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मनाली की जया सागर यूके में करेंगी Ph.D, मिली ढाई करोड़ की छात्रवृत्ति

मनाली की जया सागर ने दुनिया के 400 से अधिक आवेदनकर्ताओं में से शीर्ष 10 में जगह बनाई है. अब वे क्वांटम कम्प्यूटिंग में पीएचडी करने यूके जाएंगी. चार साल के इस प्रोग्राम के लिए सभी खर्च जुत्शी-स्मिथ स्कॉलरशिप की ओर से उठाया जाएगा.

jaya sagar University of Bristol
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Published : Aug 31, 2020, 8:06 PM IST

Updated : Sep 1, 2020, 9:53 AM IST

मनालीः पर्यटन स्थल मनाली की जया सागर रिसर्च के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल यूके जाएंगी. दुनिया के 400 से अधिक आवेदनकर्ताओं में शामिल मनाली की जया सागर एशिया की एकमात्र छात्रा है जिसने दुनिया के शीर्ष 10 में जगह बनाई है. चार साल के इस प्रोग्राम के लिए सभी खर्च जुत्शी-स्मिथ स्कालरशिप द्वारा उठाया जाएगा जिसकी राशि ढाई करोड़ से अधिक रहेगी.

जया सागर एनआईटी हमीरपुर से इसी साल इलेक्ट्रॉनिक्स कम्यूनिकेशन कर इंजीनियर बनी हैं. अब वे क्वांटम कम्प्यूटिंग में पीएचडी करने यूके जा रहीं हैं. हाल ही में म्यूनिक, जर्मनी में हुई क्वांटम टेक्नॉलजी की वर्चूअल कॉन्फ़्रेन्स में भी जया ने भारत को गौरवांवित किया.

मनाली पब्लिक स्कूल की ओर से दसवीं में राष्ट्रीय स्तर पर चिल्ड्रन साइंस काग्रेस में जया ने हिमाचल का प्रतिनिधित्व किया था. राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला मनाली की ओर से 2013 में बेंगलुरु में हुए राष्ट्रस्तरीय आइरिस विज्ञान मेले में भी जया ने स्वर्ण पदक हासिल किया. इसी स्कूल की ओर से साल 2014 में अमेरिका में हुए इंटेल इंटरनेशनल साइस फेयर में जया ने 80 देशों के बाल वैज्ञानिकों के बीच भारत को दो पुरस्कार दिलाए.

जल विद्युत और सेब की खेती को बेहतर करने के क्षेत्र में जया के कार्य ने उन्हें हिमाचल की सबसे छोटी कॉपीराइट प्राप्त करने वाली छात्रा बनाया है. शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर ने रिसर्च के लिए यूके जा रही जया सागर को बेहतर भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी हैं.

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की ओर से भी जया सागर की हर मदद की जाएगी. जया ने बताया कि पीएचडी के इस प्रोग्राम कि लिए पूरी दुनिया से सिर्फ 10 छात्रों का चयन हुआ है जिसमें एशिया से सिर्फ उनका ही चयन हुआ है. इस स्कालर्शिप में फीस, आने-जाने का हवाई खर्च, रिसर्च ग्रांट और बाकी खर्च जुत्शी-स्मिथ स्कालरशिप द्वारा उठाया जाएगा.

जया सागर ने बताया कि पिछले साल जेकेयू-लिंज, ऑस्ट्रीया की यूनिवर्सिटी से अपनी रीसर्च इंटर्न्शिप की थी जिसका सारा खर्च परमर्था फाउंडेशन द्वारा उठाया गया था. इन्टरशिप के दौरान जया की रीसर्च के प्रति उनके रुझान और लगन को देखकर उनके प्रफेसर डॉ. अलेक्सण्ड्र पालेर ने जया को इस कोर्स के लिए प्रेरित किया.

जया ने अपनी सफलता का श्रेय अपनी माता मनजीत कोर, बड़े पापा गुप्तराम ठाकुर, रावमा पाठशाला के प्रधानचार्य रहे रूप सिंह ठाकुर, भौतिक शस्त्र के प्राध्यापक राज पाल गुलेरिया सहित अपने समस्त अध्यापकों को दिया है.

ये भी पढ़ें- भोरंज पुलिस ने मुंडखर में पकड़ा 2.04 ग्राम चिट्टा, जांच में जुटी पुलिस

ये भी पढ़ें- आनी में पब्लिक डीलिंग के लिए 24 घंटे तक सरकारी कार्यालय बंद, सिर्फ दवाई की दुकानें रहेंगी खुली

मनालीः पर्यटन स्थल मनाली की जया सागर रिसर्च के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल यूके जाएंगी. दुनिया के 400 से अधिक आवेदनकर्ताओं में शामिल मनाली की जया सागर एशिया की एकमात्र छात्रा है जिसने दुनिया के शीर्ष 10 में जगह बनाई है. चार साल के इस प्रोग्राम के लिए सभी खर्च जुत्शी-स्मिथ स्कालरशिप द्वारा उठाया जाएगा जिसकी राशि ढाई करोड़ से अधिक रहेगी.

जया सागर एनआईटी हमीरपुर से इसी साल इलेक्ट्रॉनिक्स कम्यूनिकेशन कर इंजीनियर बनी हैं. अब वे क्वांटम कम्प्यूटिंग में पीएचडी करने यूके जा रहीं हैं. हाल ही में म्यूनिक, जर्मनी में हुई क्वांटम टेक्नॉलजी की वर्चूअल कॉन्फ़्रेन्स में भी जया ने भारत को गौरवांवित किया.

मनाली पब्लिक स्कूल की ओर से दसवीं में राष्ट्रीय स्तर पर चिल्ड्रन साइंस काग्रेस में जया ने हिमाचल का प्रतिनिधित्व किया था. राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला मनाली की ओर से 2013 में बेंगलुरु में हुए राष्ट्रस्तरीय आइरिस विज्ञान मेले में भी जया ने स्वर्ण पदक हासिल किया. इसी स्कूल की ओर से साल 2014 में अमेरिका में हुए इंटेल इंटरनेशनल साइस फेयर में जया ने 80 देशों के बाल वैज्ञानिकों के बीच भारत को दो पुरस्कार दिलाए.

जल विद्युत और सेब की खेती को बेहतर करने के क्षेत्र में जया के कार्य ने उन्हें हिमाचल की सबसे छोटी कॉपीराइट प्राप्त करने वाली छात्रा बनाया है. शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर ने रिसर्च के लिए यूके जा रही जया सागर को बेहतर भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी हैं.

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की ओर से भी जया सागर की हर मदद की जाएगी. जया ने बताया कि पीएचडी के इस प्रोग्राम कि लिए पूरी दुनिया से सिर्फ 10 छात्रों का चयन हुआ है जिसमें एशिया से सिर्फ उनका ही चयन हुआ है. इस स्कालर्शिप में फीस, आने-जाने का हवाई खर्च, रिसर्च ग्रांट और बाकी खर्च जुत्शी-स्मिथ स्कालरशिप द्वारा उठाया जाएगा.

जया सागर ने बताया कि पिछले साल जेकेयू-लिंज, ऑस्ट्रीया की यूनिवर्सिटी से अपनी रीसर्च इंटर्न्शिप की थी जिसका सारा खर्च परमर्था फाउंडेशन द्वारा उठाया गया था. इन्टरशिप के दौरान जया की रीसर्च के प्रति उनके रुझान और लगन को देखकर उनके प्रफेसर डॉ. अलेक्सण्ड्र पालेर ने जया को इस कोर्स के लिए प्रेरित किया.

जया ने अपनी सफलता का श्रेय अपनी माता मनजीत कोर, बड़े पापा गुप्तराम ठाकुर, रावमा पाठशाला के प्रधानचार्य रहे रूप सिंह ठाकुर, भौतिक शस्त्र के प्राध्यापक राज पाल गुलेरिया सहित अपने समस्त अध्यापकों को दिया है.

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Last Updated : Sep 1, 2020, 9:53 AM IST
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