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जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर ने ओडिशा भेजी रेडी टू ईट तकनीक से तैयार 50 टन खाद्य सामग्री

इस खाद्य सामग्री को रेडी टू ईट तकनीक से तैयार किया है और टीन के डिब्बो में बंद किया गया है. इस तकनीक में खाना लगभग एक वर्ष तक खराब नही होता है.

Himalaya Institute of Biological Technology Palampur
हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर
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Published : Apr 28, 2020, 8:44 PM IST

पालमपुरः कोविड-19 की महामारी के खिलाफ हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी)प्रदेश ही नहीं अपितु देश के अन्य राज्यों की भी मदद कर रहा है. संस्थान ने ओडिशा के लिए 50 टन खाद्य सामग्री तैयार कर भेजी है.

इस खाद्य सामग्री को रेडी टू ईट तकनीक से तैयार किया है और टीन के डिब्बो में बंद किया गया है. इस तकनीक में खाना लगभग एक वर्ष तक खराब नहीं होता है. ओडिशा से इस संदर्भ में संस्थान को मदद के लिए आग्रह आया था. इसके बाद संस्थान ने विशेष तौर पर खाद्य सामग्री को तैयार करवाने में कर्मियों को लगा दिया था,

गौरतलब है कि इससे पहले भी संस्थान ने 2018 में केरल में आई बाढ़ के दौरान भी डिब्बाबंद भोजन भिजवाया था. जिस कारण पीड़ितों की व्यापक मदद हुई थी. इस तरह मई 2019 में देश में आए चक्रवात तूफान से हुए नुकसान के बाद प्रभावित राज्यों में भी वहां की जनता की मदद भेजी गई थी. उस दौरान ओडिशा के संस्थान ने एक लाख यूनिट डिब्बाबंद खिचड़ी भेजी थी.

वीडियो रिपोर्ट

सीएसआईआर-हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान एक प्रमुख संस्थान है, जो कि कृषि विज्ञान जैविक, प्राकृतिक उत्पाद, रसायन विज्ञान, खाद्य और उच्च गुणवत्ता के जैसे क्षेत्र में अनुसंधान के लिए विख्यात है.

संस्थान के निदेशक डॉ. संजय कुमार ने कहा कि कई प्रदेशों में एक दूसरे राज्य के मजदूर फंसे हुए हैं, ऐसे समय में खाद्यान्न की किल्लत होना एक स्वाभाविक बात है. लेकिन संस्थान के रेडी टू ईट तकनीक उपलब्ध है, तो हमने करीब 50 टन खाना उड़ीसा भिजवाया है. जिससे कि वहां गरीब लोगों और मजदूरों को रेडी टू ईट और पौष्टिक खाना मिल सके.

उन्होंने कहा कि ओडिशा के अलावा हमने अपने प्रदेश में भी कुछ पंचायतों को खाद्य सामग्री वितरित की है, स्थानीय प्रशासन को भी खाद्य सामग्री, हैंड सेनिटाइजर और अन्य सामग्री भी दी गई है. संस्थान अपने स्तर पर प्रयासरत है कि कोविड-19 महामारी में लोगों की सहायता करे.

पालमपुरः कोविड-19 की महामारी के खिलाफ हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी)प्रदेश ही नहीं अपितु देश के अन्य राज्यों की भी मदद कर रहा है. संस्थान ने ओडिशा के लिए 50 टन खाद्य सामग्री तैयार कर भेजी है.

इस खाद्य सामग्री को रेडी टू ईट तकनीक से तैयार किया है और टीन के डिब्बो में बंद किया गया है. इस तकनीक में खाना लगभग एक वर्ष तक खराब नहीं होता है. ओडिशा से इस संदर्भ में संस्थान को मदद के लिए आग्रह आया था. इसके बाद संस्थान ने विशेष तौर पर खाद्य सामग्री को तैयार करवाने में कर्मियों को लगा दिया था,

गौरतलब है कि इससे पहले भी संस्थान ने 2018 में केरल में आई बाढ़ के दौरान भी डिब्बाबंद भोजन भिजवाया था. जिस कारण पीड़ितों की व्यापक मदद हुई थी. इस तरह मई 2019 में देश में आए चक्रवात तूफान से हुए नुकसान के बाद प्रभावित राज्यों में भी वहां की जनता की मदद भेजी गई थी. उस दौरान ओडिशा के संस्थान ने एक लाख यूनिट डिब्बाबंद खिचड़ी भेजी थी.

वीडियो रिपोर्ट

सीएसआईआर-हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान एक प्रमुख संस्थान है, जो कि कृषि विज्ञान जैविक, प्राकृतिक उत्पाद, रसायन विज्ञान, खाद्य और उच्च गुणवत्ता के जैसे क्षेत्र में अनुसंधान के लिए विख्यात है.

संस्थान के निदेशक डॉ. संजय कुमार ने कहा कि कई प्रदेशों में एक दूसरे राज्य के मजदूर फंसे हुए हैं, ऐसे समय में खाद्यान्न की किल्लत होना एक स्वाभाविक बात है. लेकिन संस्थान के रेडी टू ईट तकनीक उपलब्ध है, तो हमने करीब 50 टन खाना उड़ीसा भिजवाया है. जिससे कि वहां गरीब लोगों और मजदूरों को रेडी टू ईट और पौष्टिक खाना मिल सके.

उन्होंने कहा कि ओडिशा के अलावा हमने अपने प्रदेश में भी कुछ पंचायतों को खाद्य सामग्री वितरित की है, स्थानीय प्रशासन को भी खाद्य सामग्री, हैंड सेनिटाइजर और अन्य सामग्री भी दी गई है. संस्थान अपने स्तर पर प्रयासरत है कि कोविड-19 महामारी में लोगों की सहायता करे.

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