कुल्लू: देश की दुर्गम धार्मिक यात्राओं में शामिल श्री खंड महादेव यात्रा (ShriKhand Mahadev Yatra) 15 जुलाई से फिर शुरू होगी. इसके लिए जिला प्रशासन 20 जून को बैठक करेगा. वहीं, अब की बार श्रद्धालु आसान तरीके से इस यात्रा को पूरा कर सके इसके लिए विशेष तौर से निर्देश जारी किए जाएंगे, क्योंकि हर बार यहां पर बाहरी राज्यों से आए श्रद्धालुओं की मौत होने के मामले सामने आते हैं.
छिपकर जाने वालों पर रहेगी नजर: वही, इस बार छिपकर यात्रा पर जाने वालों पर शिकंजा कसा जाएगा. प्रशासन की ओर से चेक पोस्ट स्थापित करने के दिशा निर्देश जारी किए गए है. जल्द चेक पोस्ट स्थापित किया जाएगा. इस बार समय से पूर्व पुलिस प्रशासन ने श्रीखंड महादेव की यात्रा पर जाने वालों के लिए चेतावनी जारी कर दी है.
41 श्रद्धालुओं की हो चुकी मौत: वर्ष 2011 से अब तक श्रीखंड यात्रा पर 41 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है. 18570 फीट की उंचाई पर स्थित श्रीखंड महादेव के दर्शन को हर वर्ष हजारों श्रद्धालु देश के विभिन्न राज्यों से पहुंचते हैं. इस वर्ष भी श्रीखंड महादेव की यात्रा 15 जुलाई से शुरू होगी. 35 किलोमीटर की इस यात्रा में श्रद्धालुओं की मौत का कारण ऑक्सीजन की कमी रहता है.
20 जून को अहम फैसलों पर लगेगी मुहर: इस वर्ष श्रीखंड की यात्रा को लेकर 20 जून को उपायुक्त कुल्लू ने बैठक बलाई है. ऐसे में यात्रा को लेकर कई अहम निर्णय लिए जाएंगे. यात्रा के लिए रास्तों की स्थिती का जायजा लिया जाएगा. इसके बाद यात्रा कराने का फैसला प्रशासन करेगा.
2021 में 6 युवकों पर लगा जुर्माना: वर्ष 2021 में दिल्ली के 6 युवक यात्रा से पूर्व बिना अनुमति के श्रीखंड महादेव गए थे. इन युवकों पर पुलिस ने 4 हजार रुपए का जुर्माना लगाया था. पुलिस ने यह कार्रवाई उपायुक्त कुल्लू के श्रीखंड महादेव यात्रा पर रोक के आदेश का उल्लंघन करने पर की थी. इस बार जुर्माने की राशि को बढ़ाया जा सकता है.
भगवान शिव का साक्षात वास: जिला कुल्लू के निरमंड में करीब 72 फीट ऊंचे इस शिवलिंग के दर्शन के लिए हर वर्ष देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं. 32 किलोमीटर लंबी पैदल यात्रा में बर्फीले और जड़ी-बूटियों से लकदक पहाड़ अलग ही अनुभूति कराते है. धार्मिक पर्यटन के साथ इस यात्रा पर रोमांच की भी अनुभूति होती है. यह यात्रा 4 से 5 दिन में पूरी होती है. मान्यता है कि यहां भगवान शिव का साक्षात वास है. श्रीखंड समुद्रतल से 18,570 फीट की ऊंचाई पर है. 72 फीट ऊंचे खंडित शिवलिंग के दर्शन के लिए हर वर्ष 15 जुलाई के बाद यात्रा का आयोजन होता है.
पैदल ही होती यात्रा: यहां घोड़े-खच्चर व पालकी की व्यवस्था नहीं होती. पैदल ही यात्रा करनी होती है. श्रीखंड महादेव की यात्रा के लिए हर श्रद्धालु का पंजीकरण अनिवार्य है.यदि कोई बिना पंजीकरण के जाता है तो वह तमाम सुविधाओं से वंचित रहेगा.पकड़े जाने पर मुकदमा भी दर्ज किया जा सकता है.
मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट अनिवार्य: इस यात्रा के लिए मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट अनिवार्य होता है. स्वास्थ्य विभाग फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करता है. 15 वर्ष से कम व 60 से अधिक आयु वर्ग के लोगों को यात्रा की अनुमति नहीं मिलती. श्रीखंड महादेव यात्रा का आयोजन श्रीखंड महादेव ट्रस्ट करता है.
यात्रा में तीन पड़ाव: सिंहगाड़, थाचड़ू, भीम डवारी और पार्वती बाग में बेसकैंप स्थापित किए जाते हैं. सिंहगाड़, थाचड़ू और भीम डवारी यात्रा के तीन पड़ाव रहते है. यहां मेडिकल टीम, दवा व ऑक्सीजन की व्यवस्था रहती है. पुलिस जवान व होमगार्ड रास्ते में तैनात रहते हैं. यात्रा के रास्ते में डंडाधार, थाचडू, काली टाप, कालीघाटी, भीम तलाई, कुंशा, भीम डवारी, पर्वतीबाग, नैन सरोवर दर्शनीय स्थल आते हैं.
यहां से जा सकते यात्रा पर: श्रीखंड महादेव पहुंचने के लिए शिमला जिले के रामपुर से कुल्लू के निरमंड होकर बागीपुल व जाओं तक कार व बस से आ सकते है. यहां से आगे करीब 32 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी होती है. कुल्लू की तरफ से 5 रास्तों से निरमंड पहुंच सकते है. शिमला से रामपुर 130 किलोमीटर, रामपुर से निरमंड 17 किलोमीटर, निरमंड से बागीपुल 17 किलोमीटर, बागीपुल से जाओं करीब 12 किलोमीटर, जाओं से 35 किलोमीटर पैदल यात्रा श्रीखंड तक होती है.
यात्रा समूह के साथ करना चाहिए: यात्रा के लिए बेसकैंप पर पंजीकरण अवश्य कराना चाहिए. पंजीकरण के दौरान अपना और परिजनों का पूरा पता, मोबाइल फोन नंबर अवश्य लिखना चाहिए. यात्रा के लिए समूह में जाना चाहिए. यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार का नशा लेकर जान जोखिम में न डालें. बेसकैंप से यात्रा करने में जल्दबाजी न करें ,बल्कि धीरे-धीरे चढ़ाई चढ़ें.
यह सामान रखना नहीं भूले: यात्रा के दौरान जरूरी दवा, डंडा, गर्म कपड़े, अच्छी पकड़ वाले जूते व गर्म मोजे अवश्य लेकर जाए. यात्रा के दौरान रास्ते में ठहरने के लिए टेंट व लंगर की व्यवस्था होती है. टेंट वाले एक रात ठहरने का 300 से 500 रुपए लेते है. रास्ते में अस्थायी ढाबों की व्यवस्था रहती है. बस किराए को छोड़ यात्रा का खर्च मात्र 2 से 3 हजार रुपए आता है.
पार्वती बाग भी यहां पर: श्रीखंड मार्ग में पार्वती बाग नाम की जगह आती है. ऐसा माना जाता है कि सबसे दुर्लभ ब्रह्म कमल भी यहीं पाए जाते हैं. यहां पार्वती झरना भी दर्शनीय है. मां पार्वती इस झरने का स्नानागार के रूप में इस्तेमाल करती थीं. मान्यता के अनुसार भस्मासुर नामक राक्षस ने कई वर्ष तक भगवान शिव की कड़ी तपस्या की थी. उसकी तपस्या से खुश होकर भगवान भोलेनाथ ने उसे दर्शन दिए और वरदान मांगने को कहा था. भस्मासुर ने वरदान मांगा था कि जिस मनुष्य के सिर पर हाथ रखेगा, वह उसी समय भस्म हो जाएगा. भोलेनाथ ने भी उसे यह वरदान दे दिया. इसके बाद भस्मासुर घमंड से भर गया. उसने भगवान शिव को ही भस्म करने की तैयारी कर ली. भस्मासुर से बचने के लिए भगवान शिव निरमंड के देओ ढांक स्थित एक गुफा में छिप गए.
भगवान विष्णु ने धारण किया मोहिनी का रूप: भगवान विष्णु ने महादेव को बचाने और भस्मासुर का वध करने के लिए मोहिनी नाम की सुंदर महिला का रूप धारण कर लिया. भस्मासुर भी इसके सौंदर्य को देखकर मोहित हो गया. मोहिनी ने भस्मासुर को अपने साथ नृत्य करने को कहा. वह मोहिनी के साथ नृत्य करने लगा. इसी बीच चतुराई दिखाते हुए मोहिनी ने नृत्य के दौरान अपना हाथ सिर पर रखा. इसे देखकर भस्मासुर ने जैसे ही अपना हाथ अपने सिर पर रखा वह भस्म हो गया.
शक्ति के रूप में प्रकट हुए महादेव: भस्मासुर का नाश होने के बाद सभी देवता देओ ढांक पहुंचे और भगवान शिव को यहां से बाहर आने की प्रार्थना की, लेकिन भोलेनाथ गुफा में फंस गए. यहां से वह बाहर नहीं निकल पा रहे थे. वह एक गुप्त रास्ते से होते हुए इस पर्वत की चोटी पर शक्ति रूप में प्रकट हो गए. जब भगवान शिव यहां से जाने लगे तो यहां जोरदार धमाका हुआ, जिसके बाद शिवलिंग आकार की एक विशाल शिला बच गई. इसे ही शिवलिंग मानकर उसके बाद पूजा जाने लगा. इसके साथ ही दो बड़ी चट्टानें हैं. इन्हें मां पार्वती व भगवान गणेश के नाम से पूजा जाता है.
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