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अनुराग ठाकुर ने कृषि कानून को किसानों के हित में बताया, विपक्षी दल पर बरसे - कृषि कानूनों से किसान को लाभ

केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा है कि कृषि कानूनों से किसान को लाभ होगा. कांग्रेस किसानों को गुमराह कर रही है. पहली बार कोई सरकार किसानों के सशक्तिकरण के लिए इस तरह दिन रात काम कर रही है.

Anurag Thakur on agriculture law
अनुराग ठाकुर की प्रेस वार्ता
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Published : Oct 11, 2020, 6:09 PM IST

Updated : Oct 11, 2020, 6:15 PM IST

धर्मशालाः केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने रविवार को धर्मशाला में कृषि कानून को लेकर प्रेस वार्ता को संबोधित किया. अनुराग ठाकुर ने नए कृषि कानून को अन्नदाता के हितों की रक्षा में मील का पत्थर बताया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी द्वारा अपने निजी लाभ के लिए इस कानून को लेकर किसानों को गुमराह किया जा रहा है. अनुराग ठाकुर ने कांग्रेस को चुनौती देते हुए कहा कि कृषि कानूनों में एक भी शब्द ऐसा बता दें जो किसानों के खिलाफ हो.

अनुराग ठाकुर ने कहा कि भारत के मेहनती किसान देश की खुशहाली और समृद्धि के वाहक हैं, जिन पर पूरे देश को अभिमान है. मोदी सरकार के रूप में पहली बार कोई सरकार किसानों के सशक्तिकरण के लिए इस तरह दिन रात काम कर रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अन्नदाता की आय दोगुनी करने, फसलों का सही मूल्य दिलाने कृषि को तकनीकी से जोड़ने के लिए निर्णायक कदम उठा रहे हैं.

वीडियो.

मोदी सरकार नए किसान कानून के जरिए वर्षों से शोषित और प्रताड़ित सीमांत किसानों के आर्थिक सशक्तिकरण व उन्हें बराबरी का हक दिलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन कांग्रेस पार्टी समेत विपक्षी दल इस कृषि कानून का अनुचित विरोध करके किसानों को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि ये भ्रम फैलाया जा रहा है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रणाली समाप्त हो जाएगी तो इस पर प्रधानमंत्री व कृषि मंत्री साफ कर चुके हैं कि एमएसपी पहले की तरह चलती रहेगी.

एक भ्रांति यह भी फैलाई गई है कि कृषक यदि कृषि उत्पाद मंडियों के बाहर बेचेंगे तो मंडियां समाप्त हो जाएंगी, तो इस संबंध में यह स्पष्ट है कि मंडियां समाप्त नहीं होंगी. वहां राज्यों के अधिनियिम व उनकी व्यवस्था के तहत पूर्ववत व्यापार होता रहेगा. अगर सरकार ने व्यापारियों की तरह ही किसानों को भी उत्पाद बेचने के लिए विकल्प उपलब्ध कराया तो इसमें गलत क्या है.

मोदी सरकार द्वारा 2020-21 का कृषि बजट 1 लाख 34 हजार करोड़ से ज्यादा रुपये, आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत कृषि अवसंरचना फंड के रूप में 1 लाख करोड़ रुपये की धनराशि का प्रावधान किया गया है. फसल बीमा योजना के अंतर्गत पिछले चार सालों में किसानों द्वारा 17,500 करोड़ का प्रीमियम जमा करने के बाद 77 हजार करोड़ के दावों का भुगतान करना सरकार की किसानों के प्रतिबद्धता दर्शाता है.

वहीं, अनुराग ठाकुर ने कहा कि मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में भारी बढ़ोतरी की गई है. यूपीए शासनकाल में (2013-14) में जहां मसूर का एमएसपी 2950 रुपये था, वहीं अब 5100 रुपये हो गया है. इसी तरह उड़द का एमएसपी 4300 से बढ़कर 6000 रुपये हो गया है. इसी तरह मूंग, अरहर, चना और सरसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में भी भारी इजाफा किया गया है.

2013-14 में मसूर पर 2,950 रुपये एमएसपी दी जा रही थी. आज देश के किसान 5,100 रुपये पा रहे हैं, यानी 73 फीसदी की अधिक की बढ़ोतरी हुई है. 2009-14 के बीच में कांग्रेस सरकार के समय में 1.25 लाख मीट्रिक टन दाल की खरीद हुई थी. मोदी सरकार ने 2014 से 2019 के बीच 76.85 लाख मीट्रिक टन दाल खरीदी है. एमएसपी के भुगतान की बात करें तो मोदी सरकार ने 6 साल में 7 लाख करोड़ रुपये किसानों को भुगतान किया है जो यूपीए सरकार से दोगुना है.

ये भी पढ़ें- धोनी की बेटी को दुष्कर्म की धमकी मिलने पर पूर्व सुरक्षा अधिकारी मुकेश ठाकुर आहत, PM से की ये मांग

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धर्मशालाः केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने रविवार को धर्मशाला में कृषि कानून को लेकर प्रेस वार्ता को संबोधित किया. अनुराग ठाकुर ने नए कृषि कानून को अन्नदाता के हितों की रक्षा में मील का पत्थर बताया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी द्वारा अपने निजी लाभ के लिए इस कानून को लेकर किसानों को गुमराह किया जा रहा है. अनुराग ठाकुर ने कांग्रेस को चुनौती देते हुए कहा कि कृषि कानूनों में एक भी शब्द ऐसा बता दें जो किसानों के खिलाफ हो.

अनुराग ठाकुर ने कहा कि भारत के मेहनती किसान देश की खुशहाली और समृद्धि के वाहक हैं, जिन पर पूरे देश को अभिमान है. मोदी सरकार के रूप में पहली बार कोई सरकार किसानों के सशक्तिकरण के लिए इस तरह दिन रात काम कर रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अन्नदाता की आय दोगुनी करने, फसलों का सही मूल्य दिलाने कृषि को तकनीकी से जोड़ने के लिए निर्णायक कदम उठा रहे हैं.

वीडियो.

मोदी सरकार नए किसान कानून के जरिए वर्षों से शोषित और प्रताड़ित सीमांत किसानों के आर्थिक सशक्तिकरण व उन्हें बराबरी का हक दिलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन कांग्रेस पार्टी समेत विपक्षी दल इस कृषि कानून का अनुचित विरोध करके किसानों को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि ये भ्रम फैलाया जा रहा है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रणाली समाप्त हो जाएगी तो इस पर प्रधानमंत्री व कृषि मंत्री साफ कर चुके हैं कि एमएसपी पहले की तरह चलती रहेगी.

एक भ्रांति यह भी फैलाई गई है कि कृषक यदि कृषि उत्पाद मंडियों के बाहर बेचेंगे तो मंडियां समाप्त हो जाएंगी, तो इस संबंध में यह स्पष्ट है कि मंडियां समाप्त नहीं होंगी. वहां राज्यों के अधिनियिम व उनकी व्यवस्था के तहत पूर्ववत व्यापार होता रहेगा. अगर सरकार ने व्यापारियों की तरह ही किसानों को भी उत्पाद बेचने के लिए विकल्प उपलब्ध कराया तो इसमें गलत क्या है.

मोदी सरकार द्वारा 2020-21 का कृषि बजट 1 लाख 34 हजार करोड़ से ज्यादा रुपये, आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत कृषि अवसंरचना फंड के रूप में 1 लाख करोड़ रुपये की धनराशि का प्रावधान किया गया है. फसल बीमा योजना के अंतर्गत पिछले चार सालों में किसानों द्वारा 17,500 करोड़ का प्रीमियम जमा करने के बाद 77 हजार करोड़ के दावों का भुगतान करना सरकार की किसानों के प्रतिबद्धता दर्शाता है.

वहीं, अनुराग ठाकुर ने कहा कि मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में भारी बढ़ोतरी की गई है. यूपीए शासनकाल में (2013-14) में जहां मसूर का एमएसपी 2950 रुपये था, वहीं अब 5100 रुपये हो गया है. इसी तरह उड़द का एमएसपी 4300 से बढ़कर 6000 रुपये हो गया है. इसी तरह मूंग, अरहर, चना और सरसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में भी भारी इजाफा किया गया है.

2013-14 में मसूर पर 2,950 रुपये एमएसपी दी जा रही थी. आज देश के किसान 5,100 रुपये पा रहे हैं, यानी 73 फीसदी की अधिक की बढ़ोतरी हुई है. 2009-14 के बीच में कांग्रेस सरकार के समय में 1.25 लाख मीट्रिक टन दाल की खरीद हुई थी. मोदी सरकार ने 2014 से 2019 के बीच 76.85 लाख मीट्रिक टन दाल खरीदी है. एमएसपी के भुगतान की बात करें तो मोदी सरकार ने 6 साल में 7 लाख करोड़ रुपये किसानों को भुगतान किया है जो यूपीए सरकार से दोगुना है.

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Last Updated : Oct 11, 2020, 6:15 PM IST
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