कुल्लू: हिमाचल में अब सभी टैक्सियों में ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम (जीपीएस) लगाना अनिवार्य है. हालांकि यह सुविधा के लिए किया जा रहा है लेकिन टैक्सी ऑपरेटर इसके रेट से परेशान हैं. दिल्ली-चंडीगढ़ में यही जीपीएस चार से पांच हजार रुपये में मिल रहे हैं. जबकि प्रदेश सरकार से अधिकृत कंपनियां 15 से 16 हजार में उपकरण दे रही हैं. इस वजह से टैक्सी चालकों सहित अन्य व्यावसायिक वाहन मालिकों में रोष है.
शनिवार को जिला कुल्लू की तमाम टैक्सी यूनियन के पदाधिकारियों ने परिवहन विभाग के साथ बैठक की है. टैक्सी यूनियन ने परिवहन विभाग से जीपीएस सिस्टम के दाम कम करने की मांग की है. टैक्सी यूनियन का कहना है कि अगर उनकी मांगों पर विचार नहीं किया गया तो, हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे.
सरकार के निर्देशों के अनुसार बस, ट्रक, स्कूल वैन, टैक्सी में जीपीएस लगाना अनिवार्य है. जीपीएस के दाम अधिक होने का प्रदेश भर में इसका विरोध हो रहा है. परिवहन विभाग के पास हर दिन इसकी काफी शिकायतें भी आ रही हैं. कुल्लू में अभी तक 100 से अधिक वाहनों में जीपीएस लगाए जा चुके हैं.
टैक्सी यूनियन मनाली के प्रधान राज डोगरा ने बताया कि जिला की सभी टैक्सी यूनियन के पदाधिकारी एकजुट होकर आरटीओ कुल्लू से मिले और अपनी समस्याओं से उन्हें अवगत करवाया है. राज डोगरा ने बताया कि बाजार में जीपीएस की कीमत 5 से 6 हजार रुपये है, जबकि जिला कुल्लू में इसकी कीमत 15,000 से अधिक वसूली जा रही है. उन्होंने यह भी मांग रखी है कि जिला कुल्लू में जिन गाड़ियों का परमिट HP02K है, उन्हें जीपीएस सिस्टम से न जोड़ा जाए क्योंकि वह गाड़ियां सिर्फ जिला के अंदर ही चलती हैं.
वहीं, क्षेत्रीय परिवहन अधिकार डॉ. अमित गुलेरिया ने बताया की शनिवार को टैक्सी यूनियन के पदाधिकारियों के साथ बैठक हुई और उनकी मुख्य मांग यह है कि टैक्सियों में जो जीपीआरएस सिस्टम लग रहे हैं उनके दाम बहुत अधिक वसूले जा रहे हैं. इस तरह की शिकायतें और भी यूनियन द्वारा की गई है. मामले की छानबीन की जा रही है और परिवहन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर को भी इस मसले से अवगत करवाया जा चुका है.
परिवहन अधिकार डॉ. अमित गुलेरिया ने कहा कि अधिग्रहित की गई पांचों कंपनियों को कारण बताओ नोटिस भेजा गया है और साथ ही कुल्लू जिला में इन कंपनियों के डीलर से भी पूछताछ की जा रही है. परिवहन अधिकारी ने कहा कि यह भी देखने को मिल रहा है कि किसी भी तरह की रसीद नहीं दी जा रही है. इन्हीं सब बातों को लेकर उच्च अधिकारियों से भी बात की गई है.उन्होंने बताया कि इन कंपनियों को ब्लैक लिस्ट भी किया जा सकता है और अन्य कंपनियों को जीपीआरएस लगाने के लिए भी मौके दिए जाएंगे.
क्या है जीपीएस यानी ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम
इस डिवाइस के जरिए अपनी कार को ट्रेस कर सकते हैं. यह डिवाइस सैटेलाइट से जुड़ा होता है और सैटेलाइट के जरिए मोबाइल फोन या कंप्यूटर पर वाहन की लोकेशन की जानकारी मिल जाती है. किसी आपदा में फंसे होने पर जीपीएस काफी फायदेमंद होता है.
चार जगह खुलेंगे सर्विस स्टेशन
प्रदेश में चार जगह जीपीएस सर्विस स्टेशन खुलेंगे. डिवाइस खराब होने पर यहां 24 घंटे के भीतर इसे बदला जाएगा. यदि कंपनियां ऐसा नहीं करती हैं तो विभाग की तरफ से कंपनियों को जुर्माना लगाने का प्रावधान है. कंपनी यदि सही कार्य नहीं करती है तो विभाग उनको ब्लैक लिस्ट भी कर सकता है.