ETV Bharat / city

जाति के नाम पर गांवों की पहचान प्रासंगिक नहीं, इन्हें तुरंत हटाने की जरूरत: वीरेंद्र कश्यप

हिमाचल प्रदेश राज्य अनुसूचित जाति आयोग हिमाचल प्रदेश में जाति के नाम पर गांवों के नामों को बदलने (Name of villages on cast in Himachal) पर विचार कर रहा है. इस संबंध में आयोग ने सरकार को भी अवगत करवाया है. पढ़ें पूरी खबर...

हिमाचल प्रदेश राज्य अनुसूचित जाति आयोग
हिमाचल प्रदेश राज्य अनुसूचित जाति आयोग
author img

By

Published : Aug 10, 2022, 7:13 PM IST

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में जाति के नाम पर कई गांव के नाम रखे गए (Name of villages on cast in Himachal) हैं, तो वहीं अब इन गांवों के नाम को बदलने पर भी विचार किया जा रहा है. हिमाचल प्रदेश राज्य अनुसूचित जाति आयोग के द्वारा इस बारे प्रदेश सरकार को भी अवगत करवाया गया है और मांग रखी गई है कि जाति के नाम पर गांव की पहचान नहीं होनी चाहिए और इन नामों को तुरंत हटाया जाए.

कुल्लू पहुंचे हिमाचल प्रदेश राज्य अनुसूचित जाति आयोग (Himachal State Commission for Scheduled Castes) के अध्यक्ष वीरेंद्र कश्यप ने कहा कि आज जब समूचा राष्ट्र आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और देश ने सभी क्षेत्रों में अभूतपूर्व तरक्की हासिल कर ली है, ऐसे में हिमाचल प्रदेश के अनेक गांव ऐसे हैं जिनका नाम जातियों के नाम से रखा गया है. उन्होंने कहा कि गांवों के नाम से जाति विशेष के संबोधन को तुरंत हटाने की जरूरत है.

राज्य अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष वीरेंद्र कश्यप.

राजस्व विभाग इस मामले में हस्तक्षेप करके नये नामकरण करवाए. कुल्लू के देवसदन में कुल्लू तथा भुंतर विकास खण्डों के पंचायती राज संस्थानों व नगर निकायों के चुने हुए अनुसूचित जाति के प्रतिनिधियों के लिये आयोजित एक जागरूकता कार्यशाला को संबोधित करते हुए वीरेंद्र कश्यप ने कहा कि अनुसूचित जाति के लोगों के साथ किसी भी प्रकार के अत्याचार के निवारण के लिये सख्त कानून बनाए गए हैं. इनका कड़ाई के साथ पालन किया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा कि पुलिस को अत्याचार के मामलों में अविलंब प्राथमिक सूचना रिपोर्ट दर्ज करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति के उत्पीड़न के ऐसे मामलों में डीएसपी से नीचे का अधिकारी जांच नहीं कर सकता. एफआईआर न्यायालय में जाने पर पीड़ित व्यक्ति को मामले के आधार पर सरकार एक लाख रुपये से लेकर आठ लाख रूपये तक की मुआवजा राशि तीन किश्तों में प्रदान करती है.

आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि अनुसूचित जाति वर्ग के लिये सरकार की अनेक कल्याणकारी योजनाएं हैं. उन्होंने चिंता जाहिर की कि अधिकांश लोगों को योजनाओं की जानकारी नहीं है. उन्होंने चुने हुए प्रतिनिधियों से लोगों तक जानकारी पहुंचाने की अपील की. उन्होंने कहा कि इस वर्ग के लोगों को यदि समाज की ज्यादतियों से बचना है तो कानून व अपने अधिकारों की जानकारी होना जरूरी है.

उन्होंने कहा कि सरकार की योजनाएं निचले स्तर पर पहुंचनी चाहिए ताकि कोई एक भी पात्र व्यक्ति इनके लाभ से वंचित नहीं रहने पाए. उन्होंने पंचायती राज संस्थानों के चुने हुए प्रतिनिधियों से अपने-अपने गांव व वार्ड के लिये विकास की योजनाएं बनाने को कहा. उन्होंने कहा कि सभी योजनाओं का क्रियान्वयन पंचायत स्तर से हो रहा है. वीरेंद्र कश्यप ने कहा कि जब तक अनुसूचित जाति के लोगों की आर्थिकी मजबूत नहीं होगी, तब तक उनके सामाजिक कल्याण के बारे में कल्पना नहीं की जा सकती.

उन्होंने कहा कि वह प्रदेशभर में खण्ड स्तर के पंचायती राज संस्थानों के चुने हुए प्रतिनिधियों के साथ इसी प्रकार की जागरूकता कार्यशालाएं करेंगे ताकि सरकार की योजनाओं की जानकारी व विभिन्न कानूनों व अधिकारों की जानकारी जन-जन तक पहुंचे. एचपीएमसी के उपाध्यक्ष राम सिंह ने कहा कि जातिसूचक शब्दों का आज भी इस्तेमाल हो रहा है, यह चिंता की बात है.

उन्होंने कहा कि समाज में समरसता बहुत जरूरी है और इसके लिये लोग स्थानीय स्तर पर बेहतर योगदान कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति के लोग तेजी से साक्षर बन रहे हैं और अनेक महत्वपूर्ण पदों पर आसीन हैं. आजादी के बाद आज के परिवेश में यदि नजर डालें, तो इस वर्ग के लोगों के जीवन स्तर में बड़ा सकारात्मक बदलाव आया है. सरकार की विशेष योजनाओं से लोग लाभांवित हो रहे हैं.

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में जाति के नाम पर कई गांव के नाम रखे गए (Name of villages on cast in Himachal) हैं, तो वहीं अब इन गांवों के नाम को बदलने पर भी विचार किया जा रहा है. हिमाचल प्रदेश राज्य अनुसूचित जाति आयोग के द्वारा इस बारे प्रदेश सरकार को भी अवगत करवाया गया है और मांग रखी गई है कि जाति के नाम पर गांव की पहचान नहीं होनी चाहिए और इन नामों को तुरंत हटाया जाए.

कुल्लू पहुंचे हिमाचल प्रदेश राज्य अनुसूचित जाति आयोग (Himachal State Commission for Scheduled Castes) के अध्यक्ष वीरेंद्र कश्यप ने कहा कि आज जब समूचा राष्ट्र आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और देश ने सभी क्षेत्रों में अभूतपूर्व तरक्की हासिल कर ली है, ऐसे में हिमाचल प्रदेश के अनेक गांव ऐसे हैं जिनका नाम जातियों के नाम से रखा गया है. उन्होंने कहा कि गांवों के नाम से जाति विशेष के संबोधन को तुरंत हटाने की जरूरत है.

राज्य अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष वीरेंद्र कश्यप.

राजस्व विभाग इस मामले में हस्तक्षेप करके नये नामकरण करवाए. कुल्लू के देवसदन में कुल्लू तथा भुंतर विकास खण्डों के पंचायती राज संस्थानों व नगर निकायों के चुने हुए अनुसूचित जाति के प्रतिनिधियों के लिये आयोजित एक जागरूकता कार्यशाला को संबोधित करते हुए वीरेंद्र कश्यप ने कहा कि अनुसूचित जाति के लोगों के साथ किसी भी प्रकार के अत्याचार के निवारण के लिये सख्त कानून बनाए गए हैं. इनका कड़ाई के साथ पालन किया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा कि पुलिस को अत्याचार के मामलों में अविलंब प्राथमिक सूचना रिपोर्ट दर्ज करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति के उत्पीड़न के ऐसे मामलों में डीएसपी से नीचे का अधिकारी जांच नहीं कर सकता. एफआईआर न्यायालय में जाने पर पीड़ित व्यक्ति को मामले के आधार पर सरकार एक लाख रुपये से लेकर आठ लाख रूपये तक की मुआवजा राशि तीन किश्तों में प्रदान करती है.

आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि अनुसूचित जाति वर्ग के लिये सरकार की अनेक कल्याणकारी योजनाएं हैं. उन्होंने चिंता जाहिर की कि अधिकांश लोगों को योजनाओं की जानकारी नहीं है. उन्होंने चुने हुए प्रतिनिधियों से लोगों तक जानकारी पहुंचाने की अपील की. उन्होंने कहा कि इस वर्ग के लोगों को यदि समाज की ज्यादतियों से बचना है तो कानून व अपने अधिकारों की जानकारी होना जरूरी है.

उन्होंने कहा कि सरकार की योजनाएं निचले स्तर पर पहुंचनी चाहिए ताकि कोई एक भी पात्र व्यक्ति इनके लाभ से वंचित नहीं रहने पाए. उन्होंने पंचायती राज संस्थानों के चुने हुए प्रतिनिधियों से अपने-अपने गांव व वार्ड के लिये विकास की योजनाएं बनाने को कहा. उन्होंने कहा कि सभी योजनाओं का क्रियान्वयन पंचायत स्तर से हो रहा है. वीरेंद्र कश्यप ने कहा कि जब तक अनुसूचित जाति के लोगों की आर्थिकी मजबूत नहीं होगी, तब तक उनके सामाजिक कल्याण के बारे में कल्पना नहीं की जा सकती.

उन्होंने कहा कि वह प्रदेशभर में खण्ड स्तर के पंचायती राज संस्थानों के चुने हुए प्रतिनिधियों के साथ इसी प्रकार की जागरूकता कार्यशालाएं करेंगे ताकि सरकार की योजनाओं की जानकारी व विभिन्न कानूनों व अधिकारों की जानकारी जन-जन तक पहुंचे. एचपीएमसी के उपाध्यक्ष राम सिंह ने कहा कि जातिसूचक शब्दों का आज भी इस्तेमाल हो रहा है, यह चिंता की बात है.

उन्होंने कहा कि समाज में समरसता बहुत जरूरी है और इसके लिये लोग स्थानीय स्तर पर बेहतर योगदान कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति के लोग तेजी से साक्षर बन रहे हैं और अनेक महत्वपूर्ण पदों पर आसीन हैं. आजादी के बाद आज के परिवेश में यदि नजर डालें, तो इस वर्ग के लोगों के जीवन स्तर में बड़ा सकारात्मक बदलाव आया है. सरकार की विशेष योजनाओं से लोग लाभांवित हो रहे हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.