हमीरपुर: हिमाचल प्रदेश के कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता दीपक शर्मा ने तकनीकी विश्वविद्यालय में डिजिटल सॉफ्टवेयर की खरीद में घोटाले की आशंका जताते हुए सीबीआई जांच की मांग उठाई है. कांग्रेस प्रवक्ता का कहना है कि साल 2019 में यूनिवर्सिटी प्रशासन ने एक डिजिटल सॉफ्टवेयर की 2.5 करोड़ की खरीद की. जिस पुणे की कंपनी का दो बार टेंडर रिजेक्ट हुआ था. उसी कंपनी को तीसरी बार 2019 में टेंडर दिया गया और सॉफ्टवेयर की कीमत जो कि 2.5 करोड़ थी, दे दी गई.
दीपक शर्मा ने हैरानी जताते हुए कहा कि उक्त सॉफ्टवेयर विश्वविद्यालय में स्थापित ही नहीं हुआ, बताया जा रहा है कि सॉफ्टवेयर अभी तैयार हो रहा है. कम्पनी को दिसंबर 2020 में AMC (एनुअल मेंटिनेंस चार्जेस) के रूप में भी पेमेंट कर दी गई. यही नहीं, बिना उपकरण के एक साल के मेंटिनेंस चार्जेज भी कंपनी को दे दिए गए. यह सॉफ्टवेयर ऑनलाइन परीक्षाओं, प्रवेश आदि के लिए बनाने की योजना थी.
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि जिस बड़े अधिकारी ने इस सारे कारनामे को अंजाम दिया. उसे अब इससे भी बड़े संस्थान में नियुक्ति दे दी गई है. इससे साफ जाहिर होता है कि इस भ्रष्टाचारी अधिकारी को सत्ता का राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है. अगर इस मामले पर सरकार ने सीबीआई जांच नहीं करवाई तो कांग्रेस तकनीकी विश्वविद्यालय में धरना प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होगी.
सरकार इस मामले पर मौन धारण किए हुए है. सरकार के संरक्षण में भ्रष्टाचारी फलफूल रहे हैं. विश्वविद्यालय में खर्च किए गए पिछले चार साल के धन की भी जांच होनी चाहिए. बहुत बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार किया गया है. कार्यालय को सजाने संवारने में लाखों रुपए खर्च किए गए हैं. बाजार भाव से चार गुणा महंगे दामों पर फर्नीचर खरीदा गया है. यही नहीं करोड़ों रुपए खर्च करके दो वेब स्टूडियो बनाये गए हैं जो कि सफेद हाथी बन कर खड़े हैं. छात्रों को आजतक इसका कोई लाभ नहीं हुआ है.
इस सारे मामले की सीबीआई से जांच होनी चाहिए और उक्त अधिकारी की सम्पत्तियों की ईडी से जांच होनी चाहिए. ये छात्रों के हक पर डाका डालना और सरकारी धन की लूट है. अतः इसकी जांच करवाई जाए. उन्होंने कहा कि उक्त अधिकारी यह न भूलें की अगर सरकारी संरक्षण की वजह से मामला दबाया जाता है तो एक साल बाद कांग्रेस की सरकार आने के बाद दोषी बख्शे नहीं जाएंगे. कांग्रेस इन सब मामलों को बेनकाब करेगी.