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नगर परिषद हमीरपुर की मासिक बैठक के 21 दिन बाद भी नहीं लिखी गई हाउस की प्रोसिडिंग, कार्यप्रणाली पर उठे सवाल

नगर परिषद हमीरपुर की मासिक बैठक (Monthly meeting of MC Hamirpur) की प्रोसिडिंग अभी तक नहीं लिखी गई है. 8 से 10 दिन बाद अगली मासिक बैठक का समय होने वाला है. ऐसे में पिछली बैठक की प्रोसिडिंग न लिखा जाना नगर परिषद हमीरपुर के अधिकारियों और पदाधिकारियों की प्राथमिकता को दर्शाता है.

Municipal Council Hamirpur
नगर परिषद हमीरपुर
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Published : Jan 29, 2022, 12:38 PM IST

हमीरपुर: शहर में विकास की गति का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि 8 जनवरी को आयोजित नगर परिषद हमीरपुर की मासिक बैठक की प्रोसिडिंग 21 दिन बीत जाने के बावजूद नहीं लिखी जा सकी है. इस मासिक बैठक में (Monthly meeting of MC Hamirpur) जितने भी प्रस्ताव पारित किए गए थे, वह अभी तक आधिकारिक रूप से कागजी कार्रवाई में नहीं चढ़ सके हैं. कायदे से मासिक बैठक की प्रोसिडिंग लिखकर इस पर अध्यक्ष और कार्यकारी अधिकारी के हस्ताक्षर होते हैं और तमाम निर्णय को लागू किया जाता है. नगर परिषद के मासिक बैठक की प्रोसीडिंग लिखना ही टेढ़ी खीर साबित हो रहा है. ऐसे में लिए गए निर्णय कब तक और कितना लागू होंगे, यह कहना तो बेमानी ही होगा.

अब सोमवार तक इस प्रोसिडिंग को पूरा लिखे जाने की संभावना जताई जा रही है और तब तक मासिक बैठक को (Monthly meeting of MC Hamirpur) लगभग 23 दिन बीत जाएंगे. नगर परिषद हमीरपुर के पदाधिकारियों का तर्क है कि स्टाफ की कमी के वजह से (Staff shortage in MC Hamirpur) कार्य धीमी गति से हो रहा है. स्टाफ की कमी के तर्क को यदि मान भी लिया जाए, तब भी मासिक बैठक की प्रोसिडिंग को लिखने में इतनी देरी कहां तक बाजिव है. 8 से 10 दिन बाद अगली मासिक बैठक का समय होने वाला है. ऐसे में पिछली बैठक की प्रोसिडिंग न लिखा जाना नगर परिषद हमीरपुर के अधिकारियों और पदाधिकारियों की प्राथमिकता को दर्शाता है.

नगर परिषद हमीरपुर

हाउस में कंपनी को भुगतान करने का लिया गया था निर्णय: 8 जनवरी को आयोजित नगर परिषद के हाउस में स्ट्रीट लाइट का कार्य देख रही कंपनी को 15 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्णय लिया गया था. जिसके बाद नगर परिषद की तरफ से सशर्त यह निर्णय लिया गया था कि जल्द ही कंपनी को 15 लाख की बकाया राशि का भुगतान कर दिया जाएगा. इसके साथ ही शहर में बीपीएल परिवारों के चयन को लेकर भी पार्षदों द्वारा सवाल उठाए गए थे और यह निर्णय लिया गया था कि नए सिरे से बीपीएल परिवारों का सर्वे होगा. निर्णय तो काफी जोश में लिए गए, लेकिन इसे लागू करना तो दूर की बात, 21 दिन बाद भी मासिक बैठक की प्रोसिडिंग नहीं लिखी जा सकी है.

विधायक ने की थी तारीफ: 8 जनवरी को आयोजित मासिक बैठक में नगर परिषद हमीरपुर के पदाधिकारियों के अलावा विधायक नरेंद्र ठाकुर भी मौजूद थे. उन्होंने स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था दुरुस्त न होने पर कंपनी के कर्मचारियों को खूब हड़काया भी था. बैठक के बाद विधायक ने नगर परिषद के पदाधिकारियों की खूब तारीफ की थी और यह कहा था कि पिछले 2 साल से नगर परिषद सराहनीय कार्य कर रही है. विधायक के तारीफ के बोल भी अब नगर परिषद की कारगुजारी पर बेमानी ही साबित हो रहे हैं.

स्टाफ की कमी: नगर परिषद हमीरपुर में स्टाफ का टोटा इस कदर हावी है कि बेलदार से क्लर्क का काम लिया जा रहा है. ऐसे में जब बेलदार क्लर्क का काम कर रहा है तो मासिक बैठक की प्रोसिडिंग कितनी जल्दी और कितनी बेहतर लिखी जाएगी, यह भी बड़ा सवाल है. इतना ही नहीं नगर परिषद हमीरपुर के चालक को कोरोना महामारी के चलते जिला प्रशासन द्वारा सेवाएं लेने के लिए अटैच किया गया है. पिछले कुछ महीनों से यह चालक सेवाएं तो जिला प्रशासन को दे रहा है, लेकिन इसके वेतन का भुगतान नगर परिषद की तरफ से ही किया जा रहा है.

स्टाफ की कमी को पूरा करने के लिए भेजा प्रस्ताव: स्टाफ की इस कमी को दूर करने के लिए नगर परिषद हमीरपुर की तरफ से एक प्रस्ताव पारित कर शहरी विकास विभाग के निदेशक को आउट सोर्स आधार पर भर्ती करने के लिए भेजा गया था, ताकि नगर परिषद अपने स्तर पर आउट सोर्स पर कर्मचारियों को भर्ती कर स्टाफ की कमी को पूरा कर सकें. नगर परिषद के अध्यक्ष मनोज कुमार मिन्हास का कहना है कि इस प्रस्ताव पर शहरी विभाग निदेशालय के तरफ से अभी तक कोई जवाब नहीं आया है. उनका कहना है कि सोमवार तक यह प्रोसीडिंग लिख ली जाएगी और सभी निर्णय जल्द लागू होंगे.

स्ट्रीट लाइट खराब होने से छाया अंधेरा: हालात ऐसे हैं कि पिछले दिनों हुई बारिश के कारण नगर परिषद हमीरपुर के कई वार्ड में स्ट्रीट लाइट गुल हैं. नगर परिषद हमीरपुर में स्ट्रीट लाइट की मरम्मत का जिम्मा देख रही कंपनी के दो कर्मचारी शहर में काम कर रहे हैं. इस कंपनी के प्रतिनिधि अभिमन्यु कहते हैं कि कंपनी का 30 लाख के लगभग बकाया है. बावजूद इसके 2 कर्मचारी लगातार शहर में कार्य कर रहे हैं. यह दो कर्मचारी 11 वार्ड वाले हमीरपुर शहर में स्ट्रीट लाइट को दुरुस्त करने के लिए नाकाफी ही साबित हो रहे हैं. आलम यह है कि कई वार्ड में तो 1 सप्ताह से स्ट्रीट लाइट बंद पड़ी हुई है.

जल्द बकाया भुगतान का आश्वासन: नगर परिषद हमीरपुर के कार्यकारी अधिकारी किशोरी लाल ठाकुर (Kishori Lal Thakur) का कहना है कि कंपनी को जल्द ही बकाया राशि का भुगतान कर दिया जाएगा. हाउस में 15 लाख रुपये का कंपनी को भुगतान करने का निर्णय लिया गया है. कंपनी सही ढंग से कार्य नहीं कर रही है. यदि भुगतान के बाद ही शहर में स्ट्रीट लाइट का संचालन और मरम्मत कार्य सही ढंग से नहीं किया जाता है तो इस कंपनी के खिलाफ नियमों के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

ये भी पढ़ें : पांवटा साहिब में अवैध शराब बरामद, तस्कर गिरफ्तार

हमीरपुर: शहर में विकास की गति का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि 8 जनवरी को आयोजित नगर परिषद हमीरपुर की मासिक बैठक की प्रोसिडिंग 21 दिन बीत जाने के बावजूद नहीं लिखी जा सकी है. इस मासिक बैठक में (Monthly meeting of MC Hamirpur) जितने भी प्रस्ताव पारित किए गए थे, वह अभी तक आधिकारिक रूप से कागजी कार्रवाई में नहीं चढ़ सके हैं. कायदे से मासिक बैठक की प्रोसिडिंग लिखकर इस पर अध्यक्ष और कार्यकारी अधिकारी के हस्ताक्षर होते हैं और तमाम निर्णय को लागू किया जाता है. नगर परिषद के मासिक बैठक की प्रोसीडिंग लिखना ही टेढ़ी खीर साबित हो रहा है. ऐसे में लिए गए निर्णय कब तक और कितना लागू होंगे, यह कहना तो बेमानी ही होगा.

अब सोमवार तक इस प्रोसिडिंग को पूरा लिखे जाने की संभावना जताई जा रही है और तब तक मासिक बैठक को (Monthly meeting of MC Hamirpur) लगभग 23 दिन बीत जाएंगे. नगर परिषद हमीरपुर के पदाधिकारियों का तर्क है कि स्टाफ की कमी के वजह से (Staff shortage in MC Hamirpur) कार्य धीमी गति से हो रहा है. स्टाफ की कमी के तर्क को यदि मान भी लिया जाए, तब भी मासिक बैठक की प्रोसिडिंग को लिखने में इतनी देरी कहां तक बाजिव है. 8 से 10 दिन बाद अगली मासिक बैठक का समय होने वाला है. ऐसे में पिछली बैठक की प्रोसिडिंग न लिखा जाना नगर परिषद हमीरपुर के अधिकारियों और पदाधिकारियों की प्राथमिकता को दर्शाता है.

नगर परिषद हमीरपुर

हाउस में कंपनी को भुगतान करने का लिया गया था निर्णय: 8 जनवरी को आयोजित नगर परिषद के हाउस में स्ट्रीट लाइट का कार्य देख रही कंपनी को 15 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्णय लिया गया था. जिसके बाद नगर परिषद की तरफ से सशर्त यह निर्णय लिया गया था कि जल्द ही कंपनी को 15 लाख की बकाया राशि का भुगतान कर दिया जाएगा. इसके साथ ही शहर में बीपीएल परिवारों के चयन को लेकर भी पार्षदों द्वारा सवाल उठाए गए थे और यह निर्णय लिया गया था कि नए सिरे से बीपीएल परिवारों का सर्वे होगा. निर्णय तो काफी जोश में लिए गए, लेकिन इसे लागू करना तो दूर की बात, 21 दिन बाद भी मासिक बैठक की प्रोसिडिंग नहीं लिखी जा सकी है.

विधायक ने की थी तारीफ: 8 जनवरी को आयोजित मासिक बैठक में नगर परिषद हमीरपुर के पदाधिकारियों के अलावा विधायक नरेंद्र ठाकुर भी मौजूद थे. उन्होंने स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था दुरुस्त न होने पर कंपनी के कर्मचारियों को खूब हड़काया भी था. बैठक के बाद विधायक ने नगर परिषद के पदाधिकारियों की खूब तारीफ की थी और यह कहा था कि पिछले 2 साल से नगर परिषद सराहनीय कार्य कर रही है. विधायक के तारीफ के बोल भी अब नगर परिषद की कारगुजारी पर बेमानी ही साबित हो रहे हैं.

स्टाफ की कमी: नगर परिषद हमीरपुर में स्टाफ का टोटा इस कदर हावी है कि बेलदार से क्लर्क का काम लिया जा रहा है. ऐसे में जब बेलदार क्लर्क का काम कर रहा है तो मासिक बैठक की प्रोसिडिंग कितनी जल्दी और कितनी बेहतर लिखी जाएगी, यह भी बड़ा सवाल है. इतना ही नहीं नगर परिषद हमीरपुर के चालक को कोरोना महामारी के चलते जिला प्रशासन द्वारा सेवाएं लेने के लिए अटैच किया गया है. पिछले कुछ महीनों से यह चालक सेवाएं तो जिला प्रशासन को दे रहा है, लेकिन इसके वेतन का भुगतान नगर परिषद की तरफ से ही किया जा रहा है.

स्टाफ की कमी को पूरा करने के लिए भेजा प्रस्ताव: स्टाफ की इस कमी को दूर करने के लिए नगर परिषद हमीरपुर की तरफ से एक प्रस्ताव पारित कर शहरी विकास विभाग के निदेशक को आउट सोर्स आधार पर भर्ती करने के लिए भेजा गया था, ताकि नगर परिषद अपने स्तर पर आउट सोर्स पर कर्मचारियों को भर्ती कर स्टाफ की कमी को पूरा कर सकें. नगर परिषद के अध्यक्ष मनोज कुमार मिन्हास का कहना है कि इस प्रस्ताव पर शहरी विभाग निदेशालय के तरफ से अभी तक कोई जवाब नहीं आया है. उनका कहना है कि सोमवार तक यह प्रोसीडिंग लिख ली जाएगी और सभी निर्णय जल्द लागू होंगे.

स्ट्रीट लाइट खराब होने से छाया अंधेरा: हालात ऐसे हैं कि पिछले दिनों हुई बारिश के कारण नगर परिषद हमीरपुर के कई वार्ड में स्ट्रीट लाइट गुल हैं. नगर परिषद हमीरपुर में स्ट्रीट लाइट की मरम्मत का जिम्मा देख रही कंपनी के दो कर्मचारी शहर में काम कर रहे हैं. इस कंपनी के प्रतिनिधि अभिमन्यु कहते हैं कि कंपनी का 30 लाख के लगभग बकाया है. बावजूद इसके 2 कर्मचारी लगातार शहर में कार्य कर रहे हैं. यह दो कर्मचारी 11 वार्ड वाले हमीरपुर शहर में स्ट्रीट लाइट को दुरुस्त करने के लिए नाकाफी ही साबित हो रहे हैं. आलम यह है कि कई वार्ड में तो 1 सप्ताह से स्ट्रीट लाइट बंद पड़ी हुई है.

जल्द बकाया भुगतान का आश्वासन: नगर परिषद हमीरपुर के कार्यकारी अधिकारी किशोरी लाल ठाकुर (Kishori Lal Thakur) का कहना है कि कंपनी को जल्द ही बकाया राशि का भुगतान कर दिया जाएगा. हाउस में 15 लाख रुपये का कंपनी को भुगतान करने का निर्णय लिया गया है. कंपनी सही ढंग से कार्य नहीं कर रही है. यदि भुगतान के बाद ही शहर में स्ट्रीट लाइट का संचालन और मरम्मत कार्य सही ढंग से नहीं किया जाता है तो इस कंपनी के खिलाफ नियमों के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

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