हमीरपुर: अग्निपथ भर्ती योजना को हिमाचल प्रदेश के चुनावों में बड़ा मुद्दा माना जा रहा है. यही वजह है कि देवभूमि के साथ ही वीरभूमि कहे जाने वाले हमीरपुर जिले में चुनावों के नजदीक अब इस योजना को लेकर सियासी गलियारों में भी खूब चर्चा हो रही है. हिमाचल में हर तीसरा अथवा चौथा परिवार प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से सेना से जुड़ा है. प्रदेश भर में विभिन्न भर्ती कार्यालयों के माध्यम से सेना भर्ती रैलियों का आयोजन किया गया है. इस कड़ी में हमीरपुर सेना भर्ती कार्यालय द्वारा सुजानपुर में पिछले महीने आयोजित सेना भर्ती रैली के ग्राउंड टेस्ट को पास करने वाले अभ्यर्थियों की लिखित परीक्षा का आयोजन जिला मुख्यालय हमीरपुर में रविवार को किया गया.
इस परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों और उनके अभिभावकों से ईटीवी भारत की टीम ने विशेष बातचीत की. इस बातचीत के दौरान अग्नीपथ भर्ती योजना को लेकर अभिभावकों और युवाओं ने अपनी राय रखी. नई भर्ती रैली में हिस्सा लेने वाले कुछ युवाओं के मुताबिक यह योजना बहुत अच्छी है तो वहीं, कुछ युवाओं का कहना है कि यह योजना सही नहीं है. युवाओं ने इस दौरान यह भी कहा कि बेरोजगारी इतनी अधिक है कि नौकरी के किसी भी मौके को वह गंवाना नहीं चाहते. अभ्यर्थियों के साथ ही उनके अभिभावकों का भी यही मानना है कि बेरोजगारी के इस दौर में नौकरी का कोई भी मौका मिले तो उसे खो देना अच्छा नहीं है.
लिखित परीक्षा में प्रदेश के 3 जिलों बिलासपुर ऊना और हमीरपुर से अभ्यर्थी पहुंचे थे. 3 जिलों के युवाओं से ईटीवी भारत के टीम ने बातचीत की और उनकी राय जानी. अम्बोटा ऊना के अशीष कहा कि वह भर्ती रैली में हिस्सा लेने तो आए हैं, लेकिन यह योजना सही नहीं है. उन्होंने कहा कि चुनावों में यदि हम मुद्दा उठाया जा रहा है तो सही है सरकार को इस योजना को वापस लेने पर विचार करना चाहिए.
ऊना जिले के हनी का कहना है कि उनका पेपर अच्छा गया है. उन्होंने कहा कि नई भर्ती योजना अच्छी है और इससे युवाओं को लाभ मिलेगा. अंब ऊना के अरुण कुमार ने कहा कि पेपर थोड़ा कठिन था, लेकिन अच्छा हुआ है. उन्होंने कहा कि यह योजना अच्छी नहीं है 4 साल में क्या होगा वह पूरी उम्र की तैयारी कर कर आए थे. चुनावों में इस योजना को मुद्दा बनाए जाने पर वह समर्थन देते हैं.
हमीरपुर जिले के ही अभिभावक सुरजीत कुमार का कहना है कि जिस हिसाब से बेरोजगारी है. अब नौकरी के किसी की भी मौके को गंवाना सही नहीं है. उन्होंने कहा कि राजनीति में मुद्दे तो आते जाते रहते हैं और इस चुनाव को लेकर वह कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं. बिलासपुर के प्रिंस का कहना है कि नई भर्ती योजना अच्छी है. परीक्षा की तैयारी करने के लिए कम समय मिला था लेकिन यह योजना सही है.
चिंतपूर्णी के रहने वाले कृष्ण लाल का कहना है कि बेरोजगारी के दौर में योजनाओं को सही और गलत कहना औचित्य पूर्ण नहीं है और उनके कहने से कोई फर्क पड़ने वाला भी नहीं है. सरकार की जो मर्जी है वह सरकार कर रही है. कश्मीर ठाकुर का कहना है कि उनका बेटा टेस्ट देने के लिए आया है यह योजना तो सही नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से कुछ राहत इस योजना के तहत दी गई है लेकिन इस योजना में सुधार किए जाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि यदि चुनावों में मुद्दा उठाया जा रहा है तो यह उचित है. हालांकि यह कहा जा सकता है कि कुछ ना होने से कुछ तो बेहतर है.
हमीरपुर के अनीश का कहना है कि उनका टेस्ट अच्छा हुआ है, लेकिन यह योजना सही नहीं है. 4 साल से क्या होता है. आखिर 4 साल के बाद वह क्या करेंगे. अजय का कहना है कि उन्हें योजना से कुछ ज्यादा लेना देना नहीं है वह बस सेना में भर्ती हो जाए. साहिल का कहना है कि नई भर्ती योजना बहुत अच्छी है और इससे युवाओं को लाभ मिलेगा. उन्होंने कहा कि कुछ ना होने से यहां बेहतर है और आठ से 10 की नौकरी करने से बेहतर है कि सेना की नौकरी की जाए. 25% युवाओं को आगे नौकरी करने का भी मौका मिलेगा.अधिकतर युवाओं और अभ्यर्थियों का यह मानना है कि योजना में सुधार की बेहद जरूरत है और चुनावों में इस योजना का मुद्दा बनाया जाना भी उचित है.
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि बेरोजगारी के इस दौर में युवा नई भर्ती योजना के तहत सेना में भर्ती होने के लिए दमखम तो दिखा रहे हैं, लेकिन वह 4 साल की नौकरी से खुश भी नहीं है यही हाल अभिभावकों का भी है. ऐसे नहीं यह कहना गलत नहीं होगा कि आगामी विधानसभा चुनावों में हिमाचल प्रदेश में अग्निपथ भर्ती योजना नतीजों पर अच्छा खासा प्रभाव डालेगी.
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