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ETV BHARAT का सलाम! हमीरपुर मेडिकल कॉलेज में अपनी जमापूंजी से खाना खिला रहे बुजुर्ग

हमीरपुर जिला की सीनियर सिटीजन काउंसिल की धर्मार्थ रोगी सेवा संस्था मेडिकल कॉलेज में आने वाले मरीज और उनके तीमारदारों का पेट भरने का काम कर रही है, जिससे हर व्यक्ति के मुंह से इन बुजुर्गों के लिए दुआ निकल रही है. वैसे तो कोरोना काल में बच्चों और बुजुर्गों को घर से निकलने पर मनाही है, लेकिन सीनियर सिटीजन की यह संस्था कोरोना वॉरियर की तरह काम करते हुए लोगों की मदद कर रही है.

CPSO Providing Food to Patients in Medical College Hamirpur
डिजाइन फोटो.
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Published : Aug 25, 2020, 2:31 PM IST

Updated : Aug 25, 2020, 2:38 PM IST

हमीरपुर: साईं इतना दीजिए, जामें कुटुंब सामए, मैं भी भूखा ना रहूं साधू भी भूखा ना जाए. ये लाइने उन बुजुर्गों पर फिट बैठती है, जो अपनी जमापूंजी का आधा हिस्सा देकर वैश्विक महामारी कोरोना के दौर में लोगों की भूख मिटा रहे हैं.

हमीरपुर जिला की सीनियर सिटीजन काउंसिल की धर्मार्थ रोगी सेवा संस्था मेडिकल कॉलेज में आने वाले मरीज और उनके तीमारदारों का पेट भरने का काम कर रही है, जिससे हर व्यक्ति के मुंह से इन बुजुर्गों के लिए दुआ निकल रही है.

वैसे तो कोरोना काल में बच्चों और बुजुर्गों को घर से निकलने पर मनाही है, लेकिन सीनियर सिटीजन की यह संस्था कोरोना वॉरियर की तरह काम करते हुए लोगों की मदद कर रही है. ये संस्था ना सिर्फ तीमारदारों, बल्कि मेडिकल कॉलेज के स्टाफ और सुरक्षा कर्मियों को भी तीन पहर का खाना उपलब्ध करवा रही है.

वीडियो.

वरिष्ठ नागरिकों की संस्था सीनियर सीटिजन कॉउसिंल साल 1999 से मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में आने वाले मरीजों और उनके तीमारदारों को तीन टाइम भर पेट भोजन उपलब्ध करवा रही है. संस्था के सदस्य भी अपनी जान की परवाह किए बिना मरीजों की सेवा कर रहे हैं.

कोरोना की वजह से घोषित हुए लॉकडाउन में सभी दुकानें, होटल बंद थे, लेकिन इस संस्था ने इस दौरान लोगों के लिए फरिश्ते का काम किया है, क्योंकि एक भी दिन ऐसा नहीं रहा, जब मरीजों व उनके साथियों को खाना ना मिला हो. मरीजों के साथ-साथ डॉक्टर्स और सुरक्षा कर्मियों को भी हमेशा तीन पहर का खाना मुहैया करवाया जाता है.

सीनियर सीटिजन कॉउसिंल संस्था के उपाध्यक्ष ओपी शर्मा ने बताया कि कोरोना संकट काल में खाने-पीने की सभी दुकानें बंद थीं, लेकिन संस्था ने मरीजों को दूध, भोजन तीनों पहर उपलब्ध कराया है. जिससे बीमरियों से जूझ रहे मरीजों और गर्भवती महिलाओं को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा. उन्होंने कहा कि संस्था को फंड सेवानिवृत बुजुर्गों से मिलता है और लॉकडाउन में भी लगातार फंड मिलता रहा है, जिससे मरीजों सहित मेडीकल स्टाफ को खाना मुहैया करवाया गया है.

सीनियर सीटिजन कॉउसिंल संस्था के सदस्य कुलदीप ने बताया कि संस्था द्वारा सिर्फ लोगों को भोजन ही नहीं, बल्कि गरीब बच्चों को उच्च शिक्षा उपलब्ध करवाई जा रही है. करीब 75 बच्चों का खर्च बुजुर्गों द्वारा दिए गए फंड से उठाया जा रहा है, जिसमें से कुछ प्रशिक्षु डॉक्टर और कुछ विद्यार्थी एनआईटी हमीरपुर में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि संस्था द्वारा गरीब परिवार की लड़कियों की शादी में भी सहयोग किया जाता है.

मेडिकल कॉलेज हमीरपुर के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अनिल वर्मा ने बताया कि प्रदेश की ये पहली सबसे बड़ी संस्था है, जो कई साल से मरीजों को तीन टाइम खाना मुहैया करवा रही है. उन्होंने कहा कि संस्था की रसोई भी मेडिकल कॉलेज के अंदर है, जिससे खाने की गुणवत्ता की भी जांच होती है.

तीमारदार भोली देवी ने बताया कि वो अपने ससुर के साथ तीन दिन से अस्पताल में हैं, जिससे उन्हें संस्था के माध्यम से तीन टाइम खाना उपलब्ध करवाया रहा है. उन्होंने कहा कि संस्था द्वारा सभी मरीजों को भरपेट खाना मुहैया करवाया जा रहा है, जिससे उन्हें परेशानी का सामना नहीं करना पड़ रहा है.

तीमारदार सुभाष ने कहा कि अस्पताल में उनका बेटा एडमिट है, इसी बीच संस्था द्वारा उन्हें अच्छी सुविधाएं दी जा रही है. उन्होंने कहा कि कोरोना काल में मरीजों के साथ-साथ तीमारदारों को भी अच्छा भोजन उपलब्ध करवाया जा रहा है, जिससे सभी लोग खुश हैं.

तीमारदार अनु ने कहा कि संस्था की तरफ से उन्हें बहुत अच्छा खाना उपलब्ध करवाया जा रहा है और ये बहुत ही नेक कार्य किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि कोविड के दौर में कोई किसी को तीन टाइम का खाना नहीं खिला सकता है, लेकिन संस्था द्वारा लोगों को भरपेट खाना खिलाया जा रहा है.

मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में खाने के लिए उपलब्ध करवाई जाने वाली सामग्री की शुद्धता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सरकारी डिपो में मिलने वाले राशन का उपयोग खाना बनाने में नहीं किया जाता है, ताकि लोगों के स्वास्थ्य पर कोई प्रभाव ना पड़े.

ये भी पढ़ें: सरकाघाट की जैहमत पंचायत में फुटब्रिज का निर्माण कार्य अधर में लटका

हमीरपुर: साईं इतना दीजिए, जामें कुटुंब सामए, मैं भी भूखा ना रहूं साधू भी भूखा ना जाए. ये लाइने उन बुजुर्गों पर फिट बैठती है, जो अपनी जमापूंजी का आधा हिस्सा देकर वैश्विक महामारी कोरोना के दौर में लोगों की भूख मिटा रहे हैं.

हमीरपुर जिला की सीनियर सिटीजन काउंसिल की धर्मार्थ रोगी सेवा संस्था मेडिकल कॉलेज में आने वाले मरीज और उनके तीमारदारों का पेट भरने का काम कर रही है, जिससे हर व्यक्ति के मुंह से इन बुजुर्गों के लिए दुआ निकल रही है.

वैसे तो कोरोना काल में बच्चों और बुजुर्गों को घर से निकलने पर मनाही है, लेकिन सीनियर सिटीजन की यह संस्था कोरोना वॉरियर की तरह काम करते हुए लोगों की मदद कर रही है. ये संस्था ना सिर्फ तीमारदारों, बल्कि मेडिकल कॉलेज के स्टाफ और सुरक्षा कर्मियों को भी तीन पहर का खाना उपलब्ध करवा रही है.

वीडियो.

वरिष्ठ नागरिकों की संस्था सीनियर सीटिजन कॉउसिंल साल 1999 से मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में आने वाले मरीजों और उनके तीमारदारों को तीन टाइम भर पेट भोजन उपलब्ध करवा रही है. संस्था के सदस्य भी अपनी जान की परवाह किए बिना मरीजों की सेवा कर रहे हैं.

कोरोना की वजह से घोषित हुए लॉकडाउन में सभी दुकानें, होटल बंद थे, लेकिन इस संस्था ने इस दौरान लोगों के लिए फरिश्ते का काम किया है, क्योंकि एक भी दिन ऐसा नहीं रहा, जब मरीजों व उनके साथियों को खाना ना मिला हो. मरीजों के साथ-साथ डॉक्टर्स और सुरक्षा कर्मियों को भी हमेशा तीन पहर का खाना मुहैया करवाया जाता है.

सीनियर सीटिजन कॉउसिंल संस्था के उपाध्यक्ष ओपी शर्मा ने बताया कि कोरोना संकट काल में खाने-पीने की सभी दुकानें बंद थीं, लेकिन संस्था ने मरीजों को दूध, भोजन तीनों पहर उपलब्ध कराया है. जिससे बीमरियों से जूझ रहे मरीजों और गर्भवती महिलाओं को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा. उन्होंने कहा कि संस्था को फंड सेवानिवृत बुजुर्गों से मिलता है और लॉकडाउन में भी लगातार फंड मिलता रहा है, जिससे मरीजों सहित मेडीकल स्टाफ को खाना मुहैया करवाया गया है.

सीनियर सीटिजन कॉउसिंल संस्था के सदस्य कुलदीप ने बताया कि संस्था द्वारा सिर्फ लोगों को भोजन ही नहीं, बल्कि गरीब बच्चों को उच्च शिक्षा उपलब्ध करवाई जा रही है. करीब 75 बच्चों का खर्च बुजुर्गों द्वारा दिए गए फंड से उठाया जा रहा है, जिसमें से कुछ प्रशिक्षु डॉक्टर और कुछ विद्यार्थी एनआईटी हमीरपुर में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि संस्था द्वारा गरीब परिवार की लड़कियों की शादी में भी सहयोग किया जाता है.

मेडिकल कॉलेज हमीरपुर के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अनिल वर्मा ने बताया कि प्रदेश की ये पहली सबसे बड़ी संस्था है, जो कई साल से मरीजों को तीन टाइम खाना मुहैया करवा रही है. उन्होंने कहा कि संस्था की रसोई भी मेडिकल कॉलेज के अंदर है, जिससे खाने की गुणवत्ता की भी जांच होती है.

तीमारदार भोली देवी ने बताया कि वो अपने ससुर के साथ तीन दिन से अस्पताल में हैं, जिससे उन्हें संस्था के माध्यम से तीन टाइम खाना उपलब्ध करवाया रहा है. उन्होंने कहा कि संस्था द्वारा सभी मरीजों को भरपेट खाना मुहैया करवाया जा रहा है, जिससे उन्हें परेशानी का सामना नहीं करना पड़ रहा है.

तीमारदार सुभाष ने कहा कि अस्पताल में उनका बेटा एडमिट है, इसी बीच संस्था द्वारा उन्हें अच्छी सुविधाएं दी जा रही है. उन्होंने कहा कि कोरोना काल में मरीजों के साथ-साथ तीमारदारों को भी अच्छा भोजन उपलब्ध करवाया जा रहा है, जिससे सभी लोग खुश हैं.

तीमारदार अनु ने कहा कि संस्था की तरफ से उन्हें बहुत अच्छा खाना उपलब्ध करवाया जा रहा है और ये बहुत ही नेक कार्य किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि कोविड के दौर में कोई किसी को तीन टाइम का खाना नहीं खिला सकता है, लेकिन संस्था द्वारा लोगों को भरपेट खाना खिलाया जा रहा है.

मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में खाने के लिए उपलब्ध करवाई जाने वाली सामग्री की शुद्धता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सरकारी डिपो में मिलने वाले राशन का उपयोग खाना बनाने में नहीं किया जाता है, ताकि लोगों के स्वास्थ्य पर कोई प्रभाव ना पड़े.

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Last Updated : Aug 25, 2020, 2:38 PM IST
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