सुंदरनगर : कृषि विज्ञान केंद्र सुंदरनगर की ओर से सतलुज जल विद्युत निगम के सौजन्य से एकीकृत कृषि विषय पर 6 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर केंद्र के परिसर पर आयोजित किया गया. इस शिविर में जिला मंडी के सिराज, धर्मपुर, गोहर, सदर, बल्ह व सुंदरनगर विकास खंडों के 25 किसानों ने भाग लिया. जिन्हें एकीकृत कृषि प्रणाली पर विस्तृत जानकारी प्रदान की गई.
शिविर के 5वें दिन नाबार्ड हिमाचल प्रदेश के सीजीएम दिनेश रैना ने अपनी टीम डीजीएम नाबार्ड़ इन्द्रजीत व डीडीएम नाबार्ड डॉ. सोहन प्रेमी के साथ केंद्र में आकर किसानों से परिचर्चा की. साथ ही किसानों से आग्रह किया कि वे प्रशिक्षण से अर्जित ज्ञान को व्यवहारिक तौर पर अपनाएं व इसे अपने तक ही सीमित न रखकर अन्य किसानों में भी सीखी गई नई तकनीकों का प्रचार-प्रसार करें.
जलवायु परिवर्तन से फसल उत्पादन प्रभावित
समापन समारोह पर केन्द्र के कार्यक्रम समन्वयक डॉ. पंकज सूद ने कहा कि जनसंख्या में निरन्तर बढ़ोतरी से जमीन, जल, श्रम, व कृषि जोत में कमी आ रही है. साथ ही जलवायु परिवर्तन से फसल उत्पादन प्रभावित हो रहा है, जिसकी वजह से प्रचलित खेती करने से छोटे व सीमांत किसानों के लिए कृषि कम मुनाफे का व्यवसाय साबित हो रहा है.
ऐसी स्थिति में एकीकृत कृषि प्रणाली को अपनाने से ही किसानों की आजीविका सुनिश्चित की जा सकती है. उन्होंने कहा कि किसान अपनी प्रचलित कृषि प्रणाली में कृषि व इससे सम्बधित अन्य उद्यमों को इस प्रकार शामिल करें, ताकि उपलब्ध संसाधनों का बेहतर प्रयोग करके प्रति इकाई अधिक लाभ अर्जित किया जा सके.
8 मार्च से शुरू हुआ था प्रक्षिक्षण शिविर
8 मार्च से आरम्भ हुए इस कार्यक्रम में केन्द्र के वैज्ञानिकों डॉ. डीएस यादव, डॉ. कविता शर्मा, डॉ. शकुन्तला राही, डॉ. एलके शर्मा, डॉ. कल्पना आर्य ने किसानों को कृषि सम्बधित विभिन्न उद्यमों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की गई.
कृषि संचालित योजनाओं की दी जानकारी
पशु पालन विभाग से डॉ. विपिन कुमार, कृषि विभाग से डॉ. खूब राम, उद्यान विभाग से डॉ. रीतू शर्मा ने उनके विभागों की ओर से संचालित की जा रही योजनाओं की जानकारी प्रदान की.
प्रमाण पत्र व कृषि साहित्य बांटे
साथ ही प्रशिक्षुओं को प्रगतिशील किसानों संजय कुमार, परमाराम चौधरी व सुनिता देवी के फार्म पर भी भ्रमण करवाया गया. इस अवसर पर प्रमाण पत्र व कृषि साहित्य भी वितरित किया गया.
ये भी पढ़ें: हादसों से नहीं लिया सबक, चंबा-तीसा मार्ग से गुजरना खतरे से खाली नहीं