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लापरवाही! खालिस्तान झंडे मामले के 12 दिनों बाद भी तपोवन विधानसभा के गेट पर नहीं लगे CCTV कैमरे

तपोवन विधानसभा के गेट (Tapovan assembly Dharamshala) पर खालिस्तान के झंडे लगाए जाने की घटना के बाद प्रशासन ने विधानसभा के गेट पर सीसीटीवी लगाने की बात कही थी लेकिन घटना (Khalistan flags case) के 12 दिनों बाद भी तपोवन विधानसभा के दोनों प्रमुख गेटों में अभी तक सीसीटीवी कैमरे स्थापित नहीं किये गए हैं. जिससे प्रशासन की लचर कार्यप्रणाली पर सवाल उठना लाजमी है.

Tapovan assembly Dharamshala
तपोवन विधानसभा के गेट पर नहीं लगे CCTV कैमरे
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Published : May 20, 2022, 4:42 PM IST

कांगड़ा: 8 मई को कुछ अज्ञात लोगों द्वारा तपोवन विधानसभा के गेट के बाहर खालिस्तान के झंडे लगा दिए गए थे. साथ ही वाल पेंटिंग करके भी खालिस्तान लिख दिया गया था हालांकि जिला कांगड़ा पुलिस ने तुरंत (Tapovan assembly Dharamshala) करवाई करते हुए दोनों आरोपियों को पंजाब से दबोच लिया और उनसे पूछताछ भी जारी है. वहीं, इनमें से एक आरोपी हरवीर सिंह ने पुलिस पूछताछ में कबुल भी किया है कि इन्होंने ही तपोवन विधानसभा के गेट पर (Khalistan flags case) खालिस्तान के झंडे लगाए थे. इस घटना के बाद प्रशासन ने विधानसभा के गेट पर सीसीटीवी लगाने की भी बात कही थी.

घटना के बाद भी विधानसभा गेट के बाहर नहीं लगे सीसीटीवी कैमरे: इसमें हैरत की बात है कि घटना के 12 दिनों बाद भी तपोवन विधानसभा के दोनों प्रमुख गेटों में अभी तक सीसीटीवी कैमरे स्थापित नहीं किये गए हैं. इसे जिला प्रशासन का ढिलमुल रवैया ही कहा जा सकता है कि इतनी बड़ी घटना घटने के बाद भी अभी तक एक भी सीसीटीवी कैमरा विधानसभा गेट के बाहर नहीं लगाया गया है. हालांकि एसपी कांगड़ा खुशहाल शर्मा के दिशा निर्देशों के बाद पुलिस के जवानों को विधानसभा की निगरानी करने के लिए जरूर तैनात कर दिया गया है. इस मामले में अब स्थानीय लोगों और शहर के बुद्धिजीवी लोग भी तपोवन विधानसभा गेट के बाहर सीसीटीवी कैमरे लगाने की मांग उठाने लगे हैं. इन लोगों का कहना है कि जल्द से जल्द जिला प्रशासन तपोवन विधानसभा के गेट के बाहर सीसीटीवी कैमरे लगवाने की व्यवस्था करें ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति इस प्रकार की घटना को अंजाम न दे सके.

तपोवन विधानसभा के गेट पर नहीं लगे CCTV कैमरे

ये है पूरा मामला: बता दें कि कुछ दिन पहले ही 8 मई को तपोवन स्थित हिमाचल विधानसभा भवन (himachal assembly tapovan dharamshala) के बाहर खालिस्तानी झंडे (khalistan flag on himachal assembly gate) लगाने का मामला सामने आया था. सुबह होते ही जब स्थानीय लोगों को इस बारे में पता चला तो मामले की सूचना पुलिस को दी गई है. मामले की सूचना पर पुलिस टीम मौके पर पहुंची और मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया था. जिसके बाद अभी तक दो आरोपियों को गिरफ्तार भी कर लिया गया है.

खालिस्तान का झंडा फहराने की दी गई थी धमकी: बता दें कि इससे पहले मार्च महीने में सिख फॉर जस्टिस (Sikh For Justice) के अध्यक्ष गुरपतवंत सिंह पन्नू ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को चेतावनी पत्र भेजा था. मुख्यमंत्री को भेजे गए धमकी पत्र में 29 अप्रैल को शिमला में खालिस्तान का झंडा फहराने की चेतावनी दी गई थी. पत्र के मुताबिक सिख फॉर जस्टिस की ओर से शिमला में खालिस्तान का झंडा फहराने के लिए 50 हजार डॉलर जुटाने की बात भी कही गई थी.

चिट्ठी में बताया गया था कि 29 अप्रैल को उस शिमला में झंडा फहराया जाएगा जो 1966 तक पंजाब की राजधानी थी. गौरतलब है कि 1966 में पंजाब से अलग होकर हिमाचल राज्य का गठन किया गया था. इस चिट्ठी में भिंडरावाले के तस्वीर और खालिस्तानी झंडे पर प्रतिबंध लगाने को लेकर सीएम जयराम ठाकुर का भी जिक्र किया गया था.

कांगड़ा: 8 मई को कुछ अज्ञात लोगों द्वारा तपोवन विधानसभा के गेट के बाहर खालिस्तान के झंडे लगा दिए गए थे. साथ ही वाल पेंटिंग करके भी खालिस्तान लिख दिया गया था हालांकि जिला कांगड़ा पुलिस ने तुरंत (Tapovan assembly Dharamshala) करवाई करते हुए दोनों आरोपियों को पंजाब से दबोच लिया और उनसे पूछताछ भी जारी है. वहीं, इनमें से एक आरोपी हरवीर सिंह ने पुलिस पूछताछ में कबुल भी किया है कि इन्होंने ही तपोवन विधानसभा के गेट पर (Khalistan flags case) खालिस्तान के झंडे लगाए थे. इस घटना के बाद प्रशासन ने विधानसभा के गेट पर सीसीटीवी लगाने की भी बात कही थी.

घटना के बाद भी विधानसभा गेट के बाहर नहीं लगे सीसीटीवी कैमरे: इसमें हैरत की बात है कि घटना के 12 दिनों बाद भी तपोवन विधानसभा के दोनों प्रमुख गेटों में अभी तक सीसीटीवी कैमरे स्थापित नहीं किये गए हैं. इसे जिला प्रशासन का ढिलमुल रवैया ही कहा जा सकता है कि इतनी बड़ी घटना घटने के बाद भी अभी तक एक भी सीसीटीवी कैमरा विधानसभा गेट के बाहर नहीं लगाया गया है. हालांकि एसपी कांगड़ा खुशहाल शर्मा के दिशा निर्देशों के बाद पुलिस के जवानों को विधानसभा की निगरानी करने के लिए जरूर तैनात कर दिया गया है. इस मामले में अब स्थानीय लोगों और शहर के बुद्धिजीवी लोग भी तपोवन विधानसभा गेट के बाहर सीसीटीवी कैमरे लगाने की मांग उठाने लगे हैं. इन लोगों का कहना है कि जल्द से जल्द जिला प्रशासन तपोवन विधानसभा के गेट के बाहर सीसीटीवी कैमरे लगवाने की व्यवस्था करें ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति इस प्रकार की घटना को अंजाम न दे सके.

तपोवन विधानसभा के गेट पर नहीं लगे CCTV कैमरे

ये है पूरा मामला: बता दें कि कुछ दिन पहले ही 8 मई को तपोवन स्थित हिमाचल विधानसभा भवन (himachal assembly tapovan dharamshala) के बाहर खालिस्तानी झंडे (khalistan flag on himachal assembly gate) लगाने का मामला सामने आया था. सुबह होते ही जब स्थानीय लोगों को इस बारे में पता चला तो मामले की सूचना पुलिस को दी गई है. मामले की सूचना पर पुलिस टीम मौके पर पहुंची और मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया था. जिसके बाद अभी तक दो आरोपियों को गिरफ्तार भी कर लिया गया है.

खालिस्तान का झंडा फहराने की दी गई थी धमकी: बता दें कि इससे पहले मार्च महीने में सिख फॉर जस्टिस (Sikh For Justice) के अध्यक्ष गुरपतवंत सिंह पन्नू ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को चेतावनी पत्र भेजा था. मुख्यमंत्री को भेजे गए धमकी पत्र में 29 अप्रैल को शिमला में खालिस्तान का झंडा फहराने की चेतावनी दी गई थी. पत्र के मुताबिक सिख फॉर जस्टिस की ओर से शिमला में खालिस्तान का झंडा फहराने के लिए 50 हजार डॉलर जुटाने की बात भी कही गई थी.

चिट्ठी में बताया गया था कि 29 अप्रैल को उस शिमला में झंडा फहराया जाएगा जो 1966 तक पंजाब की राजधानी थी. गौरतलब है कि 1966 में पंजाब से अलग होकर हिमाचल राज्य का गठन किया गया था. इस चिट्ठी में भिंडरावाले के तस्वीर और खालिस्तानी झंडे पर प्रतिबंध लगाने को लेकर सीएम जयराम ठाकुर का भी जिक्र किया गया था.

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