हमीरपुर: बिहार की मगध यूनिवर्सिटी में भी फर्जी डिग्रियों का तीन साल पुराना मामला एक बार फिर चर्चा में है. इस मामले में अब बड़ी कार्रवाई की तैयारी हो रही है. अब इस मामले में विजिलेंस की तरफ से चार्ज शीट तैयार की जा सकती है. मामले में अब विजिलेंस फर्जी डिग्री धारकों को थाने में तलब कर पूछताछ भी कर सकती है. हालांकि विजिलेंस थाना हमीरपुर के अधिकारी इस मामले में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है.
गौरतलब है कि प्रदेश के अलग-अलग जिलों से संबंधित करीब 17 लोगों की डिग्रियों को लेकर यह जांच चल रही है. 2019 को यह मामला दर्ज हुआ था. इन 17 लोगों ने शिक्षा विभाग में इस डिग्री के आधार पर नौकरी प्राप्त की थी जिनमें कुछ अभी तो नौकरी कर रहे हैं जबकि कई लोग सेवानिवृत्त हो चुके हैं. ऐसे में अब जांच पूरी होने पर माना यह जा रहा है कि हमीरपुर कोर्ट में चार्जशीट विजिलेंस शीघ्र ही दायर करेगी.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस फर्जी डिग्री मामले में एक स्कूल प्रिंसिपल और एक दर्जन पूर्व सैनिक भी शामिल बताए जा रहे हैं. स्कूल प्रिंसिपल की तो बीएससी, एमएससी और बीएड तीनों डिग्रियां फर्जी बताई जा रही है. हमीरपुर विजिलेंस की चार सदस्यीय टीम एक बार फिर बिहार के मगध विश्वविद्यालय पहुंचकर 17 डिग्रियों की जांच की है. जांच में विश्वविद्यालय के कुलपति ने सभी 17 डिग्रियों को फर्जी बताया है.
अब संभावना जताई जा रही है कि विजिलेंस में एफआईआर दर्ज होने के साथ ही फर्जी डिग्रियों के सहारे नौकरियां हासिल करने वाले सरकारी कर्मचारियों की बर्खास्तगी होगी. हालांकि इससे पूर्व मार्च 2018 में भी विजिलेंस टीम बिहार की मगध यूनिवर्सिटी में फर्जी डिग्रियों की जांच कर चुकी है.
उस दौरान संबंधित डिग्री धारकों का कोई रिकॉर्ड विश्वविद्यालय में नहीं मिला था, लेकिन एफआईआर के बाद भी उस दौरान भी कोई कार्रवाई नहीं हुई थी. इस मामले में शिक्षा विभाग दोषी अध्यापकों पर कार्रवाई करने से पूर्व विजिलेंस की एफआईआर का इंतजार लंबे समय से करता आ रहा है. आपको बता दें कि इस मामले के तार वर्ष 2004-05 में प्रदेश शिक्षा विभाग में अध्यापकों की भर्तियों से जुड़े हुए हैं.
इस मामले की शिकायत राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो शिमला में की गई. इसके बाद हमीरपुर से विजिलेंस टीम मार्च 2018 में मगध विवि पहुंची थी. टीम ने विवि में अध्यापकों की डिग्रियों से जुड़े रिकॉर्ड खंगाले लेकिन प्रवेश और परीक्षाओं से जुड़े दस्तावेज नहीं मिले. विजिलेंस ने रिपोर्ट मार्च में ही विजिलेंस मुख्यालय शिमला में जमा करवाई, लेकिन तीन साल बीत जाने के बाद भी शिक्षा विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की.
इस मामले में एफआईआर के बाद कोर्ट में चालान पेश होना था, लेकिन अब दोबारा जांच होने और रिपोर्ट शिमला कार्यालय में जमा होने के बाद फर्जी डिग्री धारक सरकारी कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई होनी तय है. विजिलेंस थाना हमीरपुर के डीएसपी लालमन शर्मा ने कहा कि फर्जी डिग्रियों से संबंधित मामले की जांच अभी चल रही है उसके बाद ही चार्जशीट दायर की जाएगी. उन्होंने कहा कि यह मामला काफी बड़ा है वह इस बारे में ज्यादा कुछ नहीं कह सकते हैं जांच के विषय में अधिक जानकारी उच्च अधिकारी ही दे सकते हैं.
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