कांगड़ा: भेड़ बकरियां चराने के लिए प्रदेश सरकार की ओर से भेड़पालकों को दिए जाने वाले परमिट की वैधता को छह साल कर दिया है इससे पूर्व चरान परमिट तीन सालों के लिए वैध होता था, अब उसे बढ़ाकर छह साल कर दिया है. यह बात वन मंत्री राकेश पठानिया ने वीरवार को धर्मशाला में हुई हिमाचल प्रदेश वन चरान सलाहकार समिति की 48वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही.
बैठक के बाद पत्रकार वार्ता में राकेश पठानिया ने कहा कि इससे पूर्व प्रदेश के भेड़ पालकों की मजबूत करने के लिए कोई कार्य नहीं हुए हैं अब हमने तय किया है कि आगामी विस चुनावों तक दो बार फिर समिति की बैठक करके भेड़ पालकों की स्थिति को मजबूत करने के लिए ब्लू प्रिंट तैयार कर लिया जाएगा और आगामी चुनावों के बाद भाजपा सरकार बनते ही उसे पर प्राथमिकता से कार्य होंगे.
उन्होंने कहा कि भेड़ पालक अपने पशुओं को चराने के लिए कई जिलों में घूमते रहते हैं. इस दौरान उनके चरान परमिट को रिन्यू करने के लिए उन्हें वापस अपने जिला में जाना पड़ता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा अब भेड़ पालक किसी भी जिला में होते हुए अपना परमिट रिन्यू करवा सकेंगे. इसके अलावा भेड़ बकरियों की चोरी और अन्य हादसों पर नियंत्रण पाने के लिए पुलिस प्रशासन को निर्देश दिए गए हैं कि जब भी भेड़ पालकों की आवाजाही शुरू होती है कि उस ट्रेक पर भेड़ बकरियों की सुरक्षा के लिए विशेष प्रबंध किए जाएं और पुलिस जवान तैनात किए जाएं.
इसके अलावा डिजीटल दौर को अपनाते हुए भेड़ पालकों को डिसटेंस काल की सुविधा दी गई है. उन्होंने कहा कि किसी भी आपात स्थिति में भेड़ पालक अपने मोबाइल फोन से बिना नेटवर्क होते हुए भी डिस्टेंस काल करके अपनी स्थिति के बारे में संबंधित जिला प्रशासन एवं वन विभाग को देगा और उसी काल के आधार पर विभाग व प्रशासन की टीम उसकी सहायता के लिए मौके पर पहुंच जाएगी.
भेड़ बकरी पालन के बदलाव की जरूरत है इसको देखते हुए भेड़ पालकों के लिए एक हजार विशेष किट तैयार की गईं हैं इस किट में स्लिपिंग बेग, टैंट, सोलर लाइट, मोबाइल फोन और सोलर लाइट चार्जर शामिल किए गए हैं, जिससे भेड़ पालकों को जरूरत के हिसाब से सुविधाएं मिल सकें. उन्होंने कहा कि प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर औषधीय पौधों के कालेक्शन सेंटर खोले जाएंगे यहां औषधीय उपयोग में लाए जाने वाले पौधे और उनके बीज व अन्य भागों को एकत्रित किए जाएगा. कालेक्शन सेंटरों से औषधीय सामग्री को सीधे दुबई भेजा जाएगा.
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