कुल्लू: देश में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए लॉकडाउन को दो हफ्तों तक बढ़ाया गया है. लॉकडाउन बढ़ने से जहां हर व्यक्ति परेशान है, वहीं किसानों पर भी इसकी मार पड़ रही है. जिला कुल्लू के ग्रामीण इलाकों में भी किसानों ने गोभी व ब्रोकली की फसल उगाई है. किसानों के खेतों में फसल तो तैयार है लेकिन बाहरी राज्यों की मंडियों के बंद होने के चलते फसल खेतों में ही खराब होने की कगार पर है.
हालांकि, जिला स्तर पर सब्जी मंडियां तो खोली गई है लेकिन ग्रामीणों को अपने उत्पाद के सही दाम नहीं मिल पा रहे हैं. किसानों का कहना है कि ब्रोकली की पैदावार तो किसानों ने कर ली है लेकिन उसके लिए यहां बाजार की व्यवस्था बिल्कुल भी नहीं है. ऐसे में दिल्ली व अन्य बाहरी राज्यों की मंडी बंद होने के चलते वे अपने उत्पाद नहीं भेज पा रहे हैं.
किसानों की फसल खेतों में ही पूरी तरह खराब होने को तैयार है. वहीं, फूल गोभी की फसल को भी जब मंडियों में भेजा जा रहा है तो उसकी 5 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक का दाम नहीं मिल पा रहा है. इतने कम दाम मिलने के चलते किसानों को अब की बार लागत में खर्च हुई राशि की भरपाई करना भी मुश्किल हो रहा है.
स्थानीय किसान भुवनेश का कहना है कि उनके खेतों में जो गोभी की फसल तैयार हुई है उसके अब दाम नहीं मिल पा रहे हैं. उन्होंने बताया कि ब्रोकली को हिमाचल में कहीं भी बाजार नहीं मिल पा रहा है जिसके चलते उनकी लागत राशि की भरपाई भी नहीं हो पा रही है. उन्होंने सरकार से मांग की है कि वह किसानों के हुए नुकसान की भरपाई के बारे में कोई नीति तैयार करे, जिससे उनको राहत मिल सकेगी.
गौर रहे कि जिला कुल्लू में भी किसान विदेशी सब्जियों का उत्पादन करते हैं, लेकिन अब की बार कोरोना वायरस के चलते सभी राज्यों के बॉर्डर सील हैं. यहां तक की बाहरी राज्यों की मंडी भी बिल्कुल बंद है जिसके चलते कुल्लू के किसानों को लाखों रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है.
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