नूरपुर: 27 दिसंबर 2021 को प्रधानमंत्री भारत नरेंद्र मोदी हिमाचल के जिला मंडी में एक कार्यक्रम (PM Modi rally in Mandi) शिरकत करेंगे, जिसमें हिमाचल को राज्य सरकार के अनुसार करोड़ों की सौगात देंगे. हिमाचल मानवाधिकार लोक बॉडी एवं भूमि अधिग्रहण प्रभावित मंच प्रधानमंत्री के हिमाचल आगमन पर उनका जोरदार स्वागत करता है. साथ ही यह आशा करता है कि हिमाचल में लंबे समय से चली आ रही मांग भू-अधिग्रहण कानून 2013 (Land Acquisition Act 2013) को लागू करने को भी पूरा होने की आस जगी है.
हिमाचल मानवाधिकार लोक बॉडी (Himachal Human Rights Lok Body ) के अध्यक्ष राजेश पठानिया ने कहा कि एक ओर जहां प्रधानमंत्री पूरे विश्व भर में एक विश्वस्तरीय नेता बनकर उभरे हैं. वहीं, हिमाचल सरकार ने उनके द्वारा बनाए हुए कानून को हिमाचल में न लागू करके प्रदेश के एक लाख परिवारों को बर्बादी के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है. वहीं, प्रधानमंत्री की भी मान मर्यादा और प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाई है. राजेश पठानिया ने कहा कि पिछले 4 साल से हिमाचल मानवाधिकार लोक बॉडी भू-अधिग्रहण की मांग को लेकर सरकार के समक्ष एक बार 2019 में 17 दिन का आमरण अनशन कर चुकी है. वहीं, अनगिनत धरने प्रदर्शन और सैकड़ों पत्र राज्य और केंद्र सरकार को लिख चुकी है, लेकिन राज्य सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है.
राजेश पठानिया ने कहा कि हमारी जमीनों के कौड़ियों में भाव लगाकर और नेशनल हाईवे को लिंक रोड दर्शा कर जनता के साथ बहुत बड़ा धोखा कर रही है. बार-बार पिछले 4 साल से कैबिनेट स्तर की कमेटियां बनाकर जनता को मूर्ख बना रही है. पठानिया ने कहा कि अभी हाल ही में भू अधिग्रहण मंच ने पूरे हिमाचल के 21 संगठनों के साथ मिलकर धर्मशाला विधानसभा में सरकार के विरुद्ध रोष प्रदर्शन किया और एक मांग पत्र मुख्यमंत्री को सौंपा. उन्होंने कहा कि इस अधिग्रहण प्रक्रिया से लगभग एक लाख परिवार सीधे सीधे प्रभावित हैं. उन्होंने कहा कि 2017 के चुनावों में अपने घोषणा पत्र में पार्टी ने कहा था कि हमारी सरकार आने पर हम हिमाचल वासियों को 2013 कानून के तहत चार गुना मुआवजा देंगे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.
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राजेश पठानिया ने कहा कि केंद्र द्वारा बनाए हुए 2013 भू अधिग्रहण कानून को हिमाचल में भी लागू करने का आदेश जारी करें. उन्होंने कहा कि हिमाचल में जितने भी भू-अधिग्रहण हो रहे हैं वह बर्बादी के कगार पर जाने से बच जाएं. हिमाचल में जितने भी बड़े प्रोजेक्ट आ रहे हैं व स्थानीय लोगों के लिए बर्बादी का कारण बन रहे हैं, क्योंकि इन प्रोजेक्टों को लगाने के लिए जब भूमि की आवश्यकता पड़ती है तो राज्य सरकार जबरन हिमाचली लोगों की जमीनों को कौड़ियों के दाम में ले रही है.
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