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ब्रेन ट्यूमर से जूझ रही पांच साल की बच्ची, परिवार ने लगाई आर्थिक मदद की गुहार

बड़सर के सिंघवी गांव की 5 साल की अंशिका शर्मा ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित होने के चलते कुछ दिनों से वेंटिलेटर पर है. पारिवारिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं है कि वे अपने बेटी का इलाज करवा सके. ऐसे में बच्ची के परिवार ने बेटी के इलाज के लिए सरकार और प्रशासन के साथ ही अन्य लोगों से आर्थिक मदद की गुहार लगाई है.

Anshika needs financial help
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Published : Aug 26, 2020, 11:03 PM IST

भोरंज/हमीरपुरः कोरोना वायरस की महामारी ने दुनिया के हर देश में अपना प्रभाव डाला है. पहले से मुसबीतें झेल रहे लोगों की समस्याएं दोगुनी हो गईं हैं. कई लोगों का रोजगार भी कोरोना काल में छिन गया है. वहीं, रोजगार छिनने से लोगों को दैनिक जरूरतों को पूरा करने एंव अपना इलाज करवाने में परेशानी हो रही है. ऐसा ही एक मामला बड़सर उपमंडल का है. यहां के सिंघवी गांव की 5 साल की अंशिका शर्मा ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित हैं.

अंशिका आठ महीने से इस बीमारी से जूझ रही है और कुछ दिनों से वेंटिलेटर पर है. हालात ये हैं कि कोरोने के चलते लगे लॉकडाउन के दौरान अंशिका के पिता की प्राइवेट नौकरी भी जा चुकी है और पारिवारिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं है कि वे अपने बेटी का इलाज करवा सकें. ऐसे में बच्ची के परिवार ने बेटी के इलाज के लिए सरकार और प्रशासन के साथ ही अन्य लोगों से आर्थिक मदद की गुहार लगाई है.

अंशिका के पिता अशोक कुमार ने बताया उनकी बेटी 25 दिसंबर 2019 को अचानक बीमार पड़ गई. उसे आइजीएमसी शिमला ले जाया गया. वहां पर पता चला कि बच्ची को ब्रेन ट्यूमर है. फिर उसे पीजीआई चंडीगढ़ रेफर कर दिया गया, लेकिन अंशिका की हालत में सुधार होने के बजाए दिन-प्रतिदिन हालत बिगड़ती रही.

अब पीजीआई के डॉक्टरों ने कहा है कि अंशिका का ब्रेन ट्यूमर इलाज से बाहर है. बच्ची को अब घर पर ही रखा गया है, लेकिन हर पंद्रह दिनों के भीतर पीजीआई ले जाना पड़ता है. कोरोना के कारण निजी गाड़ी से ही बच्ची को पीजीआई पहुंचाना पड़ता है. इससे काफी ज्यादा खर्च हो रहा है. घर पर ऑक्सीजन का प्रबंध और दवाओं का खर्च वहन करना परिवार के लिए मुश्किल हो रहा है.

अशोक कुमार की पत्नी नेहा शर्मा ने कहा घर की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो चुकी है. लॉकडाउन में पति की नौकरी भी छूट गई. अब बेटी के इलाज के लिए एक पैसा भी नहीं बचा है. अंशिका के दादा श्रवण कुमार ने बताया उनका एक मकान है जिसकी दीवारों में दरारें आ चुकी हैं जो कभी भी गिर सकता है.

वहीं, इन हालातों में एक एनजीओ बच्ची के पिता की आर्थिक मदद के लिए हाथ बढ़ाया है. साथ ही एनजीओ और स्थानीय लोगों ने सरकार और प्रशासन से अंशिका के परिवार की आर्थिक मदद करने की अपील की है.

ये भी पढ़ें- CPIM ने सेरी मंच पर किया प्रदर्शन, केंद्र सरकार के खिलाफ की जमकर की नारेबाजी

ये भी पढ़ें- नगर परिषद की रोस्टर प्रक्रिया पर कांग्रेस का आरोप, सरकार और प्रशासन में नहीं तालमेल

भोरंज/हमीरपुरः कोरोना वायरस की महामारी ने दुनिया के हर देश में अपना प्रभाव डाला है. पहले से मुसबीतें झेल रहे लोगों की समस्याएं दोगुनी हो गईं हैं. कई लोगों का रोजगार भी कोरोना काल में छिन गया है. वहीं, रोजगार छिनने से लोगों को दैनिक जरूरतों को पूरा करने एंव अपना इलाज करवाने में परेशानी हो रही है. ऐसा ही एक मामला बड़सर उपमंडल का है. यहां के सिंघवी गांव की 5 साल की अंशिका शर्मा ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित हैं.

अंशिका आठ महीने से इस बीमारी से जूझ रही है और कुछ दिनों से वेंटिलेटर पर है. हालात ये हैं कि कोरोने के चलते लगे लॉकडाउन के दौरान अंशिका के पिता की प्राइवेट नौकरी भी जा चुकी है और पारिवारिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं है कि वे अपने बेटी का इलाज करवा सकें. ऐसे में बच्ची के परिवार ने बेटी के इलाज के लिए सरकार और प्रशासन के साथ ही अन्य लोगों से आर्थिक मदद की गुहार लगाई है.

अंशिका के पिता अशोक कुमार ने बताया उनकी बेटी 25 दिसंबर 2019 को अचानक बीमार पड़ गई. उसे आइजीएमसी शिमला ले जाया गया. वहां पर पता चला कि बच्ची को ब्रेन ट्यूमर है. फिर उसे पीजीआई चंडीगढ़ रेफर कर दिया गया, लेकिन अंशिका की हालत में सुधार होने के बजाए दिन-प्रतिदिन हालत बिगड़ती रही.

अब पीजीआई के डॉक्टरों ने कहा है कि अंशिका का ब्रेन ट्यूमर इलाज से बाहर है. बच्ची को अब घर पर ही रखा गया है, लेकिन हर पंद्रह दिनों के भीतर पीजीआई ले जाना पड़ता है. कोरोना के कारण निजी गाड़ी से ही बच्ची को पीजीआई पहुंचाना पड़ता है. इससे काफी ज्यादा खर्च हो रहा है. घर पर ऑक्सीजन का प्रबंध और दवाओं का खर्च वहन करना परिवार के लिए मुश्किल हो रहा है.

अशोक कुमार की पत्नी नेहा शर्मा ने कहा घर की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो चुकी है. लॉकडाउन में पति की नौकरी भी छूट गई. अब बेटी के इलाज के लिए एक पैसा भी नहीं बचा है. अंशिका के दादा श्रवण कुमार ने बताया उनका एक मकान है जिसकी दीवारों में दरारें आ चुकी हैं जो कभी भी गिर सकता है.

वहीं, इन हालातों में एक एनजीओ बच्ची के पिता की आर्थिक मदद के लिए हाथ बढ़ाया है. साथ ही एनजीओ और स्थानीय लोगों ने सरकार और प्रशासन से अंशिका के परिवार की आर्थिक मदद करने की अपील की है.

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