धर्मशाला: कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर एक पत्र वायरल हुआ था. ये पत्र किसी और के नाम पर नहीं, बल्कि दो बार मुख्यमंत्री रह चुके शांता कुमार के नाम पर था. इस पत्र पर शांता कुमार को जमकर घेरा गया और उनकी एक पुस्तक का जिक्र भी किया गया था.
पत्र में शांता कुमार के लिए लिखा गया था की प्रदेश में जो भ्रष्टाचार हो रहा है, उसके खिलाफ क्यों नहीं बोला जा रहा है. साथ ही पत्र में सीधा-सीधा स्वास्थ्य मंत्री विपिन सिंह परमार, उद्योग मंत्री विक्रम सिंह ठाकुर और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को घेरा गया था.
पत्र में स्वास्थ्य मंत्री विपिन सिंह परमार पर आरोप लगाए गए थे कि प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य मंत्री प्रदेश की दवा कंपनियों के साथ मिली-भगत करके करोड़ों रुपये का चूना प्रदेश सरकार को लगा रहे हैं. उद्योग मंत्री विक्रम सिंह ठाकुर को भी इस पत्र में जमकर घेरा और जिक्र किया गया कि प्रदेश में आखिर क्यों अधिक कीमत पर सीमेंट बिक रहा है. आरोप लगाया गया कि मुख्यमंत्री और उद्योग मंत्री की सीमेंट कंपनियों के साथ सांठ-गांठ है.
प्रदेश में हर महीने 500 करोड़ का कर्ज दिया जा रहा है, लेकिन इसका विकास सिर्फ मुख्यमंत्री की विधानसभा में ही दिखाई दे रहा है. पत्र में पहले मुख्यमंत्री वीरभद्र का भी जिक्र करते हुए लिखा गया कि प्रदेश में अपनी पीढ़ी के आप दो ही नेता बचे हैं. वीरभद्र अपने केसों से बचने के लिए सरकार के साथ खड़े हो गए, लेकिन जो जीवन भर की कमाई की है, वो डेढ़ सालों में गंवाने की कगार पर आप आ चुके हैं.
एसपी कांगड़ा विमकुत रंजन ने कहा कि इस मामले पर एफआईआर दर्ज हो चुकी है और छानबीन की जा रही है. संम्बंधित व्यक्तियों से पूछताछ हुई है और जरूरत हुई तो उनसे दोबारा पूछताछ की जाएगी.
बता दें कि जब ये पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, तो भाजपा में सुगबुगाहट तेज हो गई, लेकिन कोई नेता इस पर बात करने को तैयार नहीं. आरोप लगाए गए है कि पूर्व मंत्री रविंदर रवि के इशारे पर ये पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है.