कुल्लू: लाहौल घाटी सहित पहाड़ों में हो रही बर्फबारी व खराब मौसम पर देव आस्था भारी है. लाहौल का धार्मिक पर्यटन स्थल त्रिलोकीनाथ से अब श्रद्धालुओं का जत्था मणिमहेश यात्रा पर निकल पड़ा है.
बीते दिनों पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी की परवाह न करते हुए इन श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना व देव आज्ञा पाकर मणिमहेश का रुख कर लिया है. लाहौल की पटन घाटी का पोरी मेला संपन्न होते ही त्रिलोकीनाथ से सैकड़ों श्रद्धालुओं का जत्था मणिमहेश यात्रा के लिए रवाना हो गया है. हालांकि लाहौल घाटी में मौसम खराब है और हल्की बर्फबारी शुरू हो गई है, जबकि मणिमहेश के रास्ते में पड़ने वाले ऊंचे पहाड़ भी बर्फ की सफेदी ओढ़ चुके हैं.
ऐसे में श्रद्धालुओं के बुलंद हौंसलों ने ये स्पष्ट कर दिया है कि यहां आस्था के आगे बर्फबारी भी फीकी है. हालांकि पहाड़ों में हो रही बर्फबारी से प्रसिद्ध तीर्थस्थल मणिमहेश के लिए निकले जत्थे का इस रूट से निकलना काफी जोखिम भरा होगा. जत्थों में निकले श्रद्धालुओं को त्रिलोकीनाथ से जहालमा व रापे गांव होते हुए पैदल यात्रा में छह दिन का समय लगता है. छह दिन की इस यात्रा में रात्रि ठहराव थिरोट, रापे, अलयास, केलांग मंदिर और पार्वती जोत में करने के बाद छठे दिन मणिमेहश झील पहुंचेंगे.
मान्यता है कि पदयात्रा कर मणिमहेश पहुंचने वालों की मनोकामना पूरी होती है. जिले से जत्थों में निकले यह लोग पैदल ही ऊबड़-खाबड़ पत्थरीली राहों से होकर लाहौल से मणिमेहश पहुंचते हैं