कुल्लू: देश के साथ-साथ प्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन की वजह से समाज के हर वर्ग का नुकसान हुआ है. कई लोग बेरोजगार हुए तो कई लोगों के व्यवसाय प्रभावित हुए.
कोरोना संकटकाल में प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों को आत्मनिर्भर भारत का मंत्र दिया था. पीएम मोदी ने लोगों को लोकल के लिए वोकल रहने का सुझाव दिया. कुल्लू की कुछ महिलाएं एक दशक पहले ही आत्मनिर्भर बनने की राह पर निकल पड़ी थी.
साल 2009-10 में कृष्णा देवी किसी सेल्फ हेल्प ग्रुप से नहीं जुड़ पाई तो उन्होंने खुद ही कुछ महिलाओं को साथ लेकर एक स्वयं सहायता समूह बना लिया. उनकी मेहनत का ही नतीजा है कि आज ये सब आत्मनिर्भर हो चली हैं.
जिला कुल्लू की जिया पंचायत में जागृति ग्राम संगठन के माध्यम से महिलाएं जहां आत्मनिर्भर बन रही है. वहीं, अपने परिवार को भी मजबूत बना रही है. वह परिवार की आर्थिकी को मजबूत करने की दिशा में भी अहम भूमिका निभा रही है. संगठन से जुड़े गरीब तबके के परिवारों की महिलाएं अब ऋण लेने के लिए बैंकों के चक्कर नहीं काट रही बल्कि संगठन से जुड़कर ही ऋण ले रही हैं.
जिया गांव की महिलाएं भी राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत जागृति ग्राम संगठन के साथ जुड़कर अपना छोटा सा कारोबार चलाकर परिवार के पालन-पोषण में हाथ बंटा रही है. जिया की महिलाओं ने ऋण लेकर स्वरोजगार चलाने के उद्देश्य से राशन की दुकानें डाली है और आज पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़कर अपने परिवार की आर्थिक सुधार रही है.
राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत भुंतर तहसील के 12 सहायता समूह की महिलाएं जागृति ग्राम संगठन से जुड़ी है. इन महिलाओं में से करीब 13 महिलाओं ने संगठन से ऋण लिया है जिनमें से पांच महिलाएं राशन की दुकान चला रही है. तीन खेती-बाड़ी का कार्य कर रही हैं जबकि एक महिला ने अपने पति के साथ मिलकर ड्राई क्लीन की दुकान चलाई है.
इसी तरह सहायता समूह से जुड़े अन्य महिलाएं रोजगार की ओर अग्रसर है. इसमें महत्वपूर्ण बात यह है कि जीविका परियोजना ने सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं को जागृति ग्राम संगठन से उपलब्ध कराए गए ऋण पर 2 फीसदी ब्याज देना पड़ रहा है. संगठन से जुड़ी महिलाओं में जमुना देवी, सावित्री का मानना है कि राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत जागृति ग्राम संगठन द्वारा उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करके सामाजिक सरोकार निभा रहा है.
इसी तरह से ऋण लेने वाली सावित्री का कहना है कि उन्होंने अपने संगठन से ऋण लेकर ट्रैक्टर खरीद अपने लिए रोजगार का द्वार खोला है. गौर रहे कि जागृति ग्राम संगठन का गठन 2017 में हुआ है और हर महीने 90 महिलाएं थोड़े थोड़े पैसे जमा करती हैं ताकि किसी भी महिला को जरूरत के समय आर्थिक सहायता की जाए.
इसके अलावा राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत ब्लॉक को धनराशि भी आती है और बैंक खाता में जमा ऋण की राशि में शामिल महिलाओं के बीच में ही दी जाती है. एक स्वयं सहायता समूह में 12 से 15 महिलाएं रहती हैं. कुल मिलाकर ये महिलाएं आत्मनिर्भरता की वो मशाल उठाए खड़ी हैं जिसकी रोशनी में कई और महिलाओं को नई राह मिलेगी.
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