कुल्लू: कहते हैं कि अगर आपने बढ़ने की ठान ली तो हर मुश्किल आपके सामने घुटने टेक देती है. ऐसी ही एक मिसाल हैं कुल्लू के रहने वाले रजत, जो हिम्मत और जुनून की जीती जागती मिसाल हैं. रजत के दोनों हाथ नहीं है. बिना हाथ रजत ने साबित कर दिखाया है कि अगर किसी काम को करने की ललक आपके मन मे हैं तो उसके परिणाम आपसे दूर नहीं.
बीते सोमवार को हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड धर्मशाला द्वारा घोषित परीक्षा परिणाम में इस होनहार ने विज्ञान संकाय में 500 में से 404 यानी कि 88.80 फीसदी अंक हासिल किए हैं. बड़ी बात यह है कि रजत ने सभी परीक्षाएं अपने मुंह और दांतों की मदद से लिखी है. रजत ने दसवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं में भी मुंह से लिखकर 700 में से 613 यानी कि 88 फीसदी अंक हासिल किए थे.
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इतना ही नहीं होनहार रजत बिना हाथों के ऐसी पेंटिंग करता है कि एक बेहतर चित्रकार भी दंग रह जाए. पढ़ाई के साथ-साथ रजत का खेलों से भी लगाव है. अक्सर रजत को सुबह सुबह अपनी टीम के साथ मैदान में फुटबॉल खेलते हुए देखा जाता है. पिता जयराम जो पेशे से शारीरिक शिक्षक है. उनका कहना है कि बेटा होनहार है और वो हमेशा उसके सपनों के साथ है. रजत जो भी जिंदगी में करना चाहता है उसने अपने दम पर वो सब कर दिखाया.
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एक हादसे में रजत ने गवाएं थे दोनों हाथ
24 मार्च 2001 को जय राम और दिनेश कुमारी के यहां जन्में रजत ने अभी होश ही संभाला था कि उन पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा. बात 27 अक्तूबर 2009 की है जब एक दर्दनाक हादसे में रजत बिजली की एचटी लाइन की चपेट में आ गया था. हासदे में जान तो बच गई लेकिन इसके बदले अपने दोनों हाथ गंवाने पड़े थे. माता दिनेश कुमारी बताती हैं कि इस घटना के बाद परिवार पर दुखों का पहाड़ से टूट गया. लेकिन रजत ने हिम्मत नहीं हारी. फ़र्क सिर्फ इतना है कि कामयाबी की इस इबारत को लिखने के लिए उनके पास हाथ नहीं है.