कुल्लू: देश विदेश की प्रसिद्ध चोटियों को फतह करने का सपना हर पर्वतारोही का होता है और इस सपने को अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण संस्थान (Atal Bihari Vajpayee Mountaineering Institute) कई दशकों से साकार करता आ रहा है. इस संस्थान से आज तक लाखों युवा साहसिक गतिविधियों का प्रशिक्षण लेकर देश विदेश में अपना नाम कमा चुके हैं और आज भी यहां हर साल युवाओं को सहायक गतिविधियों का प्रशिक्षण उपलब्ध करवाया जाता है, ताकि युवा साहसिक गतिविधियों में अपने इलाके का नाम रोशन कर सकें.
जिला कुल्लू की पर्यटन नगरी मनाली में स्थापित अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण एवं संबद्ध खेल संस्थान (Mountaineering Institute in Manali) लगभग छह दशकों से पर्वतारोहण व शीत खेलों के प्रशिक्षण व उत्थान में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. ये संस्थान देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के मार्गदर्शन में वर्ष 1961 में पश्चिमी हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान के नाम से स्थापित किया गया था. अभी तक इस संस्थान में 2 लाख से अधिक युवाओं, एडवेंचर के शौकीन व महिलाओं सहित सैलानियों, पर्वतारोहियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है.
इसी संस्थान ने कई विश्व प्रसिद्ध पर्वतारोही तैयार किए हैं, जिनमें से कई पर्वतारोही संसार की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को भी फतह कर चुके हैं. इनके अलावा यहा प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके कई स्कीयरों ने शीतकालीन खेलों में विश्व स्तर पर नाम कमाया है. संस्थान विभिन्न साहसिक खेलों के प्रशिक्षण में कई आयाम स्थापित कर रहा है. यहां प्रशिक्षण प्राप्त करके कई युवा साहसिक खेलों के माध्यम से स्वरोजगार प्राप्त कर रहे हैं.
हरनाम सिंह का रहा है सराहनीय योगदान: हरनाम सिंह ठाकुर शीतकालीन खेलों को आरंभ करने वाले पश्चिमी हिमालय पर्वतारोहण खेल संस्थान के पहले डायरेक्टर थे. 1961 में वशिष्ठ में संस्थान की शुरुआत हुई. 1976 में इसे अपना बड़ा भव्य भवन मिला. तब से लेकर आज तक संस्थान देश ही नहीं दुनिया में अपनी पहचान बनाए हुए है. संस्थान के पहले निदेशक हरनाम सिंह ने 1977 में साहसिक खेलों के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भी शुरुआत की. प्रदेश ही नहीं देश भर से सांस्कृतिक दल मनाली में आयोजित होने वाली शरद उत्सव का हिस्सा बनने लगे. आज यह उत्सव विंटर कार्निवल के नाम से देश व दुनिया में अपना स्थान बना चुका है.
पूर्व प्रधानमंत्रियों का गहरा नाता: पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी का संस्थान से गहरा नाता रहा है. जिसके चलते प्रदेश सरकार ने संस्थान का नाम अटल जी के नाम से रखा है. प्रधानमंत्री होते हुए अटल बिहारी ने यहां अनेक सम्मेलन, संगोष्ठियां एवं बैठकें कीं. वहीं कई कविताओं का लेखन भी उन्होंने यहां पर किया.
संस्थान ने दिए हैं विश्व स्तर के स्कीयर व पर्वतारोही: इस संस्थान ने विश्व स्तर के पर्वतारोही एवं स्कीयर्स तैयार किए हैं, जिन्होंने संस्थान को साहसिक खेलों के लिए विश्व मानचित्र पर लाने में बहुमूल्य योगदान दिया है. इस संस्थान के कई पर्वतारोही विश्व की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट को कई बार सफलतापूर्वक फतह करने का गौरव प्राप्त कर चुके हैं. शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर का कहना है कि यहां से प्रशिक्षण हासिल करके कई स्कीइंग खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में भी भाग लिया है. वहीं पर्वतारोहियों ने माउंट एवरेस्ट के अलावा भी कई ऊंची चोटियों में फतह करने में सफलता हासिल की है. वही देशभर के विभिन्न वाटर स्पोर्ट्स (Water sports training in Himachal) के लिए भी यहां से खिलाड़ियों को तैयार किया जाता है और साहसिक गतिविधियों का प्रशिक्षण देकर भी युवाओं को स्वरोजगार की ओर प्रेरित किया जाता है.
इन खेला का मिलता है प्रशिक्षण: 1961 में इसे पश्चिमी हिमालय पर्वतारोहण संस्थान के रूप में स्थापित किया गया था. लेकिन बाद में इसका नाम बदलकर 2008 में भारत के पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखा गया. ABVIMAS पर्वतारोहण, स्कीइंग और वाटर स्पोर्ट्स का पाठ्यक्रम प्रदान करता है. जिसमे एडवांस माउंटेनियरिंग कोर्स, एडवांस स्कीइंग कोर्स, इंटरमीडिएट वाटर स्पोर्ट्स कोर्स (व्हाइट वाटर कयाकिंग) और एडवांस वाटर स्पोर्ट्स कोर्स (सेलिंग) इंटरमीडिएट वाटर स्पोर्ट्स कोर्स, एडवांस वाटर स्पोर्ट्स कोर्स (व्हाइट वाटर कयाकिंग), एडवांस वाटर स्पोर्ट्स, उन्नत पर्वतारोहण पाठ्यक्रम भी संस्थान के प्रशिक्षित प्रशिक्षक द्वारा दिया जाता है.