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लॉकडाउन ने छीनी नौकरी, महिला एलोवेरा की खेती कर बनी आत्मनिर्भर - हिमाचल प्रदेश हिंदी समाचार

ग्राम पंचायत नारा के गांव खरूणी निवासी एक महिला ने आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश की है. निजी स्कूल में शिक्षक इस महिला की नौकरी कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन के चलते छूट गई. आजीविका का साधन खत्म होने के बाद महिला ने हिम्मत नहीं हारी और बैंक लोन लेकर खेतों की ओर रूख कर लिया.

Rita Kumari
रीता कुमारी
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Published : Nov 23, 2020, 11:35 AM IST

Updated : Nov 23, 2020, 1:32 PM IST

हमीरपुर: कोरोना संकट ने देश-दुनिया में आर्थिकी को बुरी तरीके से प्रभावित किया है. कोरोना काल में कई लोगों की नौकरी गई हैं तो कई परिवारों को खाने के लाले पड़ गए हैं. लेकिन विपरीत परिस्थितियों में भी कई लोग ऐसे हैं जो ना सिर्फ परिवार के लिए बल्कि दूसरे लोगों के लिए मिसाल पेश कर रहे हैं. इन्हीं में से एक हैं हमीरपुर जिले की रीता कुमारी. कोरोना संकट के बीच में जिला हमीरपुर में ग्राम पंचायत नारा के गांव खरूणी निवासी रीता ने आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश की है.

कोरान संकट से पहले रीता कुमारी के परिवार में सबकुछ अच्छा था. वह खुद निजी स्कूल में पढ़ाती थी, लेकिन कोरोना काल में उनकी नौकरी चली गई. ऐसी विकट परिस्थिति में रीता ने हार नहीं मानी और कुछ अलग करके परिवार को आर्थिकी को फिर से पटरी पर लाने के प्रयास में जुट गईं.

वीडियो रिपोर्ट.

कोरोना संकट के चलते लगे लॉकडाउन के कारण निजी स्कूल में शिक्षक रीता कुमारी की नौकरी चली गई जिससे परिवार की परेशानी बढ़ गई. आजीविका का साधन खत्म होने के बाद महिला ने हिम्मत नहीं हारी और बैंक लोन लेकर खेतों की ओर रूख कर लिया. महिला रीता कुमारी ने आय के लिए कर्ज लेकर एक खेत में एलोवेरा की खेती शुरू कर दी ताकि घर में रहते हुए भी कुछ कमाई हो सके.

रीता कुमारी ने बताया कि लॉकडाउन में वह कोई ऐसा काम करना चाहती थीं जिसे घर में रह कर किया जाए. उन्होंने एक हर्बल कंपनी के संचालक सुनील कौशल से बात की. उनकी सलाह पर उन्होंने अपने एक खेत के लिए एलोवेरा के 5 हजार पौधे मंगवाए. रीता देवी ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री वोकल फॉर लोकल को तरजीह देते हुए एलोवेरा की खेती को चुना. आज के युग में हर्बल पैदावार की खपत दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है.

रीता कुमारी ने कहा कि लोग स्वस्थ रहने के लिए आयुर्वेद या कई जानकारों के दिशा निर्देशों पर एलोवेरा के उत्पादों को दवाई के रूप में ले रहे हैं. जून महीने में रोपे गए इन एलोवेरा के पौधों की फसल अब खेत में लहलहराने लगी है. इसके साथ ही बेबी प्लांट भी निकल रहे हैं. उन्होंने कहा कि यदि निकट भविष्य में कंपनी की ओर से इनका सही दाम मिल जाए जिससे उन्हें मुनाफा भी होगा और वह अपना कर्ज भी उतार पाएंगी.

ये भी पढ़ें- हिमाचल में 25 नवंबर से फिर शुरू होगी हर-घर कोरोना टेस्टिंग, 8 हजार टीमें गठित

ये भी पढ़ें: ऑनलाइन ठगी मामले में कुल्लू पुलिस को कामयाबी, महिला के साथ मुख्य आरोपी झारखंड से गिरफ्तार

हमीरपुर: कोरोना संकट ने देश-दुनिया में आर्थिकी को बुरी तरीके से प्रभावित किया है. कोरोना काल में कई लोगों की नौकरी गई हैं तो कई परिवारों को खाने के लाले पड़ गए हैं. लेकिन विपरीत परिस्थितियों में भी कई लोग ऐसे हैं जो ना सिर्फ परिवार के लिए बल्कि दूसरे लोगों के लिए मिसाल पेश कर रहे हैं. इन्हीं में से एक हैं हमीरपुर जिले की रीता कुमारी. कोरोना संकट के बीच में जिला हमीरपुर में ग्राम पंचायत नारा के गांव खरूणी निवासी रीता ने आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश की है.

कोरान संकट से पहले रीता कुमारी के परिवार में सबकुछ अच्छा था. वह खुद निजी स्कूल में पढ़ाती थी, लेकिन कोरोना काल में उनकी नौकरी चली गई. ऐसी विकट परिस्थिति में रीता ने हार नहीं मानी और कुछ अलग करके परिवार को आर्थिकी को फिर से पटरी पर लाने के प्रयास में जुट गईं.

वीडियो रिपोर्ट.

कोरोना संकट के चलते लगे लॉकडाउन के कारण निजी स्कूल में शिक्षक रीता कुमारी की नौकरी चली गई जिससे परिवार की परेशानी बढ़ गई. आजीविका का साधन खत्म होने के बाद महिला ने हिम्मत नहीं हारी और बैंक लोन लेकर खेतों की ओर रूख कर लिया. महिला रीता कुमारी ने आय के लिए कर्ज लेकर एक खेत में एलोवेरा की खेती शुरू कर दी ताकि घर में रहते हुए भी कुछ कमाई हो सके.

रीता कुमारी ने बताया कि लॉकडाउन में वह कोई ऐसा काम करना चाहती थीं जिसे घर में रह कर किया जाए. उन्होंने एक हर्बल कंपनी के संचालक सुनील कौशल से बात की. उनकी सलाह पर उन्होंने अपने एक खेत के लिए एलोवेरा के 5 हजार पौधे मंगवाए. रीता देवी ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री वोकल फॉर लोकल को तरजीह देते हुए एलोवेरा की खेती को चुना. आज के युग में हर्बल पैदावार की खपत दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है.

रीता कुमारी ने कहा कि लोग स्वस्थ रहने के लिए आयुर्वेद या कई जानकारों के दिशा निर्देशों पर एलोवेरा के उत्पादों को दवाई के रूप में ले रहे हैं. जून महीने में रोपे गए इन एलोवेरा के पौधों की फसल अब खेत में लहलहराने लगी है. इसके साथ ही बेबी प्लांट भी निकल रहे हैं. उन्होंने कहा कि यदि निकट भविष्य में कंपनी की ओर से इनका सही दाम मिल जाए जिससे उन्हें मुनाफा भी होगा और वह अपना कर्ज भी उतार पाएंगी.

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Last Updated : Nov 23, 2020, 1:32 PM IST
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