के रूप में दी और यहां साढ़े तीन साल का कार्यकाल काटने के बाद इनका तबादला कुरगल ब्लाक सायरी सोलन के लिए हुआ. वहां इन्होंने अपनी सेवाएं डेढ़ साल दी फिर इनका तबादला कोटखाई के लिए हुआ.
वहां यह अढ़ाई साल रहे और वहां से आईजीएमसी में पीजी करने के लिए इनका चयन हो गया. इन्होंने फिजियोलोजी में 3 साल का पीजी कोर्स किया और उसके बाद यह धर्मपुर सिविल अस्पताल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.
डॉ. राजेन्द्र के पारिवारिक जीवन की बात करें तो इनके दो बच्चे एक बेटा व एक बेटी है. इनकी पत्नी शिमला में अध्यापक है तथा माता गृहणी हैं. यह हंसमुख व्यक्तित्व स्वभाव के व्यक्ति है और जो मरीज इनके पास आता है. वह फिर इन्हीं के पास ही अपना ईलाज करवाना पंसद करता है.
बता दें कि हर साल डॉक्टर डे को डॉक्टर विधानचंद्रा के जन्म और पुण्यतिथि के तौर पर मनाया जाता है. डॉक्टर विधान चंद्रा रे पश्चिम बंगाल के प्रसिद्ध डॉक्टर होने के साथ ही राज्य के दूसरे मुख्यमंत्री भी रहे. यह दिवस उन्हीं की याद में मनाया जाता है.
ये भी पढ़ें- कुवैत में फंसा ऊना का ऋषभ, घर वापसी की लगाई गुहार
ये भी पढ़ें- 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' ऑनलाइन पोर्टल का शुभारंभ, MSME को होगा फायदा