मनाली: शीतकालीन ओलंपिक की ल्यूज स्पर्धा में भाग लेने वाले पहले भारतीय शिवा केशवन को अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया जाएगा. शिवा केशवन हाल ही में भारतीय ल्यूज महासंघ के मुख्य कोच बने हैं. अर्जुन अवॉर्ड मिलने की खबर के बाद शिवा केशवन के गांव मनाली में खुशी का माहौल है.
केशवन ने 22 साल तक ल्यूज स्पर्धा में भारत का प्रतिनिधित्व किया. शिवा ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के लिए 10 पदक जीते हैं और कई विश्व एवं एशियाई रिकॉर्ड अपने नाम किए हैं. केशवन ने 1998 से 2018 तक छह शीतकालीन ओलंपिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया. उन्होंने 2018 शीतकालीन ओलंपिक के बाद सन्यास लिया.
शिवा की मां इटली की हैं और पिता केरल निवासी हैं जो मनाली में रहते हैं. केशवन की माता रोशलवा, पिता सुधाकरन व शिवा के दोस्त विशाल मेहरा ने बताया कि अर्जुन अवॉर्ड जीत कर शिवा ने हिमाचल प्रदेश समेत मनाली का नाम रोशन किया है.
विंटर ओलंपिक गेम्स के प्रति युवाओं को जागरूक करने के लिए नेशनल टेलेंट स्काउट नाम से कार्यक्रम चलाया गया है. इसके तहत गांव-गांव और स्कूलों में जाकर युवाओं को ल्यूज खेल से अवगत करवाना है. मनाली के बच्चों में भी शीतकालीन खेलों के प्रति बेहद जुनून है. ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करना बड़े सम्मान की बात होती है.
ल्यूज खेल के बारे में ऑस्ट्रिया के जाने माने खिलाड़ी गुंटर लेमरर ने 1997 में विस्तार से बताया. बिना उपकरणों के यह खेल शुरू करना दिक्कत भरा था, लेकिन जुनून सब कमियों पर भारी पड़ गया. शुरू में खेल के उपकरण दक्षिण कोरिया की टीम से उधार लिए. साल 1998 में 16 साल की उम्र में पहली बार विंटर ओलंपिक में ल्यूज खेल में भाग लेकर शिवा केशवन सबसे कम युवा ओलंपियन बने.
क्या है ल्यूज खेल ?
ल्यूज एक लकड़ी व प्लास्टिक से बनी पट्टी के आकार की स्की होती है जिस पर बैठकर बर्फ की परत पर फिसला जाता है. इसे ल्यूज खेल कहा जाता है. 2011 में मनाली के शिवा केशवन ने एशियन गेम्स में स्वर्ण हासिल कर घाटी के युवाओं का ध्यान इस खेल की ओर आकृषत किया था.
शिवा केशवन की लगन व रुचि से मनाली में इस खेल की लोकप्रियता बढ़ी है. गौरतलब है कि हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के जन्मदिन पर 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस पर यह सम्मान दिया जाएगा.
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