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अनुराग ठाकुर के ड्रीम प्रोजेक्ट को फिर ₹1000 के शगुन का टीका!, कब कांगड़ा पहुंचेगी ऊना-हमीरपुर रेलवे लाइन?

केंद्रीय मंत्री और हमीरपुर सांसद अनुराग ठाकुर के ड्रीम प्रोजेक्ट ऊना-हमीरपुर रेलवे लाइन को पिछले दो साल से बजट नहीं बल्कि ₹1000 का शगुन मिल रहा है. बजट के लिहाज से केंद्रीय मंत्री का यह ड्रीम 5000 सालों में भी पूरा नहीं हो सकता है. वहीं, कांग्रेस विधायक राजेंद्र राणा ने कहा कि चुनाव नजदीक आते ही सांसद अनुराग ठाकुर लोगों से इस प्रोजेक्ट को जमीन पर उतारने का वादा करते हैं. सियासी दावों के उलट केंद्र सरकार की प्राथमिकता हिमाचल में रेलवे लाइन को लेकर बिल्कुल विपरीत है. सामरिक दृष्टि से हिमाचल में भानुपल्ली-बिलासपुर-बैरी रेल लाइन को केंद्र सरकार द्वारा तवज्जो दी जा रही है.

una hamirpur railway line
ऊना हमीरपुर रेलवे लाइन
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Published : Feb 4, 2022, 2:02 PM IST

हमीरपुर: केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के बाद अब मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का ऊना-हमीरपुर रेलवे लाइन (una hamirpur railway line) पर दिया गया बयान बजट और आंकड़ों की दृष्टि से सवालों के घेरे में है. सियासी दावों के विपरीत इस रेलवे लाइन को पिछले 2 साल से बजट नहीं बल्कि ₹1000 का शगुन मिल रहा है. पिछले दिनों मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर अपने हमीरपुर दौरे के दौरान इस प्रोजेक्ट को कांगड़ा तक विस्तार देने का बड़ा बयान दे गए थे, लेकिन बजट के लिहाज से यह सपना 5000 सालों में भी पूरा होना नामुमकिन नजर आ रहा है.

अनुराग ठाकुर के ड्रीम प्रोजेक्ट (anurag thakur dream project) की अनुमानित लागत साल 2019 में 5000 करोड़ रुपये से अधिक बताई गई थी. ऐसे में ₹1000 के शगुन के सहारे इस रेलवे लाइन से रेल आखिर कैसे पहाड़ चढ़ेगी? जिस हिसाब से केंद्र सरकार के बजट में इस रेलवे लाइन को तवज्जो दी जा रही है. उस लिहाज से यह ख्वाब कई जन्मों में पूरा नहीं हो सकता है. सोचने वाली बात है कि यह बजटीय शगुन तब मिल रहा है जब केंद्र और प्रदेश में भाजपाई नेताओं के दावों के मुताबिक डबल इंजन की भाजपा सरकार काम कर रही है. और देश के सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बीजेपी के मुखिया जगत प्रकाश नड्डा और पीएम मोदी के चहेते नेताओं में शुमार अनुराग ठाकुर हिमाचल से ताल्लुक रखते हैं.

ऊना हमीरपुर रेलवे लाइन पर बयानबाजी.

कब हकीकत में दौड़ेगी सपनों की यह रेल- ₹1000 बजट का जिक्र होते ही मन में कई तरह के ख्याल आते है कि इनते रुपये तो रेलवे लाइन के लिए होने वाली बैठक में शामिल अधिकारियों को परोसे जाने वाले मिनरल वॉटर पर ही खर्च हो जाएंगे. बजट में कागजी मेहनत करने वालों को शायद ही चाय की घूंट नसीब हो सके. खैर, डबल इंजन की भाजपा सरकार से हिमाचल की जनता का सवाल महज इतना है कि आखिर किस सदी में सपनों की यह रेल भाषणों में बने लंबे चौड़े कागजी ट्रैक को पार करते हुए हकीकत में हमीरपुर से होकर कांगड़ा पहुंचेगी?

चार दशक पुरानी भानुपल्ली-बैरी रेल लाइन में केंद्र की दिलचस्पी- सियासी दावों के उलट केंद्र सरकार की प्राथमिकता हिमाचल में रेलवे लाइन को लेकर बिल्कुल विपरीत है. सामरिक दृष्टि से हिमाचल में भानुपल्ली-बिलासपुर-बैरी रेललाइन को केंद्र सरकार द्वारा तवज्जो दी जा रही है. जिसके लिए इस साल भी बजट में सैकड़ों करोड़ प्रावधान किया गया है. केंद्र सरकार की प्राथमिकता के बावजूद चार दशक पुराने इस प्रोजेक्ट के निर्माण की रफ्तार बेहद धीमी है. केंद्र सरकार की प्राथमिकता के बावजूद साल 2025 तक यह कार्य पूरा होता नजर नहीं आ रहा है. केंद्र सरकार ने भानुपल्ली-बिलासपुर-बैरी रेलवे लाइन (bhanupalli bilaspur railway line) और उदयपुर-श्रीनगर-बारामुल्ला दोनों परियोजनाएं राष्ट्रीय प्रोजेक्टों में शामिल हैं. उत्तर रेलवे ने भी इस परियोजना को अपनी प्राथमिकता में शामिल किया है. यह देश की सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण रेललाइन प्रोजेक्टों में शामिल है.

ये भी पढ़ें: 8 साल में 80 किलोमीटर चली भानुपल्ली-बिलासपुर-लेह रेल लाइन, वक्त पर पूरी हो पाएगी योजना ?

साल दर साल बढ़ रही अनुमानित लागत- जानकारी के मुताबिक ऊना-हमीरपुर रेलवे लाइन को उत्तर रेलवे ने साल 2017-18 के बजट में इस परियोजना को शामिल किया था. तब इस प्रोजेक्ट की लागत 2850 करोड़ अनुमानित थी. साल 2019 में जब इसकी डीपीआर तैयार की गई तो इसका इसकी अनुमानित लागत 5821 करोड़ बताई गई. बाद में साल 2021-22 के बजट में भी इसे एक हजार रुपये ही दिए गए और हाल ही में पेश किए गए केंद्र सरकार के बजट में एक बार फिर ₹1000 के शगुन की परंपरा इस प्रोजेक्ट को जिंदा रखने के लिए कायम रखी गई है.

जरुरी परियोजनाओं में इस ट्रैक का जिक्र नहीं- कहा यह भी जा रहा है कि इस परियोजना को फिलहाल उत्तर रेलवे ने फ्रीज कर दिया है. इतना ही नहीं रेलवे की आवश्यक परियोजनाओं में इस ट्रैक का कहीं जिक्र नहीं है. बजट में तवज्जो ना मिलने से कागजों में इस परियोजना की अनुमानित लागत साल दर साल बढ़ती जा रही है. अनुराग ठाकुर अपने ही संसदीय क्षेत्र और गृह जिले के लिए बिछने वाली इस रेल लाइन को सिरे चढ़ाने में नाकाम नजर आ रहे हैं.

तीन माह पहले रेलवे लाइन बनने का किया था दावा- हमीरपुर जिले के पिछले दौरे के दौरान केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने जनसभा को संबोधित करते हुए दावा किया था कि यह रेलवे लाइन बनकर ही रहेगी. दरअसल, जनसभा को संबोधित करने से पहले मीडिया कर्मियों ने रेलवे लाइन के स्टेटस को लेकर सवाल पूछा था, जिसके जवाब में उन्होंने भाषण में भी लंबी चौड़ी तकरीर दी. ड्रीम प्रोजेक्ट ऊना-हमीरपुर रेलवे लाइन (una hamirpur railway line) पर केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि यह रेलवे लाइन बनकर ही रहेगी. यह बयान तब दिया गया था जब पिछले साल इस ऊना-हमीरपुर रेलवे लाइन के लिए महज ₹1000 का बजटीय प्रावधान किया गया था.

कभी इस प्रोजेक्ट को लेकर आमने-सामने थे अनुराग और जयराम- ऊना-हमीरपुर रेलवे लाइन (una hamirpur railway line) को लेकर कुछ वक्त पहले केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर आमने-सामने थे. शिमला में जब केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर से यह सवाल पूछा गया था कि इस रेलवे लाइन का भविष्य क्या है तो उन्होंने कहा कि राज्य सरकार से इस लाइन के 50 फीसदी हिस्से खर्च की भागीदारी को लेकर केंद्र सरकार ने पूछा था. प्रदेश की भाजपा सरकार ने 50 प्रतिशत खर्च वहन करने में असमर्थता जाहिर की थी. वहीं, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर पहले यह कहते रहे हैं कि प्रदेश सरकार के पास बजट का अभाव है. हालांकि, उनका यह बयान हमीरपुर के 2 दिन पहले हुए दौरे में बदल गया. चुनावी बेला में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर इस रेलवे लाइन को कांगड़ा तक बढ़ाने की बात कह गए. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने यह जरूर कहा कि केंद्र सरकार से वह अधिक खर्च वहन करने को लेकर बातचीत कर रहे हैं.

रेलवे लाइन के बहाने लोगों को ठगने की तैयारी- हिमाचल कांग्रेस के उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने कहा कि हमीरपुर के बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर के बाद अब मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने चुनावों के नजदीक बयान देकर लोगों को ठगने का प्रयास किया है. बीजेपी के सांसद रेल के मुद्दे पर ही चार चुनाव लड़ चुके हैं. उन्होंने 2012 में हमीरपुर में रेल पहुंचाने का दावा चुनावों से पहले किया था. जिसमें रेलवे स्टेशन तक चिन्हित करने के दावे किए थे. अब इसी परंपरा को दोहराते हुए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर हमीरपुर में रेल के मुद्दे पर कूदे हैं और उन्होंने हमीरपुर के जोलसप्पड़ में रेल लाने की बात करते हुए कांगड़ा तक बढ़ाने की बात कर दी है. जबकि राष्ट्रीय बजट में ऊना-हमीरपुर रेल लाइन के बजट के लिए कोई प्रावधान नहीं है. अब रेल कब आएगी, कैसे आएगी यह तो बीजेपी ही बता सकती है.

ये भी पढ़ें: अटल और मोदी के दूसरे घर हिमाचल में हांफ रही रेल, बजट में मिलते हैं सिर्फ आश्वासन

हमीरपुर: केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के बाद अब मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का ऊना-हमीरपुर रेलवे लाइन (una hamirpur railway line) पर दिया गया बयान बजट और आंकड़ों की दृष्टि से सवालों के घेरे में है. सियासी दावों के विपरीत इस रेलवे लाइन को पिछले 2 साल से बजट नहीं बल्कि ₹1000 का शगुन मिल रहा है. पिछले दिनों मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर अपने हमीरपुर दौरे के दौरान इस प्रोजेक्ट को कांगड़ा तक विस्तार देने का बड़ा बयान दे गए थे, लेकिन बजट के लिहाज से यह सपना 5000 सालों में भी पूरा होना नामुमकिन नजर आ रहा है.

अनुराग ठाकुर के ड्रीम प्रोजेक्ट (anurag thakur dream project) की अनुमानित लागत साल 2019 में 5000 करोड़ रुपये से अधिक बताई गई थी. ऐसे में ₹1000 के शगुन के सहारे इस रेलवे लाइन से रेल आखिर कैसे पहाड़ चढ़ेगी? जिस हिसाब से केंद्र सरकार के बजट में इस रेलवे लाइन को तवज्जो दी जा रही है. उस लिहाज से यह ख्वाब कई जन्मों में पूरा नहीं हो सकता है. सोचने वाली बात है कि यह बजटीय शगुन तब मिल रहा है जब केंद्र और प्रदेश में भाजपाई नेताओं के दावों के मुताबिक डबल इंजन की भाजपा सरकार काम कर रही है. और देश के सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बीजेपी के मुखिया जगत प्रकाश नड्डा और पीएम मोदी के चहेते नेताओं में शुमार अनुराग ठाकुर हिमाचल से ताल्लुक रखते हैं.

ऊना हमीरपुर रेलवे लाइन पर बयानबाजी.

कब हकीकत में दौड़ेगी सपनों की यह रेल- ₹1000 बजट का जिक्र होते ही मन में कई तरह के ख्याल आते है कि इनते रुपये तो रेलवे लाइन के लिए होने वाली बैठक में शामिल अधिकारियों को परोसे जाने वाले मिनरल वॉटर पर ही खर्च हो जाएंगे. बजट में कागजी मेहनत करने वालों को शायद ही चाय की घूंट नसीब हो सके. खैर, डबल इंजन की भाजपा सरकार से हिमाचल की जनता का सवाल महज इतना है कि आखिर किस सदी में सपनों की यह रेल भाषणों में बने लंबे चौड़े कागजी ट्रैक को पार करते हुए हकीकत में हमीरपुर से होकर कांगड़ा पहुंचेगी?

चार दशक पुरानी भानुपल्ली-बैरी रेल लाइन में केंद्र की दिलचस्पी- सियासी दावों के उलट केंद्र सरकार की प्राथमिकता हिमाचल में रेलवे लाइन को लेकर बिल्कुल विपरीत है. सामरिक दृष्टि से हिमाचल में भानुपल्ली-बिलासपुर-बैरी रेललाइन को केंद्र सरकार द्वारा तवज्जो दी जा रही है. जिसके लिए इस साल भी बजट में सैकड़ों करोड़ प्रावधान किया गया है. केंद्र सरकार की प्राथमिकता के बावजूद चार दशक पुराने इस प्रोजेक्ट के निर्माण की रफ्तार बेहद धीमी है. केंद्र सरकार की प्राथमिकता के बावजूद साल 2025 तक यह कार्य पूरा होता नजर नहीं आ रहा है. केंद्र सरकार ने भानुपल्ली-बिलासपुर-बैरी रेलवे लाइन (bhanupalli bilaspur railway line) और उदयपुर-श्रीनगर-बारामुल्ला दोनों परियोजनाएं राष्ट्रीय प्रोजेक्टों में शामिल हैं. उत्तर रेलवे ने भी इस परियोजना को अपनी प्राथमिकता में शामिल किया है. यह देश की सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण रेललाइन प्रोजेक्टों में शामिल है.

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साल दर साल बढ़ रही अनुमानित लागत- जानकारी के मुताबिक ऊना-हमीरपुर रेलवे लाइन को उत्तर रेलवे ने साल 2017-18 के बजट में इस परियोजना को शामिल किया था. तब इस प्रोजेक्ट की लागत 2850 करोड़ अनुमानित थी. साल 2019 में जब इसकी डीपीआर तैयार की गई तो इसका इसकी अनुमानित लागत 5821 करोड़ बताई गई. बाद में साल 2021-22 के बजट में भी इसे एक हजार रुपये ही दिए गए और हाल ही में पेश किए गए केंद्र सरकार के बजट में एक बार फिर ₹1000 के शगुन की परंपरा इस प्रोजेक्ट को जिंदा रखने के लिए कायम रखी गई है.

जरुरी परियोजनाओं में इस ट्रैक का जिक्र नहीं- कहा यह भी जा रहा है कि इस परियोजना को फिलहाल उत्तर रेलवे ने फ्रीज कर दिया है. इतना ही नहीं रेलवे की आवश्यक परियोजनाओं में इस ट्रैक का कहीं जिक्र नहीं है. बजट में तवज्जो ना मिलने से कागजों में इस परियोजना की अनुमानित लागत साल दर साल बढ़ती जा रही है. अनुराग ठाकुर अपने ही संसदीय क्षेत्र और गृह जिले के लिए बिछने वाली इस रेल लाइन को सिरे चढ़ाने में नाकाम नजर आ रहे हैं.

तीन माह पहले रेलवे लाइन बनने का किया था दावा- हमीरपुर जिले के पिछले दौरे के दौरान केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने जनसभा को संबोधित करते हुए दावा किया था कि यह रेलवे लाइन बनकर ही रहेगी. दरअसल, जनसभा को संबोधित करने से पहले मीडिया कर्मियों ने रेलवे लाइन के स्टेटस को लेकर सवाल पूछा था, जिसके जवाब में उन्होंने भाषण में भी लंबी चौड़ी तकरीर दी. ड्रीम प्रोजेक्ट ऊना-हमीरपुर रेलवे लाइन (una hamirpur railway line) पर केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि यह रेलवे लाइन बनकर ही रहेगी. यह बयान तब दिया गया था जब पिछले साल इस ऊना-हमीरपुर रेलवे लाइन के लिए महज ₹1000 का बजटीय प्रावधान किया गया था.

कभी इस प्रोजेक्ट को लेकर आमने-सामने थे अनुराग और जयराम- ऊना-हमीरपुर रेलवे लाइन (una hamirpur railway line) को लेकर कुछ वक्त पहले केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर आमने-सामने थे. शिमला में जब केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर से यह सवाल पूछा गया था कि इस रेलवे लाइन का भविष्य क्या है तो उन्होंने कहा कि राज्य सरकार से इस लाइन के 50 फीसदी हिस्से खर्च की भागीदारी को लेकर केंद्र सरकार ने पूछा था. प्रदेश की भाजपा सरकार ने 50 प्रतिशत खर्च वहन करने में असमर्थता जाहिर की थी. वहीं, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर पहले यह कहते रहे हैं कि प्रदेश सरकार के पास बजट का अभाव है. हालांकि, उनका यह बयान हमीरपुर के 2 दिन पहले हुए दौरे में बदल गया. चुनावी बेला में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर इस रेलवे लाइन को कांगड़ा तक बढ़ाने की बात कह गए. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने यह जरूर कहा कि केंद्र सरकार से वह अधिक खर्च वहन करने को लेकर बातचीत कर रहे हैं.

रेलवे लाइन के बहाने लोगों को ठगने की तैयारी- हिमाचल कांग्रेस के उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने कहा कि हमीरपुर के बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर के बाद अब मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने चुनावों के नजदीक बयान देकर लोगों को ठगने का प्रयास किया है. बीजेपी के सांसद रेल के मुद्दे पर ही चार चुनाव लड़ चुके हैं. उन्होंने 2012 में हमीरपुर में रेल पहुंचाने का दावा चुनावों से पहले किया था. जिसमें रेलवे स्टेशन तक चिन्हित करने के दावे किए थे. अब इसी परंपरा को दोहराते हुए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर हमीरपुर में रेल के मुद्दे पर कूदे हैं और उन्होंने हमीरपुर के जोलसप्पड़ में रेल लाने की बात करते हुए कांगड़ा तक बढ़ाने की बात कर दी है. जबकि राष्ट्रीय बजट में ऊना-हमीरपुर रेल लाइन के बजट के लिए कोई प्रावधान नहीं है. अब रेल कब आएगी, कैसे आएगी यह तो बीजेपी ही बता सकती है.

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