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मंडी शराब मामला: पुलिस की 72 घंटे की 'बहादुरी' के बाद कई बड़े सवाल, क्या कार्रवाई के लिए जरूरी थी 7 लोगों की मौत?

मंडी जहरीली शराब मामले में जो कार्य पुलिस ने महज 72 घंटे में कर दिया वह इससे पहले क्यों नहीं हुआ. क्या पुलिस और सरकार के पास जवाब है कि यह अवैध शराब कब से (Mandi Poisonous Liquor case) यहां पर तैयार की जा रही थी? विभाग के अधिकारी बेखबर तो थे ही, लेकिन घटना के बाद अब मौन भी हैं. लाइसेंस प्राप्त शराब फैक्ट्री और शराब ठेका के ऊपर तो विभाग की निश्चित तौर पर नजर होगी, लेकिन अवैध तरीके से शराब तैयार कर रहे माफिया पर (Liquor Mafia in Himachal) कौन नजर रखेगा यह चिंता का विषय है.

Mandi Poisonous Liquor case
मंडी शराब मामला
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Published : Jan 23, 2022, 7:38 PM IST

Updated : Jan 23, 2022, 8:29 PM IST

हमीरपुर: 7 लोगों की मौत के बाद जागी हिमाचल पुलिस की प्रदेश भर में शराब माफिया पर की गई कार्रवाई कोई संशय नहीं है. सवाल महज इतना क्या इस शराब माफिया पर कार्रवाई के लिए 7 परिवारों के चिराग बुझना जरूरी थे? यह शराब घने जंगलों और बीहड़ों में तैयार नहीं हो रही थी बल्कि (Mandi Poisonous Liquor case) जिला मुख्यालय से महज 4 किलोमीटर दूर एनआईटी हमीरपुर से सटे एक गांव के छोर पर बने तीन मंजिला मकान में तैयार की जा रही थी.

सरकारी तंत्र, विभाग और स्थानीय लोग सब बेखबर: जानलेवा शराब तैयार करने वाले इन ठिकानों तक पहुंचने के लिए पुलिस को महज 72 घंटे लगे तो क्या इंतजार उस घटना का था जिसे अब सरकारी भाषा में शराब त्रासदी का नाम दिया जा रहा है. सरकारी और पुलिस प्रेस नोट में इसे शराब त्रासदी कहा जा रहा है लेकिन त्रासदी शब्द का इस्तेमाल कहां तक जायज है. त्रासदी प्राकृतिक होती है न की सुरक्षा एजेंसियों और सरकारी तंत्र की चूक. यह अलग बात है कि प्रदेश पुलिस के डीजीपी इसे इंटेलिजेंस फेलियर मानने को तैयार नहीं है.

ईटीवी भारत की टीम ने ग्राउंड जीरो पर जाकर अवैध शराब की फैक्ट्री में तथ्यों को जांचा और स्थानीय लोगों से भी बातचीत की. महज 8 मिनट के सफर में हमीरपुर जिला मुख्यालय से ईटीवी भारत की टीम 4 किलोमीटर दूर अवैध शराब फैक्ट्री तक पहुंच गई. मसला महज जिला मुख्यालय और एसपी के सरकारी आवास से अवैध फैक्ट्री की दूरी नहीं है बल्कि यह है कि जो कार्य पुलिस ने महज 72 घंटे में कर दिया वह इससे पहले क्यों नहीं हुआ. क्या पुलिस और सरकार के पास जवाब है कि यह अवैध शराब कब से यहां पर तैयार की जा रही थी?

ईटीवी भारत की टीम ने मौके पर मौजूद स्थानीय पूर्व सैनिक से बातचीत की जो कि यहां पर बकरियां चरा रहे थे. पूर्व सैनिक ने कहा कि हर दिन वह इस मोड़ से गुजरते हैं और बकरियां चराने के लिए आते हैं. उन्होंने कभी इस मकान के बाहर (Poisonous liquor case mandi) हलचल नहीं देखी. जिस दिन 21 जनवरी को पुलिस ने यह कार्रवाई की उस दिन जरूर 3:00 बजे जब घर लौट रहे थे तो 2 गाड़ियां बाहर खड़ी थी.

वीडियो रिपोर्ट.

इसके बाद अगले दिन ही उन्हें घटना की पूरी जानकारी मिली. स्पष्ट है कि शराब माफिया कितनी सफाई और चालाकी से सावधानी के साथ इस कार्य को कर रहा था कि स्थानीय लोगों को भी इसकी जरा भी भनक नहीं थी. सरकारी तंत्र पूरी तरह से बेखबर था. सुरक्षा एजेंसियों और पुलिस को भी इसकी कोई खबर नहीं है.

हाईटेक थी हिमाचल पुलिस के डीजीपी संजय कुंडू की प्रेस वार्ता: प्रदेश पुलिस के डीजीपी संजय कुंडू एसआईटी की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं. हाईटेक तरीके से शनिवार को हुई प्रेस वार्ता कर डीजीपी ने महज 72 घंटे के भीतर नकली शराब बनाने वाली मुख्य सरगना को पकड़ने तथा अवैध फैक्ट्रियों का भंडाफोड़ करने का दावा किया. हाईटेक प्रेस वार्ता में कई पुलिस अफसरों को प्रदेश भर की कई जगहों से लाइव जोड़ा गया था.

बरामद किए गए अवैध शराब और अन्य शराब बनाने की सामग्री और मशीनरी को भी लाइव दिखाया गया. प्रेस वार्ता तो तकनीकी तौर पर हाईटेक थी लेकिन इस प्रेस वार्ता के बाद कई सवालों के जवाब नहीं मिल पाए हैं. यहां गौर करने वाली बात है की डीजीपी संजय कुंडू ने कहा कि अवैध शराब के बॉटलिंग प्लांट में गलत मिक्सिंग के कारण अथवा घटिया क्वालिटी का रॉ मैटेरियल इस्तेमाल करने से शराब जहरीली हुई जिसको पी कर लोगों की मौत हुई है.

अब बड़ा सवाल यह उठता है कि अगर शराब बनाने के लिए यह मिक्सिंग सही ढंग से होती रहती तो (mandi poisonous liquor deaths) क्या पुलिस शराब माफिया पर इतनी बड़ी कार्रवाई कर पाती? अगर नकली शराब सही क्वालिटी के रॉ मैटेरियल से बनाई गयी होती तो क्या प्रदेश में चल रही शराब की यहां अवैध फैक्ट्रियां पुलिस की पकड़ में आ पाती?

इंटेलिजेंट फेलियर पर नहीं कोई जवाब: 72 घंटे में बड़ी कार्रवाई के बाद जब हाईटेक तरीके से प्रेस वार्ता (DGP PC on poisonous liquor case) की गई तो डीजीपी संजय कुंडू ने एसआईटी में शामिल अधिकारियों की खूब तारीफ की. एसआईटी लीड कर रहे कर रहे डीआईजी मध्य जोन मधुसूदन ने एसआईटी की इस सफलता को डीजीपी संजय कुंडू के मार्गदर्शन का नतीजा करार दिया. मुख्य सरगना को पकड़ने के लिए किंगपिन जैसे भारी शब्दों का इस्तेमाल किया गया.

अधिकारियों ने एक दूसरे की खूब तारीफ की, लेकिन जब इंटेलिजेंस फेलियर का सवाल आया तो डीजीपी ने इसे सिरे से नकारते हुए सवालों को एक्साइज विभाग की तरफ हांक दिया. यह कहा गया इसे इंटेलिजेंट फेलियर कहना सही नहीं है. घटना के सामने आने के बाद से सरकारी तंत्र की चूक को त्रासदी नाम दिया जा रहा है. यह त्रासदी नहीं बल्कि सरकार, सुरक्षा एजेंसियों और संबंधित विभागों की विफलता के सामने आई घटना है जिसने प्रदेशवासियों को झकझोर कर रख दिया है. अक्सर नकली शराब बनाने और इसको पीने से लोगों की मौत की खबरें देश के अन्य राज्यों से सामने आती थी लेकिन इस घटना से देवभूमि देशभर में शर्मसार हुई है.

कई राज्यों से आ रहा था रॉ मटेरियल: कई राज्यों से रॉ मैटेरियल शराब तैयार करने के लिए हमीरपुर में पहुंच रहा था. यहां पर 2 प्रवासी मिक्सिंग कर इससे शराब तैयार कर रहे थे. कई जिलों की सीमाओं को पार कर कच्चे माल के रूप में अवैध फैक्ट्रियों तक पहुंचाया गया. यह माल न तो एक्साइज विभाग की नजर में आया और ना ही पुलिस की नाकाबंदी में पकड़ा गया.

विभाग के अधिकारी बेखबर तो थे ही, लेकिन घटना के बाद अब मौन भी हैं. लाइसेंस प्राप्त शराब फैक्ट्री और शराब ठेका के ऊपर तो विभाग की निश्चित तौर पर नजर होगी. लेकिन अवैध तरीके से शराब तैयार कर रहे माफिया पर कौन नजर रखेगा यह चिंता का विषय है. तर्क यह भी दिए जा रहे हैं कि ऐसे मामलों में जब क्राइम हो जाता है उसके बाद पुलिस का कार्य शुरू होता है. तर्क भी पुलिस के निर्धारित कार्यक्षेत्र और निहित नियमावली के मुताबिक सही हैं लेकिन सवाल फिर वही है कि शराब माफिया (Liquor Mafia in Himachal) की कारगुजारी के ऊपर नजर कौन रखे?

यह है पूरा मामला: मंडी जिले के सुंदरनगर थाना के तहत (Mandi Poisonous Liquor case) सात लोगों की जहरीली शराब पीने से मौत हुई थी. उसके बाद पुलिस ने ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए कई लोगों को गिरफ्तार किया. प्रदेश भर में अवैध शराब बरामद की गई और मुख्य सरगना समेत कई लोगों को गिरफ्तार भी किया. हमीरपुर में पुलिस ने अवैध शराब की 6 हजार पेटियां बरामद की हैं. 300 लीटर के पांच प्लास्टिक टैंकस भी बरामद किए हैं. इसके अलावा कार्टन, 2500 होलोग्राम, 2 प्लास्टिक टयूबस, हाइड्रो मीटर्स, सिरिंज, बॉटल फिलिंग मशीन को बरामद किया है.

ये भी पढ़ें: जहरीली शराब से मौत मामले में पुलिस थपथपा रही पीठ, लेकिन नाक के नीचे कैसे चल रहा था मौत का खेल ?

हमीरपुर: 7 लोगों की मौत के बाद जागी हिमाचल पुलिस की प्रदेश भर में शराब माफिया पर की गई कार्रवाई कोई संशय नहीं है. सवाल महज इतना क्या इस शराब माफिया पर कार्रवाई के लिए 7 परिवारों के चिराग बुझना जरूरी थे? यह शराब घने जंगलों और बीहड़ों में तैयार नहीं हो रही थी बल्कि (Mandi Poisonous Liquor case) जिला मुख्यालय से महज 4 किलोमीटर दूर एनआईटी हमीरपुर से सटे एक गांव के छोर पर बने तीन मंजिला मकान में तैयार की जा रही थी.

सरकारी तंत्र, विभाग और स्थानीय लोग सब बेखबर: जानलेवा शराब तैयार करने वाले इन ठिकानों तक पहुंचने के लिए पुलिस को महज 72 घंटे लगे तो क्या इंतजार उस घटना का था जिसे अब सरकारी भाषा में शराब त्रासदी का नाम दिया जा रहा है. सरकारी और पुलिस प्रेस नोट में इसे शराब त्रासदी कहा जा रहा है लेकिन त्रासदी शब्द का इस्तेमाल कहां तक जायज है. त्रासदी प्राकृतिक होती है न की सुरक्षा एजेंसियों और सरकारी तंत्र की चूक. यह अलग बात है कि प्रदेश पुलिस के डीजीपी इसे इंटेलिजेंस फेलियर मानने को तैयार नहीं है.

ईटीवी भारत की टीम ने ग्राउंड जीरो पर जाकर अवैध शराब की फैक्ट्री में तथ्यों को जांचा और स्थानीय लोगों से भी बातचीत की. महज 8 मिनट के सफर में हमीरपुर जिला मुख्यालय से ईटीवी भारत की टीम 4 किलोमीटर दूर अवैध शराब फैक्ट्री तक पहुंच गई. मसला महज जिला मुख्यालय और एसपी के सरकारी आवास से अवैध फैक्ट्री की दूरी नहीं है बल्कि यह है कि जो कार्य पुलिस ने महज 72 घंटे में कर दिया वह इससे पहले क्यों नहीं हुआ. क्या पुलिस और सरकार के पास जवाब है कि यह अवैध शराब कब से यहां पर तैयार की जा रही थी?

ईटीवी भारत की टीम ने मौके पर मौजूद स्थानीय पूर्व सैनिक से बातचीत की जो कि यहां पर बकरियां चरा रहे थे. पूर्व सैनिक ने कहा कि हर दिन वह इस मोड़ से गुजरते हैं और बकरियां चराने के लिए आते हैं. उन्होंने कभी इस मकान के बाहर (Poisonous liquor case mandi) हलचल नहीं देखी. जिस दिन 21 जनवरी को पुलिस ने यह कार्रवाई की उस दिन जरूर 3:00 बजे जब घर लौट रहे थे तो 2 गाड़ियां बाहर खड़ी थी.

वीडियो रिपोर्ट.

इसके बाद अगले दिन ही उन्हें घटना की पूरी जानकारी मिली. स्पष्ट है कि शराब माफिया कितनी सफाई और चालाकी से सावधानी के साथ इस कार्य को कर रहा था कि स्थानीय लोगों को भी इसकी जरा भी भनक नहीं थी. सरकारी तंत्र पूरी तरह से बेखबर था. सुरक्षा एजेंसियों और पुलिस को भी इसकी कोई खबर नहीं है.

हाईटेक थी हिमाचल पुलिस के डीजीपी संजय कुंडू की प्रेस वार्ता: प्रदेश पुलिस के डीजीपी संजय कुंडू एसआईटी की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं. हाईटेक तरीके से शनिवार को हुई प्रेस वार्ता कर डीजीपी ने महज 72 घंटे के भीतर नकली शराब बनाने वाली मुख्य सरगना को पकड़ने तथा अवैध फैक्ट्रियों का भंडाफोड़ करने का दावा किया. हाईटेक प्रेस वार्ता में कई पुलिस अफसरों को प्रदेश भर की कई जगहों से लाइव जोड़ा गया था.

बरामद किए गए अवैध शराब और अन्य शराब बनाने की सामग्री और मशीनरी को भी लाइव दिखाया गया. प्रेस वार्ता तो तकनीकी तौर पर हाईटेक थी लेकिन इस प्रेस वार्ता के बाद कई सवालों के जवाब नहीं मिल पाए हैं. यहां गौर करने वाली बात है की डीजीपी संजय कुंडू ने कहा कि अवैध शराब के बॉटलिंग प्लांट में गलत मिक्सिंग के कारण अथवा घटिया क्वालिटी का रॉ मैटेरियल इस्तेमाल करने से शराब जहरीली हुई जिसको पी कर लोगों की मौत हुई है.

अब बड़ा सवाल यह उठता है कि अगर शराब बनाने के लिए यह मिक्सिंग सही ढंग से होती रहती तो (mandi poisonous liquor deaths) क्या पुलिस शराब माफिया पर इतनी बड़ी कार्रवाई कर पाती? अगर नकली शराब सही क्वालिटी के रॉ मैटेरियल से बनाई गयी होती तो क्या प्रदेश में चल रही शराब की यहां अवैध फैक्ट्रियां पुलिस की पकड़ में आ पाती?

इंटेलिजेंट फेलियर पर नहीं कोई जवाब: 72 घंटे में बड़ी कार्रवाई के बाद जब हाईटेक तरीके से प्रेस वार्ता (DGP PC on poisonous liquor case) की गई तो डीजीपी संजय कुंडू ने एसआईटी में शामिल अधिकारियों की खूब तारीफ की. एसआईटी लीड कर रहे कर रहे डीआईजी मध्य जोन मधुसूदन ने एसआईटी की इस सफलता को डीजीपी संजय कुंडू के मार्गदर्शन का नतीजा करार दिया. मुख्य सरगना को पकड़ने के लिए किंगपिन जैसे भारी शब्दों का इस्तेमाल किया गया.

अधिकारियों ने एक दूसरे की खूब तारीफ की, लेकिन जब इंटेलिजेंस फेलियर का सवाल आया तो डीजीपी ने इसे सिरे से नकारते हुए सवालों को एक्साइज विभाग की तरफ हांक दिया. यह कहा गया इसे इंटेलिजेंट फेलियर कहना सही नहीं है. घटना के सामने आने के बाद से सरकारी तंत्र की चूक को त्रासदी नाम दिया जा रहा है. यह त्रासदी नहीं बल्कि सरकार, सुरक्षा एजेंसियों और संबंधित विभागों की विफलता के सामने आई घटना है जिसने प्रदेशवासियों को झकझोर कर रख दिया है. अक्सर नकली शराब बनाने और इसको पीने से लोगों की मौत की खबरें देश के अन्य राज्यों से सामने आती थी लेकिन इस घटना से देवभूमि देशभर में शर्मसार हुई है.

कई राज्यों से आ रहा था रॉ मटेरियल: कई राज्यों से रॉ मैटेरियल शराब तैयार करने के लिए हमीरपुर में पहुंच रहा था. यहां पर 2 प्रवासी मिक्सिंग कर इससे शराब तैयार कर रहे थे. कई जिलों की सीमाओं को पार कर कच्चे माल के रूप में अवैध फैक्ट्रियों तक पहुंचाया गया. यह माल न तो एक्साइज विभाग की नजर में आया और ना ही पुलिस की नाकाबंदी में पकड़ा गया.

विभाग के अधिकारी बेखबर तो थे ही, लेकिन घटना के बाद अब मौन भी हैं. लाइसेंस प्राप्त शराब फैक्ट्री और शराब ठेका के ऊपर तो विभाग की निश्चित तौर पर नजर होगी. लेकिन अवैध तरीके से शराब तैयार कर रहे माफिया पर कौन नजर रखेगा यह चिंता का विषय है. तर्क यह भी दिए जा रहे हैं कि ऐसे मामलों में जब क्राइम हो जाता है उसके बाद पुलिस का कार्य शुरू होता है. तर्क भी पुलिस के निर्धारित कार्यक्षेत्र और निहित नियमावली के मुताबिक सही हैं लेकिन सवाल फिर वही है कि शराब माफिया (Liquor Mafia in Himachal) की कारगुजारी के ऊपर नजर कौन रखे?

यह है पूरा मामला: मंडी जिले के सुंदरनगर थाना के तहत (Mandi Poisonous Liquor case) सात लोगों की जहरीली शराब पीने से मौत हुई थी. उसके बाद पुलिस ने ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए कई लोगों को गिरफ्तार किया. प्रदेश भर में अवैध शराब बरामद की गई और मुख्य सरगना समेत कई लोगों को गिरफ्तार भी किया. हमीरपुर में पुलिस ने अवैध शराब की 6 हजार पेटियां बरामद की हैं. 300 लीटर के पांच प्लास्टिक टैंकस भी बरामद किए हैं. इसके अलावा कार्टन, 2500 होलोग्राम, 2 प्लास्टिक टयूबस, हाइड्रो मीटर्स, सिरिंज, बॉटल फिलिंग मशीन को बरामद किया है.

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Last Updated : Jan 23, 2022, 8:29 PM IST
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