मंडी: प्रदेश में उपचुनाव का बिगुल बज चुका है. मंडी संसदीय सीट पर की बात की जाए तो भाजपा से टिकट की चाहत रखने वालों की सूची लंबी है. वहीं, कांग्रेस में दो या तीन नामों से आलाकमान को फैसला करना होगा. दोनों दलों में टिकट को लेकर नेताओं ने शिमला से लेकर दिल्ली तक लॉबिंग तेज कर दी है. 2019 में हुए आम चुनाव की बात की जाए तो उस वक्त दो ब्राह्मण नेताओं के बीच चुनावी जंग देखने को मिली थी. भाजपा के राम स्वरूप शर्मा जीत दर्ज करके संसद पहुंचे, जबकि कांग्रेस के आश्रय शर्मा को हार झेलनी पड़ी. इस बार भी आश्रय शर्मा फिर से टिकट की दौड़ में शामिल है. सत्ताधारी पार्टी भाजपा की बात की जाए तो यहां से एक नाम नहीं कई दावेदार टिकट की दौड़ में शामिल हैं.
भाजपा के दिग्गज मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर का नाम भी सुर्खियों में है. वहीं ,पूर्व सांसद महेश्वर सिंह, नगर परिषद मनाली के अध्यक्ष चमन कपूर, भाजपा नेता प्रवीण शर्मा, अजय राणा, ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर, मिल्क फेडरेशन के चेयरमैन निहाल चंद शर्मा और युवा नेता भंवर भारद्वाज भी टिकट के लिए जोर लगा रहे. ऐसे कयास भी लगाए जा रहे कि मौजूदा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर या फिर सुंदरनगर के विधायक राकेश जम्वाल पर भी पार्टी दांव लगा सकती है. वहीं, कांग्रेस की अगर बात की जाए तो यहां पर सिर्फ दो ही दावेदार नजर आ रहे. इनमें पूर्व में प्रत्याशी रहे आश्रय शर्मा और पूर्व में दो बार सांसद रही प्रतिभा सिंह का नाम प्रमुख रूप से चर्चा में है. वहीं, पूर्व मंत्री कौल सिंह ठाकुर का नाम भी चर्चा में, लेकिन वो टिकट की दौड़ में शामिल नहीं है. उन्होंने स्पष्ट कहा है कि उनका चुनाव लड़ने का कोई इरादा नहीं, लेकिन पार्टी अगर आदेश करेगी तो पीछे भी नहीं हटेंगे.
कांग्रेस और भाजपा जातीय समीकरणों के आधार पर अपने प्रत्याशियों को मैदान में उतारती रही है. पिछली बार दो ब्राह्मण नेताओं में मुकाबला हुआ था. इस बार भी ऐसी संभावना नजर आ रही है. अनुमान के अनुसार संसदीय क्षेत्र में ढाई लाख से अधिक ब्राह्मण वोट है. यदि ब्राह्मण वोट को ध्यान में रखकर टिकट बांटे गए तो कांग्रेस से आश्रय शर्मा और भाजपा से प्रवीण शर्मा के नाम पर सहमति बन सकती है. प्रवीण शर्मा को मौजूदा समय में सरकार और संगठन में कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं है. इसलिए पार्टी उनपर दांव खेल सकती है. ऐसा करने से भविष्य में सदर से उनकी दावेदारी भी नहीं रहेगी. वहीं, धूमल गुट भी इनके साथ खुलकर चलेगा. यदि राजपूत वोट को ध्यान में रखा गया तो फिर कांग्रेस की तरफ से प्रतिभा सिंह या कौल सिंह ठाकुर और भाजपा की तरफ से किसी राजपूत को उम्मीदवार बनाया जा सकता है.
दोनों दलों में कौन उम्मीदवार मैदान में उतरेगा कुछ दिनों में तस्वीर साफ हो जाएगी. वहीं, सीएम जयराम ठाकुर का गृह जिला होने के कारण प्रत्याशी को जीताकर लाने के लिए उनपर बड़ी जिम्मेदारी रहेगी. हालांकि , नगर निगम चुनावों में सीएम ने सभी विरोधियों को पीछे दखलते हुए जीत हासिल की थी, लेकिन इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि उपचुनावों के फैसले के बाद पार्टी में उनका कद बरकरार रहेगा या फिर दूसरे प्रदेशों की तरह आलाकमान सीएम का चेहरा बदलकर 2022 के विधानसभा चुनाव में जाएगी. वहीं, कांग्रेस की बात की जाए तो कुछ दिनों पहले प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर के सामने खुलकर गुटबाजी सामने आई थी. वहीं, प्रतिभा सिंह को टिकट का प्रबल दावेदार राठौर के बताने पर पंडित सुखराम ने विरोध जताकर पोते आश्रय शर्मा को मुख्य दावेदार बताया था.
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