हमीरपुर: हॉकी का नेशनल खिलाड़ी सुनील कुमार (National hockey player Sunil Kumar) रेहड़ी पर फल और सब्जियां बेचने को मजबूर है. किसी वक्त हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (Himachal Pradesh University) हॉकी टीम का कैप्टन रहा सुनील पारिवारिक मजबूरी के कारण अब हरा धनिया, आलू, प्याज और फल बेच कर परिवार को (Jobless Hockey Player selling vegetable) पाल रहा है. पिता वेद प्रकाश हाई शुगर के मरीज हैं और मां पुष्पा लीवर के रोग से ग्रसित हैं. 2 साल पहले ही सुनील का एक बाइक एक्सीडेंट हुआ जिसके बाद अब हॉकी की स्टिक भी हाथ से छूट गई है और खेल से नाता भी.
पिता वेद प्रकाश की उम्र 63 साल हो गई है. बीमारी की वजह से अब वह रेहड़ी नहीं चला पा रहे हैं तो बेटे सुनील कुमार को अब माता और पिता के इलाज के लिए रेहड़ी पर फल और सब्जियां बेचनी पड़ रही हैं. बिलासपुर स्थित प्रदेश सरकार के स्टेट हॉस्टल में रहते हुए सुनील ने स्नातक की पढ़ाई राजकीय महाविद्यालय बिलासपुर (Government College Bilaspur) से पूरी की और इस दौरान कई दफा उन्होंने प्रदेश का प्रतिनिधित्व राष्ट्रीय स्तर पर किया.
वह हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (Status of National Player In Himachal) की हॉकी टीम के कैप्टन भी रहे. सुनील ने हॉकी में 8 नेशनल खेले हैं. स्कूल स्तर से लेकर कॉलेज तक 2017 तक उन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों में नेशनल लेवल के टूर्नामेंट में हिस्सा लिया है. जूनियर वर्ग में एक दो नहीं बल्कि 8 नेशनल खेल चुके खिलाड़ी सुनील कुमार को सरकारी नौकरी में (Himachal Hockey player facing poverty) भी इसका कोई लाभ नहीं मिला है.
दरअसल जूनियर वर्ग के खिलाड़ियों के लिए सरकार की तरफ से सरकारी नौकरी के लिए कोटे का प्रावधान नहीं किया गया है. जूनियर वर्ग में खिलाड़ी चाहे कितनी भी नेशनल खेलने उसे सरकारी नौकरी में इसका कोई लाभ नहीं दिया जा रहा है. यही वजह है कि ना जाने सुनील (National hockey player Sunil Kumar) की तरह कितने खिलाड़ी ऐसे होंगे जिन्होंने नेशनल लेवल पर प्रदेश का नाम तो चमक आया होगा, लेकिन आज वह अपनी और परिवार के गुजर-बसर के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
सुनील कुमार कहते हैं कि यदि सरकार की तरफ से जूनियर वर्ग खिलाड़ियों को इसका लाभ दिया जाता है तो उन्हें भी सरकारी नौकरी में मदद प्राप्त होगी. उनका कहना है कि जूनियर वर्ग में नेशनल खेलने वाले खिलाड़ियों के लिए भी सरकारी नौकरी में कोटा होना चाहिए. राष्ट्रीय खेल हॉकी और इसके खिलाड़ियों की हालात का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि हमीरपुर बाजार में दो राष्ट्रीय खिलाड़ी रेहड़ी लगाने को मजबूर हैं.
एक तरफ पिता के बीमार होने पर नेशनल खिलाड़ी नेहा सिंह फास्ट फूड की रेहड़ी चला रही है तो वहीं, दूसरी ओर सुनील कुमार बीमार माता-पिता के लिए रेहड़ी पर फल और सब्जियां बेचने को मजबूर हैं. नेहा सिंह के पिता गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं और वह अपनी छोटी बहन के साथ अब परिवार को पालने के लिए यह कार्य कर रही हैं. ऐसे में राष्ट्रीय खेल हॉकी (National Sport Hockey) और इसके खिलाड़ियों के हालात का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है. नेहा सिंह और सुनील कुमार दोनों ही हॉकी के जूनियर वर्ग के नेशनल खिलाड़ी रहे हैं.
सुनील कुमार ने सरकारी नौकरी के लिए हर जगह कोशिश की. यहां तक कि फिशरीज विभाग और पुलिस की लिखित परीक्षा भी उतरन की लेकिन इंटरव्यू में उन्हें सफलता नहीं मिली. सुनील कुमार कहते हैं कि उन्होंने अपनी तरफ से हर संभव प्रयास किया, लेकिन इंटरव्यू में उन्हें सफलता नहीं मिली. अब इंटरव्यू में सफल न होने की शिकायत किससे करें.
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