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लारजी बांध से गाद निकासी के लिए छोड़ा गया पानी, ब्यास नदी का जलस्तर बढ़ा

मंडी में रविवार को लारजी पन विद्युत परियोजना के बांध से गाद को निकालने के लिए डैम के सभी दरवाजे खोल दिए गए हैं. जिससे कि ब्यास नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. ऐसे में लारजी पन विद्युत परियोजना के अधिकारियों ने जनता को नदी किनारे न जाने की सलाह दी है.

Larji Dam
लारजी बांध
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Published : Jun 28, 2020, 2:08 PM IST

मंडी: लारजी पन विद्युत परियोजना के बांध से गाद की निकासी के लिए आज सुबह 6 बजे बांध के सभी गेट खोल दिए गए हैं. जिससे ब्यास नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी हुई है. ऐसे में लारजी परियोजना के अधिकारों ने स्थानीय लोगों को नदी किनारे न जाने की हिदायत दी है.

लारजी परियोजना के अधिशासी अभियन्ता सुनील कुमार ने बताया कि लारजी डैम से गाद निकासी की प्रक्रिया रविवार से शुरू हो गई है. जिससे बांध से पानी छोड़ने के लिए डैम के सभी दरवाजे खुल दिए गए हैं. उन्होंने लोगों से आग्रह किया है कि ब्यास नदी में बढ़े जलस्तर की वजह से नदी किनारे न जाए.

वीडियो.

गौर रहे कि 126 मेगावाट की क्षमता वाली लारजी पन बिजली परियोजना ब्यास नदी पर निर्मित है. मानसून से पहले बांध में जो गाद जमा होती है उसे निकालने के ये प्रक्रिया शुरू की जाती है. साथ ही बांध में गाद बढ़ने के बाद टरबाइनों समेत अन्य मशीनरी को गाद से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए भी ये कदम उठाया जाता है. बांध से पानी छोड़ने की प्रक्रिया 29 जून सुबह 6 बजे तक जारी रहेगी.

बता दें कि जून 2014 में डैम से अचानक पानी छोड़ा गया था, जिससे हैदराबाद से मनाली घूमने आए 25 छात्र-छात्राओं की नदी में बहने से मौत हो गई थी. ये लोग नदी के बीच पत्थरों पर तस्वीरें खिंचवाने गए थे.

ये भी पढ़ें: सुरंगानी-बैरास्यूल पावर स्टेशन में युवक पर गिरी लोहे की रिंग, मौके पर मौत

मंडी: लारजी पन विद्युत परियोजना के बांध से गाद की निकासी के लिए आज सुबह 6 बजे बांध के सभी गेट खोल दिए गए हैं. जिससे ब्यास नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी हुई है. ऐसे में लारजी परियोजना के अधिकारों ने स्थानीय लोगों को नदी किनारे न जाने की हिदायत दी है.

लारजी परियोजना के अधिशासी अभियन्ता सुनील कुमार ने बताया कि लारजी डैम से गाद निकासी की प्रक्रिया रविवार से शुरू हो गई है. जिससे बांध से पानी छोड़ने के लिए डैम के सभी दरवाजे खुल दिए गए हैं. उन्होंने लोगों से आग्रह किया है कि ब्यास नदी में बढ़े जलस्तर की वजह से नदी किनारे न जाए.

वीडियो.

गौर रहे कि 126 मेगावाट की क्षमता वाली लारजी पन बिजली परियोजना ब्यास नदी पर निर्मित है. मानसून से पहले बांध में जो गाद जमा होती है उसे निकालने के ये प्रक्रिया शुरू की जाती है. साथ ही बांध में गाद बढ़ने के बाद टरबाइनों समेत अन्य मशीनरी को गाद से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए भी ये कदम उठाया जाता है. बांध से पानी छोड़ने की प्रक्रिया 29 जून सुबह 6 बजे तक जारी रहेगी.

बता दें कि जून 2014 में डैम से अचानक पानी छोड़ा गया था, जिससे हैदराबाद से मनाली घूमने आए 25 छात्र-छात्राओं की नदी में बहने से मौत हो गई थी. ये लोग नदी के बीच पत्थरों पर तस्वीरें खिंचवाने गए थे.

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