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मौसम पर भारी देव आस्था, बर्फीले दर्रों को पार कर मणिमहेश यात्रा पर निकला भक्तों का जत्था - लाहौल घाटी हिमाचल

कुल्लू की लाहौल घाटी सहित पहाड़ों में हो रही बर्फबारी के बावजूद भी कुल्लू के धार्मिक पर्यटन स्थल त्रिलोकीनाथ से भक्तों का जत्था मणिमहेश यात्रा पर निकल पड़ा है.

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Published : Aug 27, 2019, 12:38 PM IST

कुल्लू: लाहौल घाटी सहित पहाड़ों में हो रही बर्फबारी व खराब मौसम पर देव आस्था भारी है. लाहौल का धार्मिक पर्यटन स्थल त्रिलोकीनाथ से अब श्रद्धालुओं का जत्था मणिमहेश यात्रा पर निकल पड़ा है.

बीते दिनों पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी की परवाह न करते हुए इन श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना व देव आज्ञा पाकर मणिमहेश का रुख कर लिया है. लाहौल की पटन घाटी का पोरी मेला संपन्न होते ही त्रिलोकीनाथ से सैकड़ों श्रद्धालुओं का जत्था मणिमहेश यात्रा के लिए रवाना हो गया है. हालांकि लाहौल घाटी में मौसम खराब है और हल्की बर्फबारी शुरू हो गई है, जबकि मणिमहेश के रास्ते में पड़ने वाले ऊंचे पहाड़ भी बर्फ की सफेदी ओढ़ चुके हैं.

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मणिमहेश यात्रा पर जाते भक्त

ऐसे में श्रद्धालुओं के बुलंद हौंसलों ने ये स्पष्ट कर दिया है कि यहां आस्था के आगे बर्फबारी भी फीकी है. हालांकि पहाड़ों में हो रही बर्फबारी से प्रसिद्ध तीर्थस्थल मणिमहेश के लिए निकले जत्थे का इस रूट से निकलना काफी जोखिम भरा होगा. जत्थों में निकले श्रद्धालुओं को त्रिलोकीनाथ से जहालमा व रापे गांव होते हुए पैदल यात्रा में छह दिन का समय लगता है. छह दिन की इस यात्रा में रात्रि ठहराव थिरोट, रापे, अलयास, केलांग मंदिर और पार्वती जोत में करने के बाद छठे दिन मणिमेहश झील पहुंचेंगे.

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मणिमहेश यात्रा पर जाते भक्त

मान्यता है कि पदयात्रा कर मणिमहेश पहुंचने वालों की मनोकामना पूरी होती है. जिले से जत्थों में निकले यह लोग पैदल ही ऊबड़-खाबड़ पत्थरीली राहों से होकर लाहौल से मणिमेहश पहुंचते हैं

कुल्लू: लाहौल घाटी सहित पहाड़ों में हो रही बर्फबारी व खराब मौसम पर देव आस्था भारी है. लाहौल का धार्मिक पर्यटन स्थल त्रिलोकीनाथ से अब श्रद्धालुओं का जत्था मणिमहेश यात्रा पर निकल पड़ा है.

बीते दिनों पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी की परवाह न करते हुए इन श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना व देव आज्ञा पाकर मणिमहेश का रुख कर लिया है. लाहौल की पटन घाटी का पोरी मेला संपन्न होते ही त्रिलोकीनाथ से सैकड़ों श्रद्धालुओं का जत्था मणिमहेश यात्रा के लिए रवाना हो गया है. हालांकि लाहौल घाटी में मौसम खराब है और हल्की बर्फबारी शुरू हो गई है, जबकि मणिमहेश के रास्ते में पड़ने वाले ऊंचे पहाड़ भी बर्फ की सफेदी ओढ़ चुके हैं.

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मणिमहेश यात्रा पर जाते भक्त

ऐसे में श्रद्धालुओं के बुलंद हौंसलों ने ये स्पष्ट कर दिया है कि यहां आस्था के आगे बर्फबारी भी फीकी है. हालांकि पहाड़ों में हो रही बर्फबारी से प्रसिद्ध तीर्थस्थल मणिमहेश के लिए निकले जत्थे का इस रूट से निकलना काफी जोखिम भरा होगा. जत्थों में निकले श्रद्धालुओं को त्रिलोकीनाथ से जहालमा व रापे गांव होते हुए पैदल यात्रा में छह दिन का समय लगता है. छह दिन की इस यात्रा में रात्रि ठहराव थिरोट, रापे, अलयास, केलांग मंदिर और पार्वती जोत में करने के बाद छठे दिन मणिमेहश झील पहुंचेंगे.

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मणिमहेश यात्रा पर जाते भक्त

मान्यता है कि पदयात्रा कर मणिमहेश पहुंचने वालों की मनोकामना पूरी होती है. जिले से जत्थों में निकले यह लोग पैदल ही ऊबड़-खाबड़ पत्थरीली राहों से होकर लाहौल से मणिमेहश पहुंचते हैं

Intro:बर्फीले दर्रो को पार कर मणिमहेश की यात्रा पर निकले श्रद्धालु
पोरी मेले के बाद लाहुल स्पीति से जा रहे श्रद्धालुBody:

लाहुल घाटी सहित पहाड़ों में हो रही बर्फबारी व खराब मौसम पर देव आस्था भारी है। लाहुल का धार्मिक पर्यटन स्थल त्रिलोकीनाथ से अब श्रद्धालुओं का जत्था मणिमहेश की यात्रा पर निकल पड़ा है। बीते दिनों पहाड़ों में हो रही बर्फबारी की परवाह न करते हुए इन श्रद्धालुओं ने विधिवत पूजा अर्चना व देव आज्ञा पाकर मणिमहेश का रुख कर लिया। देव आस्था के आगे पथरीली राहें भी आसान हो जाती हैं। लाहुल की पटन घाटी का पोरी मेला संपन्न होते ही त्रिलोकीनाथ से सैकड़ों श्रद्धालुआें का जत्था मणिमहेश के लिए रवाना हो गया। हालांकि मौसम खराब होने के चलते लाहुल घाटी में हल्की बर्फ़बारी शुरू हो गई है, जबकि मणिमहेश के रास्ते मे पड़ने वाले ऊंचे पहाड़ भी बर्फ की सफेदी ओढ़ चुके हैं। यह सब जानने के बाद भी श्रद्धालुओं के बुलंद हौंसले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यहां आस्था के आगे बर्फ़बारी भी फीकी है। हालांकि गहरी आस्था होने से श्रद्धालुओं का मनोबल भारी है। लेकिन पहाड़ों में हो रही बर्फ़बारी से प्रसिद्ध तीर्थस्थल मणिमहेश के लिए निकले जत्थे का इस रूट से निकलना काफी जोखिम भरा होगा। कुगती जोत में पल-पल गिरते तापमान से भारी हिमपात हो सकता है।

जत्थों में निकले श्रद्धालुओं को त्रिलोकीनाथ से जहालमा व रापे गांव होते हुए मणिमेहश झील तक ही पद यात्रा में छह दिन का समय लगेगा। छह दिन की इस यात्रा में रात्रि ठहराव थिरोट, रापे, अलयास, केलंग मंदिर और पार्वती जोत में करने के बाद छठे दिन मणिमेहश झील पहुंचेंगे। घाटी के सैकड़ाें लोग अपनी मनोकामना को लेकर धार्मिक स्थल मणिमेहश की यात्रा करते हैं। जिले से जत्थों में निकले यह लोग पैदल ही ऊबड़ खाबड़ पत्थरीली राहों से होकर लाहुल से मणिमेहश पहुंचते हैं। Conclusion:यह रूट काफी जोखिमभरा है। मान्यता है कि पदयात्रा कर मणिमेहश पहुंचने वालों की मनोकामना पूरी होती है। लाहुल निवासी लाल चन्द शर्मा, दिनेश और राहुल ने बताया मणिमहेश यात्रा पर जा रहे श्रद्धालु खोलढु पधर माता थान, केलंग मंदिर तथा मणिमेहश में विशेष पूजा करेंगे।
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