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माता के जयकारे से गूंज उठे मंदिर, लालड़ी नृत्य के साथ शमशी गांव में विरशु मेले का आगाज

कुल्लू के प्रवेश द्वार भुंतर के शमशी गांव में माता ज्वाला के सम्मान में हर साल आयोजित होता है यह पौराणिक मेला. मेले का मुख्य आकर्षण होता है लालड़ी नृत्य. तीन दिन चलने वाले इस मेले में खेल एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी होता है.

कुल्लू के शमशी गांव में विरशु मेले का आगाज.
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Published : Apr 7, 2019, 5:47 AM IST

Updated : Apr 7, 2019, 7:24 AM IST

कुल्लू: चैत्र नवरात्र और हिंदू नववर्ष शुरू होते ही देवभूमि की शक्तिपीठों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है. घाटी के सभी मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना भी की गई. माता के जयकारे से मंदिर गूंज उठे. वहीं, दूसरी ओर कुल्लू में विरशु देवी देवताओं के सम्मान में बिरशु मेले का आगाज हो चुका है.

जिला कुल्लू के प्रवेश द्वार भुंतर के शमशी गांव में माता ज्वाला के सम्मान में हर साल विरशु मेले का आयोजन होता है. इस मेले का मुख्य आकर्षण लालड़ी नृत्य है. माता के रथ के साथ स्थानीय महिलाएं लालड़ी नृत्य करती है. यह सिलसिला तीन दिन तक चलता है.

कुल्लू के शमशी गांव में विरशु मेले का आगाज.

वहीं, लालड़ी नृत्य कर रहीं स्थानीय महिला ने बताया कि शनिवार से शमशी विरशु मेले का आगाज हो गया है. तीन दिन चलने वाले इस मेले के पहले दिन लालड़ी नृत्य किया जाता है. साथ ही खेलों का आयोजन भी किया जाता है. मंदिर कमेटी के प्रधान नानक चंद ने कहा कि विरशु मेला बहुत पौराणिक है. पहले दिन महिलाएं लालड़ी नृत्य कर रही है. दूसरे और तीसरे दिन खेल और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा.

कुल्लू: चैत्र नवरात्र और हिंदू नववर्ष शुरू होते ही देवभूमि की शक्तिपीठों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है. घाटी के सभी मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना भी की गई. माता के जयकारे से मंदिर गूंज उठे. वहीं, दूसरी ओर कुल्लू में विरशु देवी देवताओं के सम्मान में बिरशु मेले का आगाज हो चुका है.

जिला कुल्लू के प्रवेश द्वार भुंतर के शमशी गांव में माता ज्वाला के सम्मान में हर साल विरशु मेले का आयोजन होता है. इस मेले का मुख्य आकर्षण लालड़ी नृत्य है. माता के रथ के साथ स्थानीय महिलाएं लालड़ी नृत्य करती है. यह सिलसिला तीन दिन तक चलता है.

कुल्लू के शमशी गांव में विरशु मेले का आगाज.

वहीं, लालड़ी नृत्य कर रहीं स्थानीय महिला ने बताया कि शनिवार से शमशी विरशु मेले का आगाज हो गया है. तीन दिन चलने वाले इस मेले के पहले दिन लालड़ी नृत्य किया जाता है. साथ ही खेलों का आयोजन भी किया जाता है. मंदिर कमेटी के प्रधान नानक चंद ने कहा कि विरशु मेला बहुत पौराणिक है. पहले दिन महिलाएं लालड़ी नृत्य कर रही है. दूसरे और तीसरे दिन खेल और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा.

शमशी में तीन दिवसीय विरशु मेले का आगाज़
माता ज्वाला के सम्मान मनाया जाता है विरशु मेला महिलाओं ने लालड़ी नृत्य कर किया माता की महिमा का गुणगान
 कुल्लू
चैत्र नवरात्रे व हिन्दू नव वर्ष शुरू होते ही एक ओर जहां देश सहित हिमाचल प्रदेश के शक्तिपीठो में श्रद्धालु शीश नवा रहे है। वही दूसरी ओर जिला कुल्लू में विरशु देवी देवताओं के सम्मान विरशु मेले का आगाज़ हो जाता है। यहां हम बात कर रहे है जिला कुल्लू के प्रवेश द्वार भुंतर के शमशी नामक गांव की जहां माता ज्वाला के सम्मान में शमशी विरशु मेला मनाया जा रहा है। विरशु मेले का मुख्य आकर्षण लालड़ी नृत्य है। इसमें  सिर्फ महिलाएं माता के रथ के साथ लालड़ी नृत्य करती है और यह सिलसिला तीन दिन तक चलता है। इस लालड़ी नृत्य में स्थानीय महिलाएं भाग लेती है। वही लालड़ी नृत्य कर रही स्थानीय महिला ने बताया कि आज से शमशी विरशु मेले का आगाज़ हो गया है और तीन दिन यह लालड़ी नृत्य किया जाता है। साथ ही खेलो का आयोजन भी किया जाता है। साथ ही मंदिर कमेटी के प्रधान नानक चंद ने कहा कि विरशु मेला बहुत पौराणिक है। आज लालड़ी नृत्य भी महिलाओं द्वारा लालड़ी नृत्य भी किया जा रहा है और कल और परसो खेलो एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन भी किया जाएगा।
Last Updated : Apr 7, 2019, 7:24 AM IST
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