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कोरोना की मार...कैसे कांगड़ा-टी निकलेगी हिमाचल से बाहर, बागानों में ही मुरझा रही पत्तियां - हिमाचल में लॉकडाउन

कोरोना वारयस के चलते पूरे प्रदेश में लगे लॉकडाउन का असर कांगड़ा चाय के उत्पादन पर भी देखने को मिल रहा है. चाय बागान मालिकों का कहना है कि चाय के उत्पादन के लिए सरकार से इजाजत को मिली है लेकिन अब तक ट्रांसपोर्टेशन की अनुमति नहीं मिल पाई है. जिससे चाय का कारोबार प्रभावित हो सकता है.

KANGRA TEA PRODUCTION EFFECTED DUE TO CORONAVIRUS
कांगड़ा टी पर कोरोना की मार.
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Published : Apr 15, 2020, 2:10 PM IST

Updated : Apr 15, 2020, 2:49 PM IST

धर्मशाला: दुनियाभर में फैले कोरोना वायरस की वजह से भारतीय चाय की कीमतों में भारी गिरावट आई है और निर्यात तकरीबन ठप हो चुका है. कम कीमत और बढ़ती लागत से जूझ रहे चाय बागान मालिकों के सामने मुश्किल आ खड़ी हुई है. वहीं, दुनिया भर में अपने स्वाद के लिए पहचान बनाने वाली कांगड़ा चाय पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है.

बता दें कि लॉकडाउन और कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप की वजह से इस बार शायद ही धर्मशाला में बनने वाली चाय विदेश में एक्सपोर्ट हो सके. हां, अगर धर्मशाला टी फैक्ट्री में तैयार हो रही चाय को कोलकाता पहुंचाने की सरकार से अनुमति मिले तो कुछ बात बन सकती है.

कांगड़ा टी फैक्ट्री के मैनेजर अमनपाल सिंह का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से लेबर कम हैं, जिसकी वजह से तुड़ान सही तरीके से नहीं हो पा रही है, जिसका असर क्वालिटी पर पड़ रहा है. सरकार से आग्रह है कि जिस तरह टी प्रोसेसिंग की अनुमति दी गई है, उसी तरह तैयार चाय को कोलकाता पहुंचाने के लिए ट्रांसर्पोटेशन की भी इजाजत दी जाए.

KANGRA TEA PRODUCTION EFFECTED DUE TO CORONAVIRUS
बागान में चाय की पत्तियों की कटिंग करते कामगर.

चाय का शुरूआती उत्पादन फिलहाल ठीक है, पिछले साल की अपेक्षा ही चल रहा है, लेकिन लॉकडाउन को लेकर शंका बनी हुई है. चाय तो तैयार हो रही है, लेकिन इसे कोलकाता पहुंचाया जा सकता है या नहीं, इस पर संशय बना हुआ है.

30 मार्च को मिली थी टी प्रोसेसिंग की अनुमति

चाय पत्तियों के तुड़ान का सीजन 20 मार्च के करीब शुरू हो जाता है. 24 मार्च से लॉकडाउन शुरू होने के साथ फैक्ट्री और टी गार्डन में काम बंद हो गया था. जिसके बाद प्रदेश सरकार से चाय प्रोसेसिंग का कार्य करने की इजाजत मांगी गई थी. जिस पर 30 मार्च को प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन से अनुमति मिल गई थी और उसी दिन से चाय की प्रोसेसिंग का कार्य शुरू कर दिया गया था. उस समय सरकार ने निर्देश दिए थे कि 50 फीसदी से ज्यादा लेबर नहीं लगाई जा सकती, लेबर की वजह से जहां चाय पत्तियां पूरी नहीं टूट पा रही हैं और फैक्ट्री में प्रोसेसिंग के दौरान क्वालिटी भी प्रभावित हो रही है.

KANGRA TEA PRODUCTION EFFECTED DUE TO CORONAVIRUS
फैक्ट्री में टी प्रोसेसिंग का कार्य करती महिलाएं.

एक्सपोर्ट होने से मिलते हैं अच्छे रेट

अमनपाल सिंह ने कहा कि इस बार चाय एक्सपोर्ट नहीं हो पाएगी, जो भी चाय बिकेगी वो कोलकाता में ही बिकेगी, क्योंकि यूरोप पूरा बंद है और कांगड़ा से काफी चाय यूरोप के कई देशों में एक्सपोर्ट होती है. एक्सपोर्ट में चाय के रेट अच्छे मिलते थे, क्योंकि चाय भी अच्छी क्वालिटी की वहां जाती थी, जिससे राजस्व में फायदा होता था, लेकिन जो परिस्थितियां हैं, उससे लगता है कि इस बार कांगड़ा चाय एक्सपोर्ट नहीं हो पाएगी और नकद राजस्व का नुकसान होगा और अब अगले साल ही उम्मीद की जा सकती है.

वीडियो रिपोर्ट.

कोलकाता में होनी है चाय की नीलामी

कांगड़ा टी फैक्ट्री के मैनेजर का कहना है कि मार्च और अप्रैल में हालांकि चाय तैयार करने की परमिशन मिली है, लेकिन आधे ही लेबर का हम इस्तेमाल कर पा रहे हैं, जिसकी वजह से प्रोडक्शन और क्वालिटी पर असर पड़ेगा. फैक्ट्री में ज्यादा चाय बनाकर रखने की जगह कम है. जिसकी वजह से चाय का ज्यादा उत्पादन भी नहीं किया जा सकता है. फैक्ट्री में तैयार चाय की बिक्री के लिए कोलकाता में नीलामी होती है. इसके लिए प्रशासन से ट्रांसपोर्टेशन की अनुमति मिले.

ये भी पढ़ें: लॉकडाउन के चलते प्रदेश के ब्लड बैंक होने लगे खाली! मरीजों को मुश्किल से मिल रहा खून

धर्मशाला: दुनियाभर में फैले कोरोना वायरस की वजह से भारतीय चाय की कीमतों में भारी गिरावट आई है और निर्यात तकरीबन ठप हो चुका है. कम कीमत और बढ़ती लागत से जूझ रहे चाय बागान मालिकों के सामने मुश्किल आ खड़ी हुई है. वहीं, दुनिया भर में अपने स्वाद के लिए पहचान बनाने वाली कांगड़ा चाय पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है.

बता दें कि लॉकडाउन और कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप की वजह से इस बार शायद ही धर्मशाला में बनने वाली चाय विदेश में एक्सपोर्ट हो सके. हां, अगर धर्मशाला टी फैक्ट्री में तैयार हो रही चाय को कोलकाता पहुंचाने की सरकार से अनुमति मिले तो कुछ बात बन सकती है.

कांगड़ा टी फैक्ट्री के मैनेजर अमनपाल सिंह का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से लेबर कम हैं, जिसकी वजह से तुड़ान सही तरीके से नहीं हो पा रही है, जिसका असर क्वालिटी पर पड़ रहा है. सरकार से आग्रह है कि जिस तरह टी प्रोसेसिंग की अनुमति दी गई है, उसी तरह तैयार चाय को कोलकाता पहुंचाने के लिए ट्रांसर्पोटेशन की भी इजाजत दी जाए.

KANGRA TEA PRODUCTION EFFECTED DUE TO CORONAVIRUS
बागान में चाय की पत्तियों की कटिंग करते कामगर.

चाय का शुरूआती उत्पादन फिलहाल ठीक है, पिछले साल की अपेक्षा ही चल रहा है, लेकिन लॉकडाउन को लेकर शंका बनी हुई है. चाय तो तैयार हो रही है, लेकिन इसे कोलकाता पहुंचाया जा सकता है या नहीं, इस पर संशय बना हुआ है.

30 मार्च को मिली थी टी प्रोसेसिंग की अनुमति

चाय पत्तियों के तुड़ान का सीजन 20 मार्च के करीब शुरू हो जाता है. 24 मार्च से लॉकडाउन शुरू होने के साथ फैक्ट्री और टी गार्डन में काम बंद हो गया था. जिसके बाद प्रदेश सरकार से चाय प्रोसेसिंग का कार्य करने की इजाजत मांगी गई थी. जिस पर 30 मार्च को प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन से अनुमति मिल गई थी और उसी दिन से चाय की प्रोसेसिंग का कार्य शुरू कर दिया गया था. उस समय सरकार ने निर्देश दिए थे कि 50 फीसदी से ज्यादा लेबर नहीं लगाई जा सकती, लेबर की वजह से जहां चाय पत्तियां पूरी नहीं टूट पा रही हैं और फैक्ट्री में प्रोसेसिंग के दौरान क्वालिटी भी प्रभावित हो रही है.

KANGRA TEA PRODUCTION EFFECTED DUE TO CORONAVIRUS
फैक्ट्री में टी प्रोसेसिंग का कार्य करती महिलाएं.

एक्सपोर्ट होने से मिलते हैं अच्छे रेट

अमनपाल सिंह ने कहा कि इस बार चाय एक्सपोर्ट नहीं हो पाएगी, जो भी चाय बिकेगी वो कोलकाता में ही बिकेगी, क्योंकि यूरोप पूरा बंद है और कांगड़ा से काफी चाय यूरोप के कई देशों में एक्सपोर्ट होती है. एक्सपोर्ट में चाय के रेट अच्छे मिलते थे, क्योंकि चाय भी अच्छी क्वालिटी की वहां जाती थी, जिससे राजस्व में फायदा होता था, लेकिन जो परिस्थितियां हैं, उससे लगता है कि इस बार कांगड़ा चाय एक्सपोर्ट नहीं हो पाएगी और नकद राजस्व का नुकसान होगा और अब अगले साल ही उम्मीद की जा सकती है.

वीडियो रिपोर्ट.

कोलकाता में होनी है चाय की नीलामी

कांगड़ा टी फैक्ट्री के मैनेजर का कहना है कि मार्च और अप्रैल में हालांकि चाय तैयार करने की परमिशन मिली है, लेकिन आधे ही लेबर का हम इस्तेमाल कर पा रहे हैं, जिसकी वजह से प्रोडक्शन और क्वालिटी पर असर पड़ेगा. फैक्ट्री में ज्यादा चाय बनाकर रखने की जगह कम है. जिसकी वजह से चाय का ज्यादा उत्पादन भी नहीं किया जा सकता है. फैक्ट्री में तैयार चाय की बिक्री के लिए कोलकाता में नीलामी होती है. इसके लिए प्रशासन से ट्रांसपोर्टेशन की अनुमति मिले.

ये भी पढ़ें: लॉकडाउन के चलते प्रदेश के ब्लड बैंक होने लगे खाली! मरीजों को मुश्किल से मिल रहा खून

Last Updated : Apr 15, 2020, 2:49 PM IST
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