कुल्लू: हिमाचल प्रदेश के लिए बड़ी खबर है. भांग की खेती को वैध करवाने का प्रक्रिया जारी है. प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (chief minister jairam thakur) ने मलाणा दौरे के दौरान इस बात का खुलासा किया है और कहा है कि कंट्रोल वे पर भांग की खेती को लिगलाइज करवाने का खाका तैयार किया जा रहा है. इसके लिए वैज्ञानिकों सहित एक कमेटी का भी गठन किया गया है और उत्तराखंड सरकार से भी राय ली जा रही है कि वहां पर भांग की खेती को वैध बनाने के लिए क्या मापदंड अपनाए गए हैं. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की तर्ज पर हिमाचल में भी भांग की खेती अब वैध होगी.
पहाड़ी प्रदेश हिमाचल में भांग की खेती को कानूनी करने का मामल विधानसभा सत्र में भी कई बार उठ चुका है. सबसे पहले चच्योट (वर्तमान में सिराज) विधानसभा के विधायक मोतीराम ने यह मामला विधानसभा में उठाया था और उस समय बहुत सारे विधायकों व मंत्रियों ने इसकी आलोचना की थी. उसके बाद महेश्वर सिंह, सुंदर ठाकुर व सुरेंद्र शौरी ने भी यह मामला उठाया. पिछले सत्र में भी सत्ता पक्ष के सदस्यों की तरफ से ही सदन में संकल्प प्रस्ताव में भांग की खेती को लीगल करने की मांग उठाई गई.
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सदस्यों ने उत्तराखंड की तर्ज पर सदन में नशा रहित भांग की खेती को लीगल करने की मांग उठाई. भांग की खेती यहां की पुश्तैनी खेती है. इसमें नशे की मात्रा बहुत कम होती है. भांग के पौधे दवाई के साथ-साथ रेशे व बीज में भी काम आते हैं. यदि भांग की खेती कानूनी होती है तो इससे बेरोजगार ग्रामीणों को रोजगार के अवसर मिलेंगे. इसलिए उत्तराखंड की तर्ज पर हिमाचल में भी भांग खेती को सरकार को कानूनी करना चाहिए.
सीएम जयराम ठाकुर (CM Jairam Thakur) ने कहा कि भांग की खेती को लीगल करने के लिए जरूरी मापदंडों का अध्ययन करना जरूरी है. भांग दवाइयों को बनाने के लिए भी उपयोग में लाई जाती है. उन्होंने बताया कि सदस्यों की तरफ से सुझाव आ रहे हैं. इसलिए सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर भांग की खेती को लीगल किए जाने पर विचार किया जाएगा. बता दें कि भांग कैंसर सहित 200 से अधिक बीमारियों के लिए रामबाण है. अमेरिका व यूरोपीय देशों में भांग के कई उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं. इसके अलावा चीन में सेना के लिए इसके रेशे से बुलेटप्रूफ जैकेट्स बनाई जा रही है.
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