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भाग्य हाथ की लकीरों में नहीं होता! मुंह में पेन फंसाकर दिए पेपर, लाया 88 फीसदी अंक

एक दर्दनाक हादसे में रजत ने अपने दोनों हाथ गवां दिए थे. लेकिन रजत ने हिम्मत नहीं हारी. पढ़ाई के साथ-साथ रजत का खेलों से भी लगाव है.

कुल्लू के रजत.
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Published : Apr 24, 2019, 10:51 AM IST

Updated : Apr 24, 2019, 11:06 AM IST

कुल्लू: कहते हैं कि अगर आपने बढ़ने की ठान ली तो हर मुश्किल आपके सामने घुटने टेक देती है. ऐसी ही एक मिसाल हैं कुल्लू के रहने वाले रजत, जो हिम्मत और जुनून की जीती जागती मिसाल हैं. रजत के दोनों हाथ नहीं है. बिना हाथ रजत ने साबित कर दिखाया है कि अगर किसी काम को करने की ललक आपके मन मे हैं तो उसके परिणाम आपसे दूर नहीं.

बीते सोमवार को हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड धर्मशाला द्वारा घोषित परीक्षा परिणाम में इस होनहार ने विज्ञान संकाय में 500 में से 404 यानी कि 88.80 फीसदी अंक हासिल किए हैं. बड़ी बात यह है कि रजत ने सभी परीक्षाएं अपने मुंह और दांतों की मदद से लिखी है. रजत ने दसवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं में भी मुंह से लिखकर 700 में से 613 यानी कि 88 फीसदी अंक हासिल किए थे.

ये भी पढ़ें: प्यासे ग्रामीणों की 'वोट पर चोट', गांव में पानी लाओ वोट पाओ

इतना ही नहीं होनहार रजत बिना हाथों के ऐसी पेंटिंग करता है कि एक बेहतर चित्रकार भी दंग रह जाए. पढ़ाई के साथ-साथ रजत का खेलों से भी लगाव है. अक्सर रजत को सुबह सुबह अपनी टीम के साथ मैदान में फुटबॉल खेलते हुए देखा जाता है. पिता जयराम जो पेशे से शारीरिक शिक्षक है. उनका कहना है कि बेटा होनहार है और वो हमेशा उसके सपनों के साथ है. रजत जो भी जिंदगी में करना चाहता है उसने अपने दम पर वो सब कर दिखाया.

ये भी पढ़ें: करोड़पति हैं कांग्रेस नेता धनीराम शांडिल, दो साल में इतने करोड़ बढ़ी संपत्ति

एक हादसे में रजत ने गवाएं थे दोनों हाथ
24 मार्च 2001 को जय राम और दिनेश कुमारी के यहां जन्में रजत ने अभी होश ही संभाला था कि उन पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा. बात 27 अक्तूबर 2009 की है जब एक दर्दनाक हादसे में रजत बिजली की एचटी लाइन की चपेट में आ गया था. हासदे में जान तो बच गई लेकिन इसके बदले अपने दोनों हाथ गंवाने पड़े थे. माता दिनेश कुमारी बताती हैं कि इस घटना के बाद परिवार पर दुखों का पहाड़ से टूट गया. लेकिन रजत ने हिम्मत नहीं हारी. फ़र्क सिर्फ इतना है कि कामयाबी की इस इबारत को लिखने के लिए उनके पास हाथ नहीं है.

कुल्लू: कहते हैं कि अगर आपने बढ़ने की ठान ली तो हर मुश्किल आपके सामने घुटने टेक देती है. ऐसी ही एक मिसाल हैं कुल्लू के रहने वाले रजत, जो हिम्मत और जुनून की जीती जागती मिसाल हैं. रजत के दोनों हाथ नहीं है. बिना हाथ रजत ने साबित कर दिखाया है कि अगर किसी काम को करने की ललक आपके मन मे हैं तो उसके परिणाम आपसे दूर नहीं.

बीते सोमवार को हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड धर्मशाला द्वारा घोषित परीक्षा परिणाम में इस होनहार ने विज्ञान संकाय में 500 में से 404 यानी कि 88.80 फीसदी अंक हासिल किए हैं. बड़ी बात यह है कि रजत ने सभी परीक्षाएं अपने मुंह और दांतों की मदद से लिखी है. रजत ने दसवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं में भी मुंह से लिखकर 700 में से 613 यानी कि 88 फीसदी अंक हासिल किए थे.

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इतना ही नहीं होनहार रजत बिना हाथों के ऐसी पेंटिंग करता है कि एक बेहतर चित्रकार भी दंग रह जाए. पढ़ाई के साथ-साथ रजत का खेलों से भी लगाव है. अक्सर रजत को सुबह सुबह अपनी टीम के साथ मैदान में फुटबॉल खेलते हुए देखा जाता है. पिता जयराम जो पेशे से शारीरिक शिक्षक है. उनका कहना है कि बेटा होनहार है और वो हमेशा उसके सपनों के साथ है. रजत जो भी जिंदगी में करना चाहता है उसने अपने दम पर वो सब कर दिखाया.

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एक हादसे में रजत ने गवाएं थे दोनों हाथ
24 मार्च 2001 को जय राम और दिनेश कुमारी के यहां जन्में रजत ने अभी होश ही संभाला था कि उन पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा. बात 27 अक्तूबर 2009 की है जब एक दर्दनाक हादसे में रजत बिजली की एचटी लाइन की चपेट में आ गया था. हासदे में जान तो बच गई लेकिन इसके बदले अपने दोनों हाथ गंवाने पड़े थे. माता दिनेश कुमारी बताती हैं कि इस घटना के बाद परिवार पर दुखों का पहाड़ से टूट गया. लेकिन रजत ने हिम्मत नहीं हारी. फ़र्क सिर्फ इतना है कि कामयाबी की इस इबारत को लिखने के लिए उनके पास हाथ नहीं है.

मुह से पैन पकड़ दी परीक्षा
 हिमाचल स्कूल शिक्षा बोर्ड की जमा दो विज्ञान संकाय में हासिल किए 80.80 फ़ीसदी अंक 
कुल्लू
कहते है हिम्मत और जुनून के आगे सब कुछ हार जाता है। इंसान के अंदर हौसला होता है वह अपने हौसले  से सब कुछ हासिल कर सकता है।
यही बात साबित की है आनी के होनहार छात्र रजत ने। 24 मार्च 2001 को जय राम और दिनेश कुमारी के यहाँ जन्में रजत ने अभी होश ही सम्भाला था कि मुसीबतों का अंबर उन पर टूट पड़ा। बात 27 अक्तूबर 2009 की है जब एक दर्दनाक हादसे में रजत बिजली की एचटी लाइन की चपेट में आ गया। जान तो बच गई लेकिन इसके बदले अपने दोनों हाथ गँवाने पड़े थे। बिन हाथों के आज इस छात्र ने अपनी एक अलग पहचान कायम की है। माता दिनेश कुमारी ने बताया कि इस घटना के बाद उन पर दुखों का पहाड़ से टूट गया। लेकिन रजत ने हिम्मत नहीं हारी। फ़र्क सिर्फ इतना है कि कामयाबी की इस इबारत को लिखने के लिए उनके पास हाथ नहीं है। बिना हाथ रजत ने साबित कर दिखाया है कि अगर किसी काम को करने की ललक आपके मन मे हैं तो उसके परिणाम आपसे दूर नहीं। बीते सोमवार को हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड धर्मशाला द्वारा घोषित परीक्षा परिणाम में इस होनहार ने विज्ञान संकाय में 500 में से 404 यानी कि 88.80 फ़ीसदी अंक हासिल किए हैं। बड़ी बात यह है कि रजत ने सभी परीक्षाएं अपने मुँह और दाँतों की मदद से लिखी है। इस छात्र ने एक ऐसी इबारत लिख डाली है जो शायद ही कोई लिखे।  इस छात्र ने दसवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं में भी मुँह से लिखकर 700 में से 613 यानी कि 88 फ़ीसदी अंक हासिल किए थे। इतना ही नहीं होनहार रजत बिन हाथों के ऐसी चित्रकारिता करता है कि एक बेहतर चित्रकार भी दंग रह जाए। पढ़ाई के साथ साथ रजत को खेलों से भी लगाव है। अक्सर रजत को सुबह सुबह अपनी टीम के साथ मैदान में फुटबॉल खेलते हुए देखा जाता है। पिता जयराम जो पेशे से शारीरिक शिक्षक है। उनका कहना है कि बेटा होनहार है और वो हमेशा उसके सपनों के साथ है। रजत जो भी ज़िंदगी में करना चाहता है उसने अपने दम पर वो सब कर दिखाया। 
Last Updated : Apr 24, 2019, 11:06 AM IST
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